भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग (CCI) द्वारा गूगल पर ज़ुर्माना | 27 Oct 2022
अल्फाबेट (Alphabet) के स्वामित्त्व वाले गूगल पर हाल ही में एंड्रॉइड मोबाइल उपकरणों के पारिस्थितिकी तंत्र से संबंधित क्षेत्रों में "अपनी प्रमुख स्थिति का दुरुपयोग" करने के लिये भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग (CCI) द्वारा 936.44 करोड़ रुपए का ज़ुर्माना लगाया गया।
मुद्दा क्या है?
- वर्ष 2019 में CCI ने एंड्रॉइड ऑपरेटिंग सिस्टम आधारित स्मार्टफोन के बारे में ग्राहकों की शिकायतों के जवाब में गूगल के अनुचित व्यावसायिक व्यवहार की जाँच का आदेश दिया।
- गूगल के खिलाफ आरोप Android OS और गूगल के मूल उपकरण निर्माताओं (OEM) के बीच दो समझौतों पर आधारित थे, ये हैं- मोबाइल एप्लीकेशन वितरण अनुबंध (MADA) और एंटी-फ़्रेग्मेंटेशन अनुबंध (AFA)।
- MADA के तहत संपूर्ण गूगल मोबाइल सूट (Suite) की अनिवार्य प्री-इंस्टालेशन और अनइंस्टॉल विकल्प की कमी के कारण CCI ने दावा किया कि गूगल ने प्रतिस्पर्द्धा कानून का उल्लंघन किया है।
- गूगल मोबाइल सेवाएँ (GMS) गूगल एप्लीकेशन और एप्लीकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफ़ेस (API) का एक संग्रह है जो सभी उपकरणों में कार्यक्षमता को सुविधाजनक बनाता है। गूगल के प्रमुख उत्पाद, जैसे- गूगल सर्च, गूगल क्रोम, यूट्यूब, प्ले स्टोर और गूगल मानचित्र आदि सभी GMS में शामिल हैं।
- गूगल द्वारा उपकरण निर्माताओं पर अनुचित शर्तें थोपना प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम की धारा 4 का उल्लंघन है।
- एक प्रभावशाली स्थिति का दुरुपयोग प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम की धारा 4 के अंतर्गत आता है।
भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग (CCI):
- परिचय:
- भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग एक सांविधिक निकाय है जो प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम, 2002 के उद्देश्यों को लागू करने के लिये उत्तरदायी है। इसका विधिवत गठन मार्च 2009 में किया गया था।
- राघवन समिति की सिफारिशों के आधार पर एकाधिकार और प्रतिबंधात्मक व्यापार व्यवहार अधिनियम (MRTP Act), 1969 को निरस्त कर इसे प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम, 2002 द्वारा प्रतिस्थापित किया गया है।
- संरंचना:
- प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम के अनुसार, आयोग में एक अध्यक्ष और छह सदस्य होते हैं जिन्हें केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किया जाता है।
- आयोग एक अर्द्ध-न्यायिक निकाय (Quasi-Judicial Body) है जो सांविधिक प्राधिकरणों को परामर्श देने के साथ-साथ अन्य मामलों को भी संबोधित करता है। इसका अध्यक्ष और अन्य सदस्य पूर्णकालिक होते हैं।
- सदस्यों की पात्रता:
- इसके अध्यक्ष और सदस्य बनने के लिये ऐसा व्यक्ति पात्र होगा जो सत्यनिष्ठा और प्रतिष्ठा के साथ-साथ उच्च न्यायालय का न्यायाधीश रह चुका हो या उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के पद पर नियुक्त होने की योग्यता रखता हो या जिसके पास अंतर्राष्ट्रीय व्यापार, अर्थशास्त्र, कारोबार, वाणिज्य, विधि, वित्त, लेखा कार्य, प्रबंधन, उद्योग, लोक कार्य या प्रतिस्पर्द्धा संबंधी विषयों में कम-से-कम पंद्रह वर्ष का विशेष ज्ञान एवं वृत्तिक अनुभव हो और केंद्र सरकार की राय में आयोग के लिये उपयोगी हो।
प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम, 2002:
- प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम वर्ष 2002 में पारित किया गया था और प्रतिस्पर्द्धा (संशोधन) अधिनियम, 2007 द्वारा इसे संशोधित किया गया। यह आधुनिक प्रतिस्पर्द्धा विधानों का अनुसरण करता है।
- यह अधिनियम प्रतिस्पर्द्धा-विरोधी करारों और उद्यमों द्वारा अपनी प्रधान स्थिति के दुरुपयोग का प्रतिषेध करता है तथा समुच्चयों [अर्जन, नियंत्रण, 'विलय एवं अधिग्रहण' (M&A)] का विनियमन करता है, क्योंकि इनकी वजह से भारत में प्रतिस्पर्द्धा पर व्यापक प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है या इसकी संभावना बनी रहती है।
- संशोधन अधिनियम के प्रावधानों के अनुरूप भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग और प्रतिस्पर्द्धा अपीलीय न्यायाधिकरण (Competition Appellate Tribunal- COMPAT) की स्थापना की गई।
- वर्ष 2017 में सरकार ने प्रतिस्पर्द्धा अपीलीय न्यायाधिकरण (COMPAT) को राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (National Company Law Appellate Tribunal- NCLAT) से प्रतिस्थापित कर दिया।