प्रारंभिक परीक्षा
विशेषाधिकार उल्लंघन नोटिस
- 16 Jul 2024
- 6 min read
स्रोत: द हिंदू
मुख्य विपक्षी दल ने पूर्व उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति के खिलाफ “अपमानजनक” टिप्पणी करने के लिये प्रधानमंत्री के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस प्रस्तुत किया।
विशेषाधिकार का उल्लंघन क्या है?
- परिचय:
- जब कोई व्यक्ति या अधिकारी किसी सदस्य के विशेषाधिकार, अधिकार और उन्मुक्ति का उल्लंघन करता है, चाहे वह व्यक्तिगत रूप से हो या सदन की सामूहिक क्षमता में, तो उस अपराध को विशेषाधिकार का उल्लंघन कहा जाता है तथा सदन द्वारा दंडनीय होता है।
- इसके अतिरिक्त, सदन के प्राधिकार या गरिमा का अनादर करने वाली कोई भी कार्रवाई, जैसे उसके आदेशों की अनदेखी करना या उसके सदस्यों, समितियों या अधिकारियों का अपमान करना, विशेषाधिकार का उल्लंघन माना जाता है।
- सदन की अवमानना बनाम औचित्य के मुद्दे:
- सदन की अवमानना: इसे सामान्यतः ऐसे किसी भी कार्य के रूप में परिभाषित किया जाता है जो संसद के किसी भी सदस्य या सदन को उसके कर्त्तव्य और कार्यों के निर्वहन में बाधा डालता है।
- औचित्य के बिंदु: संसद और उसके सदस्यों को विशिष्ट प्रथाओं तथा परंपराओं का पालन करना चाहिये एवं इनका उल्लंघन करना 'अनुचित' माना जाता है।
- संसद की दण्ड देने की शक्ति:
- संसद का प्रत्येक सदन अपने विशेषाधिकारों का संरक्षक है।
- भारत में न्यायालयों ने माना है कि संसद का सदन (या राज्य विधानमंडल) किसी विशेष मामले में सदन के विशेषाधिकार का उल्लंघन हुआ है या नहीं, इसका निर्णय करने का एकमात्र प्राधिकारी है।
- सदन विशेषाधिकारों के उल्लंघन या सदन की अवमानना का दोषी पाए जाने वाले व्यक्ति को फटकार या चेतावनी देकर या निर्दिष्ट अवधि के लिये कारावास से दंडित कर सकता है।
- इसके अलावा सदन अपने सदस्यों को दो अन्य तरीकों से दंडित कर सकता है अर्थात् सेवा से निलंबन और निष्कासन।
- हालाँकि सदस्य द्वारा बिना शर्त माफी मांगने की स्थिति में सदन आमतौर पर अपनी गरिमा के हित में मामले को आगे बढ़ाने से बचता है।
- कार्यविधि: विशेषाधिकार के प्रश्नों से निपटने की प्रक्रिया राज्यसभा के प्रक्रिया एवं कार्य संचालन नियमों के नियम, 187 से 203 में निर्धारित की गई है।
- सदन में विशेषाधिकार का प्रश्न सभापति की सहमति प्राप्त करने के बाद ही उठाया जा सकता है।
- यह प्रश्न कि क्या कोई मामला वास्तव में विशेषाधिकार का उल्लंघन है या सदन की अवमानना का है, इसका निर्णय पूरी तरह से सदन को करना है।
- किसी अन्य सदन के सदस्य द्वारा विशेषाधिकार का उल्लंघन:
- विशेषाधिकार समितियों की संयुक्त रिपोर्ट,1954 की के अनुसार, जब सदन के कार्मिकों से संबंधित विशेषाधिकार हनन का मामला लोकसभा या राज्यसभा में उठाया जाता है, तो पीठासीन अधिकारी मामले को दूसरे सदन के पीठासीन अधिकारी को प्रेषित कर देता है।
- सदन इसे अपने विशेषाधिकार के उल्लंघन के रूप में देखता है तथा जाँच एवं की गई कार्रवाई के बारे में रिपोर्ट देता है।
- विशेषाधिकार समितियों की संयुक्त रिपोर्ट,1954 की के अनुसार, जब सदन के कार्मिकों से संबंधित विशेषाधिकार हनन का मामला लोकसभा या राज्यसभा में उठाया जाता है, तो पीठासीन अधिकारी मामले को दूसरे सदन के पीठासीन अधिकारी को प्रेषित कर देता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. भारत की संसद के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन-सी संसदीय समिति जाँच करती है और सदन को रिपोर्ट करती है कि संविधान द्वारा प्रदत्त या संसद द्वारा प्रत्यायोजित विनियमों, नियमों, उप-नियमों, उप-विधियों आदि को बनाने की शक्तियों का कार्यपालिका द्वारा प्रतिनिधिमंडल के दायरे में उचित रूप से प्रयोग किया जा रहा है। (2018) (a) सरकारी आश्वासनों संबंधी समिति उत्तर: (b) मेन्स:प्रश्न: संसद और उसके सदस्यों की शक्तियाँ, विशेषाधिकार और उन्मुक्तियाँ (इम्यूनिटीज़), जैसे कि वे संविधान की धारा 105 में परिकल्पित हैं, अनेकों असंहिताबद्ध (अन कोडिफ़ाइड) और अ-परिगणित विशेषाधिकारों के जारी रहने का स्थान खाली छोड़ देती हैं। संसदीय विशेषाधिकारों के विधिक संहिताकरण की अनुपस्थिति के कारणों का आकलन कीजिये। इस समस्या का क्या समाधान निकाला जा सकता है? (2014) |