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बोरियल वन

  • 23 Jan 2025
  • 3 min read

स्रोत: डाउन टू अर्थ

एक अध्ययन के अनुसार विश्व के लगभग आधे बोरियल वनों में जलवायु परिवर्तन के कारण परिवर्तन हो रहे हैं, जिससे वनाग्नि का खतरा बढ़ रहा है और उनकी कार्बन सिंक भूमिका प्रभावित रही है। 

  • अध्ययन के मुख्य निष्कर्ष: बोरियल वनों में वैश्विक औसत से चार गुना अधिक तेज़ी से तापन हो रहा है।
    • दक्षिण से उत्तर की ओर वृक्षों का घनत्व घटने के कारण बोरियल वनों स्थिति विवृत (विरल वृक्ष आवरण) होती जा रही है, जिससे उनकी कार्बन भंडारण क्षमता कम हो रही है और दावानल का खतरा बढ़ रहा है
    • पर्माफ्रॉस्ट के पिघलने से मृदा के कार्बन की महत्त्वपूर्ण मात्रा अवमुक्त हो सकती है, जिससे कार्बन भंडारण और भी जटिल हो जाएगा।
  • बोरियल वन: बोरियल वन (या "टैगा") विश्व का सबसे बड़ा स्थलीय बायोम है, जो वैश्विक वन क्षेत्र के 30% और पृथ्वी की भूमि सतह के 10% हिस्से पर विस्तृत है।
    • बोरियल पारिस्थितिकी क्षेत्र मुख्यतः उत्तरी गोलार्द्ध के आठ देशों (कनाडा, चीन, फिनलैंड, जापान, नॉर्वे, रूस, स्वीडन और अमेरिका) में विस्तृत है।
    • बोरियल वनों में मुख्य रूप से पाइन, स्प्रूस और फर जैसे शंकुधारी वृक्ष पाए जाते हैं और इसके अतिरिक्त कुछ चौड़ी पत्ती वाली प्रजातियाँ जैसे कि चिनार और बर्च वृक्ष भी पाए जाते हैं। इनकी वेइद्धि उच्च अक्षांशीय परिवेश में होती है।
      • किसी भी अन्य बायोम की तुलना में इसमें अधिक सतही अलवणीय जल होता है, जो उत्तरी महासागरों और वैश्विक जलवायु पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है।
    • जलवायु विनियमन में प्रमुख भूमिका निभाते हुए और उष्णकटिबंधीय वनों के साथ प्रतिस्पर्द्धा करते हुए प्रमुख कार्बन भंडार के रूप में कार्य करते हुए बोरियल क्षेत्र 33% से अधिक काष्ठ और 25% कागज़ निर्यात का स्रोत हैं।

Boreal_Forest

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