सिरेमिक | 05 Aug 2024

स्रोत: द हिंदू

हाल ही में सिरेमिक ने अपने विविध अनुप्रयोगों और ऐतिहासिक महत्त्व के लिये ध्यान आकर्षित किया है। ग्रीक शब्द 'केरामोस' से व्युत्पन्न जिसका अर्थ है 'कुम्हार की मिट्टी' अर्थात् सिरेमिक 25,000 से अधिक वर्षों से मानव सभ्यता का अभिन्न अंग रहा है, की प्राचीन कलाकृतियाँ सिंधु घाटी और तमिलनाडु के कीझाड़ी में पाई गई हैं।

  • सिरेमिक न तो धात्विक है और न ही कार्बनिक; यह एक कठोर, रासायनिक रूप से गैर-अभिक्रियाशील पदार्थ है जो क्रिस्टलीय, काँच जैसा या दोनों प्रकृति का हो सकता है और ऊष्मा की सहायता से इसे निर्मित किया जा सकता है।
  • सिरेमिक उच्च तापमान को सहन करने, रासायनिक क्षरण का प्रतिरोध करने और अपनी कठोरता के लिये जाने जाते हैं, लेकिन वे भंगुर भी होते हैं, आघात/अपरूपण तनाव के तहत अतिसंवेदनशील होते हैं और टूट जाते हैं।
    • सिरेमिक के सूक्ष्म गुणों के अध्ययन को सेरामोग्राफी के रूप में जाना जाता है।
    • सिरेमिक में उच्च तापमान सुपरकंडक्टिविटी की खोज ने वर्ष 1987 का भौतिकी का नोबेल पुरस्कार जीता।
  • गुजरात का मोरबी ज़िला विश्व के दूसरे सबसे बड़े सिरेमिक उत्पादन क्लस्टर (चीन अग्रणी सिरेमिक टाइल निर्माता है) का गढ़ है,  जहाँ 1,000 से अधिक इकाइयाँ, 50,000 करोड़ रुपए का वार्षिक कारोबार और वर्ष 2022-23 में 12,000 करोड़ रुपए से अधिक का निर्यात हुआ है, जो राज्य की तीव्र आर्थिक वृद्धि में महत्त्वपूर्ण योगदान देता है।
    • वर्ष 2013 में, भारत ने 55 मिलियन वर्ग मीटर टाइल का निर्यात किया। वर्ष 2023 तक, यह निर्यात बढ़कर 589.5 मिलियन वर्ग मीटर हो गया, जिसमें से आधे से अधिक एशिया के बाहर भेजे गए, जिससे भारत विश्व भर में दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक बन गया।
  • आधुनिक अनुप्रयोग: वायुमंडलीय पुनर्प्रवेश के दौरान हीट शील्ड के रूप में अंतरिक्ष शटल में प्रयोग किया जाता है, ऊष्मा उत्पन्न करने के लिये माइक्रोवेव भट्टियों में काम आता है, अपघर्षक के रूप में प्रयोग किया जाता है, वैरिस्टर व अर्द्धचालकों के उत्पादन में, परमाणु ईंधन के रूप में, लड़ाकू विमान की खिड़कियों में उपयोग किया जाता है तथा यह टोमोग्राफिक स्कैनर में भी महत्त्वपूर्ण है।