चंद्रयान-3 प्रोपल्शन मॉड्यूल पृथ्वी की कक्षा में लौटा | 12 Dec 2023

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 

हाल ही में वैज्ञानिकों द्वारा चंद्रयान- 3 मिशन के प्रोपल्शन मॉड्यूल (PM) को सफलतापूर्वक वापिस लाया गया, जो विक्रम लैंडर को अलग होने से पहले चंद्रमा की सतह के 100 किमी. के भीतर ले आया।

  • इस ऐतिहासिक घटना में चंद्रमा की सतह पर नियंत्रित लैंडिंग तथा पृथ्वी कक्ष में सफल वापसी शामिल थी।

चंद्रयान मिशन क्या है?

भारत ने कुल तीन चंद्रयान मिशन यानी चंद्रयान-1, चंद्रयान-2 और चंद्रयान-3 लॉन्च किये हैं।

  • चंद्रयान-1:
    • चंद्रमा पर भारत का पहला मिशन चंद्रयान-1 था जिसे वर्ष 2008 में सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया था। इसे चंद्रमा की परिक्रमा करने और बोर्ड पर लगे उपकरणों के साथ अवलोकन करने के लिये डिज़ाइन किया गया था।
    • चंद्रयान-1 की प्रमुख खोजें:
      • चाँद पर पानी की मौजूदगी की पुष्टि।
      • प्राचीन चंद्र लावा प्रवाह द्वारा निर्मित चंद्र गुफाओं के साक्ष्य
      • चंद्रमा की सतह पर प्राचीन टेक्टोनिक गतिविधि पाई गई।
      • खोजे गए दोष और फ्रैक्चर उल्कापिंड के प्रभावों के साथ-साथ अतीत की आंतरिक टेक्टोनिक गतिविधि की विशेषताएँ हो सकती हैं।
  • चंद्रयान-2:
    • चंद्रयान-2 एक एकीकृत 3-इन-1 अंतरिक्ष यान है जिसमें चंद्रमा का एक ऑर्बिटर, विक्रम (विक्रम साराभाई के बाद) लैंडर और प्रज्ञान (ज्ञान) रोवर शामिल है, जो चंद्रमा का अध्ययन करने के लिये वैज्ञानिक उपकरणों से सुसज्जित हैं।
    • लॉन्च: 22 जुलाई 2019
      • लैंडर विक्रम: लैंडिंग के बाद यह अपनी जगह पर ही रहता है और अधिकतर चंद्रमा की भूकंपीय गतिविधि एवं वातावरण की जाँच करता है।
      • रोवर प्रज्ञान: रोवर एक छह पहियों वाला सौर ऊर्जा चालित वाहन है, साथ ही  स्वयं को अलग भी करता है और धीरे-धीरे सतह पर रेंगता है, अवलोकन करने के साथ डेटा भी एकत्र करता है।
      • चंद्रयान-2 का लैंडर अपने उच्च वेग के कारण चंद्रमा की सतह पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था अथवा उसकी लैंडिंग कठिनाई से हुई थी।
        • हालाँकि इसका ऑर्बिटर बहुत अच्छे से कार्य कर रहा है और यह चंद्रयान-3 के लैंडर से संपर्क करेगा।
  •  चंद्रयान-3:  
    • यह भारत का तीसरा चंद्र मिशन तथा चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने का दूसरा प्रयास था।
    • लॉन्च: 14 जुलाई, 2023
    • उद्देश्य:
      • चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित एवं सॉफ्ट लैंडिंग का प्रदर्शन करना।
      • चंद्रमा पर रोवर के अवलोकन का प्रदर्शन करने के लिये।
      • इन-सीटू वैज्ञानिक प्रयोगों का संचालन करना।
    • इसमें एक स्वदेशी लैंडर मॉड्यूल (LM), प्रोपल्शन मॉड्यूल (PM) तथा एक रोवर शामिल है, जिसका उद्देश्य इंटरप्लेनेटरी मिशनों के लिये आवश्यक नई प्रौद्योगिकियों को विकसित तथा प्रदर्शित करना है।

चंद्रयान-3 प्रोपल्शन मॉड्यूल क्या है?

  • चंद्रयान-3: इसने लैंडर की चंद्रमा की यात्रा के लिये पूर्ण ऑर्बिटर के स्थान पर हल्के वजन वाले प्रोपल्शन मॉड्यूल का उपयोग किया।
  • रहने योग्य ग्रह पृथ्वी की स्पेक्ट्रोपोलारिमेट्री (SHAPE): चंद्रयान -3 प्रणोदन मॉड्यूल SHAPE नामक एक एकल उपकरण ले गया।
    • यह एक प्रायोगिक पेलोड था जिसे पृथ्वी की उन विशेषताओं का अध्ययन करने के लिये डिज़ाइन किया गया था जो इसे रहने योग्य बनाती हैं, जिसका लक्ष्य रहने योग्य एक्सोप्लैनेट की पहचान करना है।
  • प्रज्ञान रोवर: प्रणोदन मॉड्यूल लैंडर से अलग हो गया, जो प्रज्ञान रोवर को ले गया। इसके अतिरिक्त छह महीनों तक चंद्रमा की परिक्रमा करने का अनुमान था, जिसमें SHAPE पृथ्वी का अवलोकन करेगा।

प्रणोदन मॉड्यूल पृथ्वी की कक्षा में कैसे लौटता है?

  • यह प्रयोग ISRO को आगे की योजना बनाने के लिये एक सॉफ्टवेयर मॉड्यूल विकसित करने की दिशा में कार्य करने की अनुमति देता है।
  • ईंधन की उपलब्धता और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए पृथ्वी पर वापसी के लिये सर्वोत्तम प्रक्षेप पथ तैयार किया गया।
  • जब भी पृथ्वी दिखाई देती है तो SHAPE पेलोड को संचालित किया जाता है, जिसमें एक विशेष ऑपरेशन भी शामिल है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2016)

इसरो द्वारा लॉन्च किया गया मंगलयान:

  1. इसे मार्स ऑर्बिटर मिशन भी कहा जाता है।
  2. संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद भारत मंगल ग्रह की परिक्रमा करने वाला दूसरा देश बन गया है। 
  3. भारत अपने पहले ही प्रयास में स्वयं के अंतरिक्षयान द्वारा मंगल ग्रह की परिक्रमा करने में सफल एकमात्र देश बन गया है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (c)


मेन्स:

प्रश्न. अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत की उपलब्धियों पर चर्चा कीजिये। इस तकनीक के अनुप्रयोग ने भारत के सामाजिक-आर्थिक विकास में किस प्रकार सहायता की? (2016)