विगत 20 वर्षों में बैंकों में जमा में सर्वाधिक कमी | 17 Apr 2024
स्रोत: लाइवमिंट
हाल ही में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, ऋण क्षेत्र में तीव्र वृद्धि दर्ज की गई है, जिससे वर्ष 2023-24 में बैंकों में सबसे कम जमा प्राप्ति हुई है, जिसके परिणामस्वरूप विगत दो दशकों में ऋण-जमा अनुपात काफी असंतुलित हो गया है।
जमा प्राप्ति में कमी/ डिपाॅज़िट क्रंच क्या है?
- परिचय:
- भारतीय बैंकों को जमा नकदी के संकट का सामना करना पड़ रहा है।
- वर्तमान में ऋण-जमा अनुपात 80%-20% के साथ वर्ष 2015 के बाद से अपने उच्चतम स्तर पर है।
- जमा नकदी का अनुपात यह इंगित करता है कि किसी बैंक का कितना जमा ऋण के लिये प्रयोग किया जा रहा है।
- जमा प्राप्ति में कमी:
- जमा नकदी का संकट तब उत्पन्न होता है जब बैंकों के पास अपने ग्राहकों को उधार देने के लिये पर्याप्त धनराशि नहीं होती है।
- परिणामस्वरूप, व्यवसायों के सुचारु संचालन में बाधाएँ उत्पन्न होती हैं, और कर्मचारियों को वेतन प्राप्त करने में देरी होती है।
- यह आर्थिक स्थिरता और वित्तीय व्यवस्था को बाधित कर सकता है।
- जमा प्राप्ति में कमी का कारण:
- बेहतरीन बाज़ार प्रदर्शन एवं बढ़ती वित्तीय जागरूकता के कारण निवेशक तेज़ी से उच्च-रिटर्न, इक्विटी-लिंक्ड उत्पादों की ओर अधिक उन्मुख हो रहे हैं, जिससे बैंकों के समक्ष जमा प्राप्त करने और ऋण वृद्धि के समर्थन की दोहरी चुनौती उत्पन्न होती है।
- एकत्र की गई जमा राशि के एक हिस्से को नियामक आवश्यकताओं जैसे- नकद आरक्षित अनुपात (CRR) तथा वैधानिक तरलता अनुपात (SLR) ऋण देने योग्य धन को कम करने एवं जमा के लिये प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ाने के लिये अलग रखा गया है।
- हाल की तिमाही में बैंकों ने धीमी जमा वृद्धि के बीच ऋण को बढ़ावा देने के लिये अपने अधिशेष SLR होल्डिंग्स का उपयोग किया, लेकिन जैसे-जैसे SLR बफर्स कम होते हैं, उन्हें लाभप्रदाता के साथ जमा दर में बढ़ोतरी को संतुलित करने की चुनौती का सामना करना पड़ता है।
- बढ़ती प्रतिस्पर्द्धा, वैकल्पिक निवेश विकल्पों तथा वास्तविक संपत्तियों की ओर बदलाव के बीच खुदरा जमा को आकर्षित करने के लिये बैंकों में पिछले वित्त वर्ष में जमा दरों में वृद्धि हुई।
- HDFC तथा HDFC बैंक के विलय के परिणामस्वरूप HDFC के ऋण तथा जमा को बैंकिंग प्रणाली में शामिल किया गया, जिसने समग्र आँकड़ों में योगदान दिया।
- निहितार्थ:
- उच्च CD अनुपात से बैंक की महँगी, बड़ी जमाओं पर निर्भरता बढ़ जाती है, जिसकी पूर्ति उसके मुख्य जमाकर्त्ताओं से नहीं हो सकती है और संभावित रूप से उच्च बहिर्वाह के कारण तरलता जोखिम की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
- इससे ऋण तक सीमित पहुँच के कारण व्यवसायों को तरलता संबंधी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
- कर्मचारियों के वेतन में देरी हो सकती है, जिससे उनकी आजीविका प्रभावित हो सकती है।
- इसका गंभीर समग्र आर्थिक प्रभाव हो सकता है, जिसके लिये बैंकिंग क्षेत्र को स्थिर करने हेतु तत्काल उपाय किये जाने की आवश्यकता है।
- समाधान:
- लगभग 20 वर्षों में सबसे खराब जमा संकट पर तत्काल ध्यान देने के साथ ही रणनीतिक हस्तक्षेप किया जाना आवश्यक है।
- जैसे-जैसे भारत इस चुनौतीपूर्ण चरण से गुज़र रहा है, हमारे बैंकों की सुरक्षा एवं वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करना सर्वोपरि उद्देश्य बन गया है।
- इसका समाधान ढ़ूँढने के लिये RBI और बैंकों को सहयोग करना होगा।
- अधिक जमा राशि को प्रोत्साहित करना एवं ऋण वितरण को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करना महत्त्वपूर्ण कदम हैं।
- संकट की गंभीरता के बारे में सार्वजनिक जागरूकता हमारी बैंकिंग प्रणाली की सुरक्षा के लिये सामूहिक प्रयासों को प्रेरित कर सकती है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (c) |