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जमा प्रमाण-पत्र

  • 03 Jul 2024
  • 2 min read

स्रोत: बिज़नेस स्टैण्डर्ड 

हाल ही में क्लियरिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया ने आँकड़े जारी किये, जिनसे स्पष्ट हुआ कि वाणिज्यिक बैंकों ने अपनी बैलेंस शीट को मज़बूत करने के लिये जमा प्रमाण-पत्र (Certificates of Deposit - CDs) के माध्यम से 1.45 ट्रिलियन रुपए  जुटाए हैं।

जमा प्रमाण-पत्र (Certificates of Deposit - CDs): 

  • जमा प्रमाण-पत्र बैंकों और क्रेडिट यूनियनों द्वारा प्रस्तुत एक परक्राम्य (negotiable), असुरक्षित मुद्रा बाज़ार साधन है, जो ग्राहक को एक पूर्व निर्धारित अवधि के लिये एकमुश्त जमा को अपरिवर्तित छोड़ने के लिये सहमत होने के बदले में ब्याज दर प्रीमियम प्रदान करता है।
    • दूसरे शब्दों में, यह एक निश्चित अवधि के लिये बैंकों में रखे धन पर एक निश्चित ब्याज दर का भुगतान करता है।
  • अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों और अखिल भारतीय वित्तीय संस्थानों (All-India Financial Institutions - FIs) द्वारा व्यक्तियों (NRI सहित), निगमों, कंपनियों, ट्रस्टों, फंडों, संघों आदि को जमा प्रमाण-पत्र जारी की जा सकती हैं।
    • CD की न्यूनतम राशि 1 लाख रुपए होनी चाहिये तथा इसके बाद इसके गुणकों की अनुमति दी जाती है।
  • बैंकों द्वारा जारी जमा प्रमाण-पत्रों की परिपक्वता अवधि 7 दिन से एक वर्ष तक होती है, जबकि वित्तीय संस्थाओं के लिये यह सीमा जारी होने की तिथि से 1 वर्ष से 3 वर्ष तक होती है।

भारतीय समाशोधन निगम (Clearing Corporation of India - CCIL): 

  • वर्ष 2001 में स्थापित यह बैंक मुद्रा और सरकारी प्रतिभूति बाज़ारों में विश्वसनीय समाशोधन तथा निपटान सेवाएँ प्रदान करता है।

और पढ़ें: बैंकिंग क्षेत्र: अवसर और चुनौतियाँ

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