वायु प्रदूषण के नियंत्रण हेतु क्लाउड सीडिंग | 26 Nov 2024
स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स
चर्चा में क्यों?
हाल ही में, दिल्ली में वायु प्रदूषण से निपटने के उपाय के रूप में क्लाउड सीडिंग के प्रस्ताव पर ध्यान दिया गया है, क्योंकि दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) का आँकड़ा 450 से अधिक दर्ज किया गया है इससे वायु गुणवत्ता गंभीर संकट में है।
क्लाउड सीडिंग क्या है?
परिचय:
- क्लाउड सीडिंग, एक मौसम परिवर्तन तकनीक है, जिसमे सिल्वर आयोडाइड, पोटेशियम आयोडाइड या शुष्क बर्फ जैसे रसायनों का मेघों के ऊपरी हिस्से में छिड़काव किया जाता ताकि वर्षण की प्रक्रिया को प्रोत्साहित करके वर्षा कराई जा सके।
- यह प्रक्रिया बादलों में बर्फ के क्रिस्टल के निर्माण को सुगम बनाती है, जिससे कृत्रिम वर्षा हो सकती है।
- इस तकनीक को वायु प्रदूषण से निपटने के लिये एक संभावित समाधान (विशेष रूप से उच्च वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) रीडिंग की अवधि के दौरान) के रूप में माना जा रहा है।
क्लाउड सीडिंग के प्रकार:
- स्थैतिक क्लाउड सीडिंग:
- इस विधि में बर्फ के नाभिक, जैसे सिल्वर आयोडाइड या शुष्क बर्फ को ठंडे मेघों में प्रविष्ट कराना शामिल है, जिनमें सुपरकूल तरल जल की बूँदें होती हैं।
- बर्फ के नाभिक बर्फ के क्रिस्टल या बर्फ के टुकड़ों के निर्माण को गति दे सकते हैं, जो पहले तरल बूँदों का रूप ले सकते हैं और फिर वर्षा के रूप में गिर सकते हैं।
- डायनेमिक क्लाउड सीडिंग:
- डायनेमिक क्लाउड सीडिंग ऊर्ध्वाधर वायु धाराओं को बढ़ावा देकर वर्षा को प्रेरित करने की एक विधि है।
- इस प्रक्रिया को स्टैटिक क्लाउड सीडिंग की तुलना में अधिक जटिल माना जाता है क्योंकि यह ठीक से काम करने वाली घटनाओं के अनुक्रम पर निर्भर करता है।
- हाइग्रोस्कोपिक क्लाउड सीडिंग:
- इस विधि में उष्म मेघों के आधार में फ्लेयर्स या विस्फोटकों के माध्यम से हाइग्रोस्कोपिक पदार्थों के बारीक कणों, जैसे नमक का छिड़काव करना शामिल है।
- ये कण मेघ संघनन नाभिक के रूप में कार्य करते हैं और मेघ के बूंदों की संख्या एवं आकार को बढ़ा सकते हैं, जिससे मेघों की परावर्तनशीलता एवं स्थिरता को बढ़ावा मिलता है।
- ग्लेशियोजेनिक क्लाउड सीडिंग:
- इसमें सिल्वर आयोडाइड या शुष्क बर्फ जैसे बर्फ के नाभिकों को फैलाकर अतिशीतित (सुपरकूल) बादलों में बर्फ निर्माण को प्रेरित किया जाता है, जिससे बर्फ का नाभिकीकरण और अवक्षेपण होता है।
- तकनीक के अनुप्रयोग:
- शीतकालीन हिमपात और पर्वतीय हिमखण्डों को बढ़ाने के लिये क्लाउड सीडिंग की जाती है, जो आसपास के क्षेत्रों में समुदायों के लिये प्राकृतिक जल आपूर्ति सुनिश्चित कर सकता है।
- ओलावृष्टि को रोकने, कोहरे को समाप्त करने, सूखाग्रस्त क्षेत्रों में वर्षा कराने तथा वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिये भी क्लाउड सीडिंग की जा सकती है।
क्लाउड सीडिंग के कार्यान्वयन के समक्ष क्या चुनौतियाँ हैं?
- पर्यावरणीय प्रभाव: कृत्रिम वर्षा के दौरान सिल्वर आयोडाइड, शुष्क बर्फ या लवण जैसे सीडिंग तत्त्व भी धरातल पर आएंगे।
- क्लाउड-सीडिंग परियोजनाओं के आस-पास के स्थानों में खोजे गए अवशिष्ट चाँदी को विषाक्त माना जाता है। शुष्क बर्फ के लिये यह ग्रीनहाउस गैस का एक स्रोत भी हो सकता है जो ग्लोबल वार्मिंग में योगदान देता है, क्योंकि यह मूल रूप से कार्बन डाइऑक्साइड होता है।
- अस्थायी राहत: हालाँकि क्लाउड सीडिंग से कणीय पदार्थों को कम करके वायु प्रदूषण से अल्पकालिक राहत मिल सकती है लेकिन इससे वाहनों से निकलने वाले उत्सर्जन एवं औद्योगिक उत्सर्जन जैसे प्रदूषण के मूल कारणों का समाधान नहीं होता है।
- उदाहरण: लाहौर में क्लाउड सीडिंग से AQI में सुधार हुआ तथा यह "खराब" से "मध्यम" हो गया। हालांकि, इसका प्रभाव अल्पकालिक था।
- उपलब्धता संबंधी मुद्दे: क्लाउड सीडिंग के लिये आर्द्रता वाले बादलों की आवश्यकता होती है, जो हमेशा उपलब्ध या पूर्वानुमानित नहीं होते हैं।
- आर्द्रता की मात्रा और ऊर्ध्वाधर गति सहित बादलों की कुछ विशिष्ट विशेषताएँ वर्षा के लिये आवश्यक हैं।
- तकनीकी रूप से महँगा: इसमें रसायनों को आकाश में छिड़कने और उन्हें फ्लेयर शॉट्स या हवाई जहाज़ द्वारा हवा में छोड़ने जैसी प्रक्रियाएँ शामिल हैं, जिसमें भारी लागत और लॉजिस्टिक शामिल है।
- उदाहरण: दिल्ली में क्लाउड सीडिंग हेतु 1,300 वर्ग किलोमीटर के संपूर्ण हवाई क्षेत्र को कवर करने के क्रम में 13 करोड़ रुपए की आवश्यकता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)प्रश्न: निम्नलिखित में से किसके संदर्भ में कुछ वैज्ञानिक पक्षाभ मेघ विरलन तकनीक तथा समतापमंडल में सल्पेट वायुविलय अंत:क्षेपण के उपयोग का सुझाव देते हैं? (2019) (a) कुछ क्षेत्रों में कृत्रिम वर्षा करवाने के लिये उत्तर: (d) |