रैपिड फायर
यूरेनियम संवर्द्धन की अपकेंद्रित्र प्रक्रिया
- 08 Apr 2025
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स्रोत: द हिंदू
यूरेनियम संवर्द्धन का उपयोग U-235 सांद्रता को वांछित स्तर तक बढ़ाने के लिये किया जाता है।
- संवर्द्धन की आवश्यकता: प्राकृतिक यूरेनियम में 99.3% U-238 और 0.7% U-235 होता है। परमाणु रिएक्टरों को 3-20% U-235 की आवश्यकता होती है, जबकि परमाणु हथियारों को लगभग 90% U-235 की आवश्यकता होती है।
- 20% से अधिक संवर्द्धित यूरेनियम को अत्यधिक संवर्द्धित माना जाता है।
- यूरेनियम संवर्द्धन की अपकेंद्रित्र (Centrifuge) प्रक्रिया:
- इस विधि में, यूरेनियम को सबसे पहले यूरेनियम हेक्साफ्लोराइड (UF₆) नामक गैस में परिवर्तित किया जाता है।
- UF₆ यूरेनियम का एकमात्र गैसीय रूप है जो अपकेंद्रित्र पृथक्करण के लिये उपयुक्त है।
- यूरेनियम के दो मुख्य समस्थानिक हैं U-238 (भारी) और U-235 (हल्के और परमाणु रिएक्टरों/हथियारों में प्रयुक्त), जिनका द्रव्यमान अंतर 1.27% है।
- जब UF₆ गैस को अत्यंत उच्च गति (लगभग 50,000 rpm) पर अपकेंद्रित्र (Centrifuge) के अंदर घुमाया जाता है, तो भारी U-238 बाहरी किनारे पर चला जाता है तथा हल्का U-235 केंद्र के समीप रहता है।
- यह प्रक्रिया अनेक अपकेंद्रित्रों (Centrifuges) में बार-बार की जाती है, जिससे अंतिम उत्पाद में U-235 की सांद्रता क्रमशः बढ़ती जाती है।
- इस विधि में, यूरेनियम को सबसे पहले यूरेनियम हेक्साफ्लोराइड (UF₆) नामक गैस में परिवर्तित किया जाता है।
- अपकेंद्रित्र डिजाइन:
- अपकेंद्रित्र (Centrifuge) का रोटर कक्ष हल्के, मज़बूत पदार्थों, जैसे कार्बन फाइबर, से बना होता है, जो इसे बिना टूटे उच्च दबाव और गति को सहन करने में सक्षम बनाता है।
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