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बॉम्बे ब्लड ग्रुप

  • 12 Feb 2025
  • 4 min read

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों?

भारत में दुर्लभ 'बॉम्बे' (hh) ब्लड ग्रुप वाली एक महिला का सफल किडनी प्रत्यारोपण किया गया।

बॉम्बे ब्लड ग्रुप क्या है?

  • बॉम्बे ब्लड ग्रुप या रक्त समूह: इसकी पहचान वर्ष 1952 में मुंबई में की गई थी, जिसे एच एंटीजन की अनुपस्थिति के कारण hh रक्त समूह भी कहा जाता है।
    • एंटीजन रक्त कोशिकाओं (RBC, WBC और प्लेटलेट्स) पर मौजूद प्रोटीन या कार्बोहाइड्रेट होते हैं जो रक्त के प्रकार को निर्धारित करते हैं। उदाहरण के लिये AB रक्त समूह में A और B दोनों एंटीजन होते हैं, A में A एंटीजन होते हैं, B में B एंटीजन होते हैं तथा O में कोई भी नहीं होता है।
    • बॉम्बे ब्लड ग्रुप में, उत्परिवर्तित या अनुपस्थित h एंटीजन जीन A, B, या O एंटीजन गठन को रोकता है।
  • दुर्लभता: यह अत्यंत दुर्लभ है, जो लगभग 10,000 भारतीयों में से 1 तथा विश्वभर में दस लाख लोगों में से 1 में पाया जाता है।
  • रक्त आधान में समस्याएँ: hh रक्त समूह वाले व्यक्तियों को A, B, या O रक्त (O-नेगेटिव सहित) नहीं दिया जा सकता, क्योंकि उनमें h एंटीजन होता है।
    • प्राप्तकर्त्ता की प्रतिरक्षा प्रणाली दाता प्रतिजनों को विदेशी (एंटीबॉडी) के रूप में पहचानती है, और एक गंभीर प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को सक्रिय करती है।
  • ब्लड ग्रुप या रक्त समूह: ABO रक्त समूह प्रणाली के तहत, रक्त समूहों को चार सामान्य रक्त समूहों यानी A, B, AB और O में वर्गीकृत किया जाता है।
    • इसकी पहचान सर्वप्रथम ऑस्ट्रियाई प्रतिरक्षा विज्ञानी कार्ल लैंडस्टीनर ने वर्ष 1901 में की थी।
  • क्रॉस-ब्लड ट्रांसप्लांट्स: क्रॉस-ब्लड ट्रांसप्लांट्स (दाता और प्राप्तकर्त्ता के रक्त समूह अलग-अलग होते हैं) में रक्त आधान के लिये डबल फिल्ट्रेशन प्लास्मफेरेसिस (DFPP) प्रक्रिया का उपयोग किया जाता है।
    • DFPP में, सुरक्षित आधान (प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को दबाने) के लिये विशेष फिल्टर का उपयोग करके, प्राप्तकर्त्ता (रोगी) के रक्त से एंटीबॉडी को हटा दिया जाता है।
    • यदि प्राप्तकर्त्ता के एंटीबॉडी को हटाया नहीं जाता है, तो वे रक्ताधान के बाद हेमोलिसिस (दाता RBC का विनाश) का कारण बन सकते हैं।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रिलिम्स:

Q. एक विवाहित दंपति ने एक बालक को गोद लिया। इसके कुछ वर्ष उपरांत उन्हें जुड़वाँ पुत्र हुए। दंपति में एक का रक्त वर्ग AB पॉजीटिव है और दूसरे का O नेगीटिव है। तीनों पुत्रों में से एक का रक्त वर्ग A पॉजीटिव, दूसरे का B पॉजीटिव, और तीसरे का O पॉजीटिव है। गोद लिये गए पुत्र का रक्त वर्ग कौन-सा है ? (2011)

(a) O पॉजीटिव
(b) A पॉजीटिव
(c) B पॉजिटिव
(d) उपलब्ध जानकारी के आधार पर कहा नही जा सकता

उत्तर: (A)

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