एशियाई हाथी | 12 Feb 2025
स्रोत: द हिंदू
एशियाई हाथियों (एलिफस मैक्सिमस) पर किये गए एक अध्ययन से उनकी ध्वनि के बारे में नई जानकारी सामने आई है।
- मुख्य निष्कर्ष: एशियाई हाथी ध्यान आकर्षित करने और भावनाओं को व्यक्त करने के लिये तुरही, दहाड़, गड़गड़ाहट और चहचहाने का उपयोग करते हुए संवाद करते हैं।
- पहले यह माना जाता था कि तुरही मुख्य रूप से मानवीय व्यवधानों की प्रतिक्रिया है, लेकिन नए निष्कर्षों से पता चलता है कि इसका उपयोग सामाजिक अंतःक्रियाओं और भावनाओं को व्यक्त करने में किया जाता है।
- एशियाई हाथी:
- उप-प्रजातियाँ: एशियाई हाथियों की तीन उप-प्रजातियाँ हैं- भारतीय, सुमात्रा और श्रीलंकाई।
- जनसंख्या: 13 देशों में विखंडित आबादी 50,000 से भी कम रह गई है।
- निवास स्थान: घास के मैदानों, झाड़ियों, सदाबहार और पर्णपाती वनों में पाया जाता है।
- आकार और स्वरूप: अफ्रीकी हाथियों से छोटे तथा तुलनात्मक रूप से छोटे कान।
- महत्त्व: जंगलों की भलाई के लिये एक आवश्यक प्रजाति, हाथी भारत के प्राकृतिक विरासत पशु हैं। वे पानी की तलाश तथा वन पुनर्जनन के लिये साफ-सफाई करके अन्य प्राणियों की मदद करते हैं।
- संरक्षण स्थिति:
- IUCN रेड लिस्ट: लुप्तप्राय
- वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972: अनुसूची I
- वन्य जीव और वनस्पति की लुप्तप्राय प्रजातियों में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन (CITES): परिशिष्ट I
- भारत की पहल: प्रोजेक्ट टाइगर एवं एलीफेंट को पूर्ववर्ती प्रोजेक्ट टाइगर और प्रोजेक्ट एलीफेंट योजनाओं को मिलाकर शुरू किया गया, जिसका उद्देश्य हाथियों और उनके आवासों की सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करना है।
- 14 प्रमुख हाथी राज्यों में 33 हाथी रिज़र्व स्थापित किये गए हैं (सबसे अधिक जनसंख्या कर्नाटक में है, उसके बाद असम और केरल का स्थान है)।
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