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चीन द्वारा ग्रेफाइट उत्पादों के निर्यात पर अंकुश

  • 23 Oct 2023
  • 7 min read

स्रोत: द हिंदू

हाल ही में विश्व के शीर्ष ग्रेफाइट उत्पादक (लगभग 65%) और निर्यातक चीन ने बैटरी की प्रमुख सामग्री के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है।

  • ये प्रतिबंध चिप के निर्माण के लिये आवश्यक दो धातुओं- गैलियम और जर्मेनियम पर 1 अगस्त, 2023 से लागू प्रतिबंधों के समान है, जिन्होंने देश के बाहर कीमतों को बढ़ा दिया है।

ग्रेफाइट के निर्यात और उसके प्रभावों पर अंकुश लगाने का चीन का निर्णय:

  • महत्त्व: 
  • प्रतिबंध:
    • चीन में 1 दिसंबर से ग्रेफाइट के दोनों अयस्कों के निर्यात के लिये परमिट प्राप्त करना आवश्यक होगा, जिसमें उच्च शुद्धता, उच्च कठोरता और उच्च तीव्रता जैसी सिंथेटिक ग्रेफाइट सामग्री एवं प्राकृतिक फ्लेक ग्रेफाइट व उसके उत्पाद शामिल हैं।
    • इस बीच चीन ने स्टील, धातुकर्म एवं रसायनों सहित सामान्य उद्योगों में उपयोग किये जाने वाले पाँच निम्न संवेदनशील ग्रेफाइट उत्पादों पर अस्थायी नियंत्रण को हटा दिया। 
  • EV निर्माताओं से संबंधित चिंताएँ:
    • दक्षिण कोरिया के व्यवसाय जो मुख्य रूप से अपने ग्रेफाइट आयात के लिये चीन पर निर्भर हैं, उन्हें इसकी आपूर्ति के लिये ऑस्ट्रेलिया अथवा संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देशों की ओर रुख करना पड़ सकता है
    • इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) की बढ़ती बिक्री के कारण वाहन निर्माता चीन के बाहर से इसकी आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिये संघर्ष कर रहे हैं, इसके बावजूद आपूर्ति में कमी की आशंका के परिणामस्वरूप कीमतें काफी बढ़ जाएंगी।

ग्रेफाइट: 

  • परिचय: 
    • ग्रेफाइट एक प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला खनिज है जो कार्बन से बना है। यह कार्बन के तीन क्रिस्टलीय रूपों में से एक है, अन्य दो रूप हीरा एवं अक्रिस्टलीय कार्बन (जैसे चारकोल अथवा कार्बन ब्लैक) हैं।
  • संरचना: 
    • ग्रेफाइट में एक हेक्सागोनल (षट्कोणीय) क्रिस्टल संरचना होती है जिसमें कार्बन परमाणुओं को परतों या शीट्स में व्यवस्थित किया जाता है। ये परतें कमज़ोर रूप से एक साथ जुड़ी होती हैं, जिससे वे आसानी से एक-दूसरे से आगे खिसक सकती हैं, जो ग्रेफाइट को स्नेहन गुण प्रदान करता है।
  • गुण:
    • ग्रेफाइट विद्युत तथा ताप का सुचालक होता है। इसका उपयोग बैटरी के लिये इलेक्ट्रोड के उत्पादन एवं इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग में किया जाता है।
  • अनुप्रयोग:
    • ग्रेफाइट का उपयोग अमूमन पेंसिल बनाने के लिये किया जाता है। पेंसिल में मौजूद "सीसा" वास्तव में ग्रेफाइट एवं मिट्टी के मिश्रण से निर्मित होता है।
    • इसके अतिरिक्त इसका उपयोग क्रूसिबल, फाउंड्री फेसिंग, पॉलिश, आर्क लैंप, बैटरी, इलेक्ट्रिक मोटर ब्रश एवं परमाणु रिएक्टर के कोर के लिये किया जाता है।
  • वैश्विक भंडार: 
    • चीन दुनिया के दो-तिहाई ग्रेफाइट का उत्पादन करता है, लेकिन वैश्विक भंडार की तुलना में एशियाई देश एकमात्र विकल्प नहीं हैं।
    • संयुक्त राज्य भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण के अनुसार, दुनिया के आधे प्राकृतिक ग्रेफाइट संसाधन तुर्की (27.3%) और ब्राज़ील (22.4%) के पास हैं। चीन 16% के साथ तीसरे स्थान पर है, उसके बाद मेडागास्कर (7.9%) का स्थान है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. हाल में तत्त्वों के एक वर्ग, जिसे ‘दुर्लभ मृदा धातु’ कहते हैं, की कम आपूर्ति पर चिंता जताई गई। क्यों? (2012)

  1. चीन, जो इन तत्त्वों का सबसे बड़ा उत्पादक है, द्वारा इनके निर्यात पर कुछ प्रतिबंध लगा दिया गया है।
  2. चीन, ऑस्ट्रेलिया कनाडा और चिली को छोड़कर अन्य किसी भी देश में ये तत्त्व नहीं पाए जाते हैं।
  3. दुर्लभ मृदा धातु विभिन्न प्रकार के इलेक्ट्रॅानिक सामानों के निर्माण में आवश्यक है, इन तत्त्वों की मांग बढती जा रही है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (c)


मेन्स: 

प्रश्न. गोंडवानालैंड के देशों में से एक होने के बावजूद भारत के खनन उद्योग अपने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में बहुत कम प्रतिशत का योगदान देते हैं। चर्चा कीजिये। (2021)

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