न्यूट्रिनो का अध्ययन करने के लिये चीन का JUNO मिशन | 28 Oct 2024
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
निर्माण के कई वर्षों बाद, चीन की जियांगमेन भूमिगत न्यूट्रिनो वेधशाला (JUNO) न्यूट्रिनो पर डेटा संग्रह शुरू करने के लिये तैयार है। इस अत्याधुनिक कण भौतिकी प्रयोग का उद्देश्य उप-परमाणु कणों के बारे में हमारे ज्ञान में वृद्धि करना है।
जूनो(JUNO) की विशेषताएँ क्या हैं?
- जूनो सौर प्रक्रियाओं का वास्तविक समय दृश्य प्राप्त करने के लिये सौर न्यूट्रिनो का निरीक्षण करेगा तथा पृथ्वी के आंतरिक भाग में यूरेनियम और थोरियम के अवक्षय से उत्पन्न न्यूट्रिनो का अध्ययन करेगा, ताकि मेंटल संवहन और विवर्तनिक प्लेटों की गति के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सके।
- वर्ष 2025 के अंत में कार्यशील होने के लिये तैयार, जूनो वर्ष 2030 के आसपास निर्धारित अमेरिकी डीप अंडरग्राउंड न्यूट्रिनो एक्सपेरीमेंट (DUNE) से पहले आरंभ होगा।
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: जूनो की अनुसंधान टीम में अमेरिका, फ्राँस, जर्मनी, इटली, रूस और ताइवान के वैज्ञानिक शामिल हैं, जो व्यापक अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को दर्शाता है।
- न्यूट्रिनो अनुसंधान के भविष्योन्मुखी अनुप्रयोग: हालाँकि यद्यपि वर्तमान में न्यूट्रिनो का कोई प्रत्यक्ष उपयोग नहीं है, फिर भी वैज्ञानिक संभावित संचार अनुप्रयोगों के बारे में अनुमान लगा रहे हैं, जैसे कि ठोस पदार्थ के माध्यम से प्रकाश की गति से लंबी दूरी का संचार प्रेषित करना।
न्यूट्रिनो क्या हैं?
- न्यूट्रिनो उप-परमाणु कण होते हैं जिनमें कोई विद्युत आवेश नहीं होता है, उनका द्रव्यमान छोटा होता है और वे लेफ्ट हैंडेड होते हैं (उनके घूमने की दिशा उनकी गति की दिशा के विपरीत होती है)।
- वे ब्रह्मांड में फोटॉन के बाद दूसरे सबसे प्रचुर कण हैं और पदार्थ बनाने वाले कणों में सबसे प्रचुर हैं।
- न्यूट्रिनो पदार्थ के साथ बहुत कम ही परस्पर क्रिया करते हैं, जिससे उनका अध्ययन करना मुश्किल हो जाता है।
- न्यूट्रिनो एक प्रकार (इलेक्ट्रॉन-न्यूट्रिनो, म्यूऑन-न्यूट्रिनो, टाऊ-न्यूट्रिनो) से दूसरे प्रकार में बदल सकते हैं क्योंकि वे यात्रा करते हैं और अन्य कणों के साथ परस्पर क्रिया करते हैं, जिसे न्यूट्रिनो दोलन कहा जाता है।
- न्यूट्रिनो पदार्थ के साथ सीमित परस्पर क्रिया दर के कारण बड़ी दूरी तक सूचना ले जा सकते हैं।
- उन्हें संभावित रूप से सूचना प्रसारित करने के लिये प्रयोग किया जा सकता है, जो संचार चैनलों में विद्युत चुंबकीय तरंगों की जगह ले सकता है।
- भौतिकविदों ने न्यूट्रिनो का अध्ययन करने और न्यूट्रिनो तथा डिटेक्टर के पदार्थ के बीच परस्पर क्रिया की संख्या को अधिकतम करने के लिये बड़े एवं संवेदनशील डिटेक्टर बनाए हैं।
डीप अंडरग्राउंड न्यूट्रिनो एक्सपेरीमेंट (DUNE)
- इसका मुख्यालय अमेरिका के साउथ डकोटा में होगा, यह लगभग 1,500 मीटर गहराई में होने वाला एक्सपेरीमेंट है।
- उद्देश्य: न्यूट्रिनो के मूल गुणों को समझने के लिये न्यूट्रिनो दोलनों का परीक्षण करना, जिसमें उनका द्रव्यमान पदानुक्रम भी शामिल है।
- मैटर और एंटीमैटर के बीच विषमता के साथ न्यूट्रिनो अंतःक्रिया और संभावित प्रोटॉन क्षय का अध्ययन करना।
- वैश्विक सहयोग: इसमें अमेरिका, ब्रिटेन, भारत, जापान और ब्राज़ील सहित 30 से अधिक देशों के वैज्ञानिक शामिल हैं, जो इसे कण भौतिकी में सबसे बड़े अंतर्राष्ट्रीय सहयोगों में से एक बनाता है।
- वैज्ञानिक महत्त्व: इससे कण भौतिकी के बारे में अंतर्दृष्टि प्राप्त होने की उम्मीद है जो ब्रह्मांड के विकास के सिद्धांतों को प्रभावित कर सकती है।
भारतीय न्यूट्रिनो वेधशाला (INO)
- यह एक प्रस्तावित कण भौतिकी अनुसंधान मेगा परियोजना है जिसका उद्देश्य 1,200 मीटर गहरी गुफा में न्यूट्रिनो का अध्ययन करना है।
- यह परियोजना को तमिलनाडु में थेनी ज़िले के पोट्टीपुरम गाँव में स्थापित करने का प्रस्ताव है।
- इस परियोजना को शुरू में गणितीय विज्ञान संस्थान और फिर टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च द्वारा प्रस्तावित किया गया था।
- अक्टूबर 2024 तक राज्य सरकार और पारिस्थितिकीविदों के विरोध के कारण INO परियोजना का निर्माण रुका हुआ है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. आधुनिक वैज्ञानिक अनुसंधान के संदर्भ में, हाल ही में समाचारों में रहे दक्षिण ध्रुव पर स्थित एक कण डिटेक्टर 'आइसक्यूब' के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2015)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (d) |