इंदौर शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 11 नवंबर से शुरू   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


प्रारंभिक परीक्षा

एक्सोलॉटल और अंग पुनर्योजन

  • 25 May 2023
  • 6 min read

सैलामैंडर (छिपकली जैसे उभयचर) की एक प्रजाति एक्सोलॉटल में खोए हुए शरीर के अंगों को पुन: उत्पन्न करने की असाधारण क्षमता होती है, जो शोधकर्त्ताओं को इस अनूठी पुनर्योजी शक्ति के रहस्यों को जानने के लिये प्रेरित करती है।

  • उनकी जाँच उसके रहस्यमयी o (ओवा की कमी) जीन को समझने पर केंद्रित है, जो एक्सोलॉटल की पुनर्योजन प्रक्रिया में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

एक्सोलॉटल:

  • परिचय:  
    • एक्सोलॉटल उभयचर हैं जो अपना पूरा जीवन जल में व्यतीत करते हैं। वे केवल एक ही स्थान पर (मेक्सिको सिटी के पास ज़ोचिमिल्को झील में) पाए जाते हैं। यह झील कृत्रिम धाराओं, छोटी झीलों और अस्थायी आर्द्रभूमियों का एक नेटवर्क है जो मेक्सिको सिटी के 18 मिलियन निवासियों को जल की आपूर्ति करने में मदद करती है।
    • मनुष्यों की तरह एक्सोलॉटल में प्रत्येक जीन की दो प्रतियाँ होती हैं- एक पिता से विरासत में प्राप्त होती है और दूसरी माँ से।
  • शिकार:  
    • वे मोलस्क, कीड़े, कीट लार्वा, क्रस्टेशियंस और कुछ मछलियों को खाते हैं। 
  • प्रमुख विशेषताएँ:  
    • इसने अपने खोए हुए शरीर के अंगों को पुन: उत्पन्न करने की क्षमता और चिरभ्रूणता के दुर्लभ गुणों के चलते वैज्ञानिकों का ध्यान आकर्षित किया है, जिसका अर्थ है कि ये जीवन भर लार्वा सुविधाओं को बनाए रखते हैं।   
      • कैंसर शोधकर्त्ताओं द्वारा कैंसरयुक्त ऊतकों के अद्वितीय प्रतिरोध विकास की विशेषताओं के लिये भी इनका अध्ययन किया जाता है।
    • प्राकृतिक रूप से ये उभयचर हैं लेकिन जीवन भर अक्षतंतु (एक्सोलॉटल) जल में रहते हैं तथा अब ये लगभग विलुप्त हो चुके हैं।
  • खतरा:  
    • आवास की हानि (मेक्सिको सिटी का व्यापक स्तर पर निरंतर शहरीकरण), जल प्रदूषण और आक्रामक मछली प्रजातियों (जैसे कार्प एवं तिलापिया, जो भोजन के लिये एक्सोलॉटल के साथ प्रतिस्पर्द्धा करते हैं तथा उनका शिकार करते हैं) के संयोजन के कारण एक्सोलॉटल की आबादी में काफी गिरावट आई है। 
  • सुरक्षा की स्थिति:  

अंग पुनर्योजन:

  • परिचय:  
    • अंग पुनर्योजन जीवित जीवों में क्षतिग्रस्त या नष्ट हुए अंगों या ऊतकों को बहाल करने या बदलने की प्रक्रिया है। यह एक आकर्षक घटना है जो पौधों से लेकर जानवरों तक विभिन्न प्रजातियों में व्यापक रूप से भिन्न होती है।  
    • अंग पुनर्जनन में चिकित्सा अनुप्रयोगों के लिये बहुत अधिक संभावनाएँ हैं, जैसे कि मानव अंगों को प्रभावित करने वाली चोटों और बीमारियों का इलाज करना।
  • प्रमुख प्रक्रियाएँ:  
    • रीमॉडलिंग: इसमें नई संरचनाओं को बनाने के लिये मौजूदा ऊतकों को फिर से आकार देना और पुनर्गठित करना शामिल है।
      • उदाहरण के लिये पौधे और कुछ समुद्री जीव, जैसे- जेलिफिश अपने शेष ऊतकों को बड़े पैमाने पर रीमॉडलिंग करके नष्ट हुए हिस्सों  को बहाल कर सकते हैं।
    • ब्लास्टेमा गठन: इसमें चोट के स्थान पर अविभाजित कोशिकाओं का एक समूह विकसित करना शामिल है जो विभिन्न प्रकार की कोशिकाओं में अंतर कर सकते हैं और नए ऊतकों एवं अंगों का निर्माण कर सकते हैं।
      • उदाहरण के लिये सैलामैंडर जैसे कुछ जीव पहले एक ब्लास्टेमा का गठन कर नष्ट हुए हिस्सों  को पुन: उत्पन्न कर सकते हैं।
    • प्रतिपूरक अतिवृद्धि: इसमें एक अंग के शेष भाग के आकार और कार्य को बढ़ाना शामिल है ताकि दूसरे भाग के नुकसान की भरपाई की जा सके।
      • उदाहरण के लिये इंसानों में अगर एक किडनी निकाल दी जाती है, तो दूसरी बड़ी हो जाती है।
    • जीवों के अन्य उदाहरण जो अंगों को पुनर्योजी कर सकते हैं:
    • प्लेनेरियन, ज़ेब्राफिश और समुद्री खीरा (Sea Cucumber)।

स्रोत: द हिंदू

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2