प्रारंभिक परीक्षा
ब्लू मून
- 22 Aug 2024
- 5 min read
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
हाल ही में अगस्त 2024 में घटी ‘ब्लू मून’ की घटना ने इसकी रचना, महत्त्व और इससे जुड़ी विविध व्याख्याओं के बारे में चर्चा को बढ़ावा दिया है।
ब्लू मून क्या है?
- परिचय: ब्लू मून एक महीने में होने वाली दूसरी पूर्णिमा है।
- अगला ब्लू मून 31 मई 2026 को होगा।
- प्रकार: ब्लू मून के 2 प्रकार हैं, जिनमें से किसी में भी चंद्रमा का रंग शामिल नहीं है।
- सीज़नल ब्लू मून: सीज़नल (मौसमी) ब्लू मून तब होता है, जब एक ही खगोलीय मौसम (वसंत, ग्रीष्म, शरद/हेमंत अथवा शीत ऋतु) में सामान्यतः 3 के बजाय 4 पूर्णिमाएँ होती हैं। इस क्रम में तीसरी पूर्णिमा को ‘ब्लू मून’ कहा जाता है।
- आम तौर पर प्रत्येक खगोलीय मौसम लगभग 3 महीने तक चलता है, जिसमें 3 पूर्णिमाएँ होती हैं। हालाँकि चंद्र चक्र की अवधि (लगभग 29.5 दिन) के कारण कभी-कभी एक मौसम में 4 पूर्णिमाएँ भी हो सकती हैं।
- जब ऐसा होता है, तो इन चार पूर्णिमाओं में से तीसरी पूर्णिमा को ‘सीज़नल ब्लू मून’ कहा जाता है।
- आम तौर पर प्रत्येक खगोलीय मौसम लगभग 3 महीने तक चलता है, जिसमें 3 पूर्णिमाएँ होती हैं। हालाँकि चंद्र चक्र की अवधि (लगभग 29.5 दिन) के कारण कभी-कभी एक मौसम में 4 पूर्णिमाएँ भी हो सकती हैं।
- मासिक ब्लू मून: यह एक महीने में दूसरी पूर्णिमा होती है।
- एक ही महीने में दो पूर्णिमा होना असामान्य है, चूँकि वे आम तौर पर महीने में एक बार होती हैं, इसलिये दूसरी पूर्णिमा को ‘ब्लू मून’ कहा जाता है।
- 31 मई 2026 को आने वाला ब्लू मून, मासिक ब्लू मून होगा।
- सीज़नल ब्लू मून: सीज़नल (मौसमी) ब्लू मून तब होता है, जब एक ही खगोलीय मौसम (वसंत, ग्रीष्म, शरद/हेमंत अथवा शीत ऋतु) में सामान्यतः 3 के बजाय 4 पूर्णिमाएँ होती हैं। इस क्रम में तीसरी पूर्णिमा को ‘ब्लू मून’ कहा जाता है।
- रचना:
- चंद्रमा 29.5 दिनों में एक चंद्र चक्र पूरा करता है, जिसके परिणामस्वरूप 354 दिनों में 12 चंद्र चक्र होते हैं।
- परिणामस्वरुप लगभग प्रत्येक 2.5 से 3 वर्ष में एक कैलेंडर वर्ष में 13वीं पूर्णिमा होती है, जिसे ब्लू मून के रूप में जाना जाता है, परंपरागत मानक नामकरण का पालन नहीं करती है।
- फरवरी में कभी भी ब्लू मून नहीं हो सकता क्योंकि सामान्य वर्ष में फरवरी में केवल 28 दिन और लीप वर्ष में 29 दिन होते हैं।
- चंद्रमा 29.5 दिनों में एक चंद्र चक्र पूरा करता है, जिसके परिणामस्वरूप 354 दिनों में 12 चंद्र चक्र होते हैं।
वायुमंडलीय परिस्थितियों के कारण चंद्रमा का वास्तव में नीला दिखने के उदाहरण
- इंडोनेशिया में माउंट टैम्बोरा का उद्गार (वर्ष 1815): फिलीपींस में मेयाॅन ज्वालामुखी विस्फोट के बाद माउंट टैम्बोरा का विस्फोट आज तक का सबसे विध्वंसक ज्वालामुखी उद्गार था।
- इसके साथ-साथ अन्य जलवायु कारकों के कारण वर्ष 1816 में वैश्विक तापमान में 0.4-0.7 डिग्री सेल्सियस की महत्त्वपूर्ण गिरावट आई, जिसे 'ग्रीष्महीन वर्ष (Year Without Summer)' के रूप में जाना जाता है।
- इस दौरान वायुमंडल में ज्वालामुखीय राख और कणों के कारण चंद्रमा नीला दिखाई दिया।
- इंडोनेशियाई ज्वालामुखी क्राकाटोआ का विस्फोट (वर्ष 1883): इससे निकलने वाली राख 80 किलोमीटर की ऊँचाई तक पहुँच गई थी। लगभग एक माइक्रोन आकार के सूक्ष्म राख कणों के कारण चंद्रमा आकर्षक नीले-हरे रंग में दिखाई दिया था।
- वर्ष 1983 में मैक्सिको में अल चिचोन ज्वालामुखी उद्गार, वर्ष 1980 में माउंट सेंट हेलेन्स और वर्ष 1991 में माउंट पिनातुबो के उद्गार भी ब्लू मून की घटना से जुड़े हैं।
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