भितरकनिका राष्ट्रीय उद्यान | 25 Aug 2022
हाल ही में भितरकनिका राष्ट्रीय उद्यान में मगरमच्छों की आबादी एक संतृप्त बिंदु पर पहुँच गई है जिससे और अधिक मानव-मगरमच्छ संघर्ष की घटनाएँ हो सकती हैं।
भितरकनिका राष्ट्रीय उद्यान:
- परिचय:
- भितरकनिका राष्ट्रीय उद्यान ओडिसा में 672 वर्ग किलोमीटर के विशाल क्षेत्र में फैला हुआ है।
- यह भारत का दूसरा सबसे बड़ा मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र है।
- इस राष्ट्रीय उद्यान में खाड़ियों और नहरों का एक नेटवर्क है जो ब्राह्मणी, बैतरनी, धामरा और पातासला नदियों के अपवाह क्षेत्र में है और यह एक अद्वितीय पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करता है।
- बंगाल की खाड़ी से इसकी निकटता क्षेत्र की मिट्टी को लवणीय तथा वनस्पतियों से समृद्ध बनाती है और अभयारण्य में मुख्य रूप से उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय अंतर ज्वारीय क्षेत्रों में पाई जाने वाली प्रजातियाँ मिलती हैं।
- यह लुप्तप्राय खारे पानी के मगरमच्छों का प्रजनन स्थल है।
- गहिरमाथा समुद्र तट जो पूर्व में अभयारण्य की सीमा बनाता है, ओलिव रिडले समुद्री कछुओं की सबसे बड़ी कॉलोनी है।
- इस उद्यान के भीतर एक अन्य अनूठा स्थल सूरजपुर क्रीक के निकट स्थित बगागहना है जो एक हेरोनरी (जलीय पक्षियों का प्रजनन स्थल) है।
- यहाँ हज़ारों पक्षी नेस्टिंग के लिये खाड़ी में कॉलोनी बनाते हैं और संसर्ग से पहले हवाई कलाबाजी का प्रभावशाली प्रदर्शन करते हैं।
- भितरकनिका किंगफिशर पक्षियों (जो दुर्लभ है) की आठ किस्मों का भी अधिवास है।
निहित मुद्दे:
- संघर्ष में वृद्धि:
- वर्ष 2012 के बाद से उद्यान और उसके आसपास लगभग 50 लोग मगरमच्छों द्वारा मारे गए हैं, जबकि इसी अवधि में लगभग 25 मगरमच्छों की मानव बस्तियों में प्रवेश करने या मछली पकड़ने के जाल में फंँसने से मृत्यु हो गई।
- क्षेत्रीय सरीसृप:
- मगरमच्छ एक क्षेत्रीय जलीय सरीसृप है, जिसका अर्थ है कि बहुत सारे मगरमच्छ एक छोटे से क्षेत्र में नहीं रह सकते हैं क्योंकि इससे भोजन, प्रजनन आदि के लिये उनके मध्य प्रतिस्पर्द्धा बढ़ जाएगी।
- ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य:
- वर्ष 1991 में केंद्रीय वन और पर्यावरण मंत्रालय ने राज्य के वन विभाग को मगरमच्छ आबादी की पर्याप्त जनसंख्या लक्ष्य तक पहुँचने के कारण भितरकनिका उद्यान में मगरमच्छ पालन कार्यक्रम को रोकने का निर्देश दिया था।
- हालाँकि सरकार ने 1990 में मगरमच्छ प्रजनन और पालन परियोजना हेतु वित्तपोषण कार्यक्रम को बंद कर दिया था।
- इसके अलावा, वन विभाग ने वर्ष 1995 में उद्यान में मगरमच्छों के प्रजनन और उन्हें मुक्त करने के कार्यक्रम को रोक दिया था क्योंकि मगरमच्छों की आबादी 94 से बढ़कर वर्ष 1975 में लगभग 1,000 तक पहुँच गई थी।
- वर्ष 1991 में केंद्रीय वन और पर्यावरण मंत्रालय ने राज्य के वन विभाग को मगरमच्छ आबादी की पर्याप्त जनसंख्या लक्ष्य तक पहुँचने के कारण भितरकनिका उद्यान में मगरमच्छ पालन कार्यक्रम को रोकने का निर्देश दिया था।
मगरमच्छ संरक्षण परियोजना:
- भितरकनिका में मगरमच्छ संरक्षण परियोजना की शुरुआत वर्ष 1975 में हुई थी।
- इसका मुख्य उद्देश्य सरीसृपों के प्राकृतिक आवासों की रक्षा करना और कैप्टिव प्रजनन के माध्यम से आबादी का पुनर्निर्माण करना था क्योंकि प्रकृति में मगरमच्छों के बच्चों के जीवित रहने की दर शिकार के कारण कम है।
- ओडिशा भारतीय मगरमच्छोंकी तीनों प्रजातियों के आवास के लिये प्रसिद्ध है, वर्ष 1975 में यहाँ पहली बार घड़ियाल और खारे पानी के मगरमच्छ के संरक्षण का कार्यक्रम शुरु किया गया था और उसके बाद मगर संरक्षण योजना आई।
- UNDP/FAO ने भारत सरकार के माध्यम से वित्त और अन्य तकनीकी सहायता प्रदान की है।
आगे की राह:
मगरमच्छों की जनसंख्या में आई कमी के लिये कदम उठाने की ज़रूरत है और साथ ही सरकार को भितरकनिका और महानदी नदी प्रणाली के पूरे मैंग्रोव जंगलों की आर्द्रभूमि में मगरमच्छों के पुनर्वितरण के लिये भी कदम उठाने की जरूरत है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, पिछले वर्षों प्रश्न (PYQ):प्रिलिम्स: प्रश्न. यदि आप घडि़याल को उनके प्राकृतिक आवास में देखना चाहते हैं, तो निम्नलिखित में से किस स्थान पर जाना सबसे सही है?(2017) (a) भितरकनिका मैन्ग्रोव उत्तर: (b) व्याख्या:
अतः विकल्प (b) सही है। |