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बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय

  • 08 Apr 2025
  • 2 min read

स्रोत: द हिंदू

8 अप्रैल को बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय की पुण्यतिथि मनाई गई और 19वीं शताब्दी के दौरान भारतीय साहित्य, राष्ट्रवाद और बंगाल की सांस्कृतिक जागृति में उनके योगदान का स्मरण किया गया।

  • प्रारंभिक जीवन: बंकिम का जन्म 27 जून 1838 को पश्चिम बंगाल के नैहाटी में हुआ। वह एक मेधावी छात्र थे और अपनी पढ़ाई पूरी करने के उपरांत ब्रिटिश सेवा में शामिल हो गए।
  • राष्ट्रवाद और साहित्य: आनंदमठ (अंग्रेज़ों द्वारा प्रतिबंधित) जैसी कृतियों के माध्यम से, जिसमें संन्यासी विद्रोह का वर्णन है, बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने भारत के स्वतंत्रता संघर्ष में अत्यंत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
    • भारत का राष्ट्र गीत, वंदे मातरम, बंकिम के आनंदमठ से लिया गया है, जो स्वतंत्रता आंदोलन का प्रतीक बन गया।
  • प्रसिद्ध कृतियाँ: राजमोहन्स वाइफ (1864) (भारतीय द्वारा अंग्रेज़ी में रचित पहला उपन्यास)। उनके उपन्यास दुर्गेशनंदिनी (1865), कपालकुंडला (1866) और विषबृक्ष (1873) में महिला अधिकार, बाल विवाह और जातिगत भेदभाव जैसे सामाजिक मुद्दों पर चर्चा की गई।
    • इसके अतिरिक्त, उनकी उल्लेखनीय धार्मिक रचनाओं में कृष्ण चरित्र भी शामिल है।
  • बंगाल पुनर्जागरण में भूमिका: बंकिम ने साहित्यिक पत्रिका बंगदर्शन (1872) की शुरुआत की, जिसका बंगाली राष्ट्रवाद को बढ़ावा देने में अहम योगदान रहा।
    • बंगदर्शन का बंकिम का दृष्टिकोण शिक्षित और अशिक्षित वर्गों के बीच की विषमताओं को कम करना और बांग्ला अस्मिता को बढ़ावा देना था।
      • बंगदर्शन से अत्यधिक प्रभावित रबींद्रनाथ टैगोर ने बाद में पत्रिका का पुनः प्रकाशन शुरू किया और इसके माध्यम से राष्ट्रवादी लेखों का प्रसार किया।

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