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रैपिड फायर

अरोमा मिशन

  • 29 Jan 2025
  • 2 min read

स्रोत: पी.आई.बी.

विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री ने कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र के साथ-साथ जम्मू एवं कश्मीर (J&K) भी अरोमा मिशन की प्राथमिकता सूची में रहा है। 

  • परिचय: इसे जम्मू-कश्मीर में शुरू किया गया था और इसका उद्देश्य सुगंधित फसलों की खेती और आवश्यक तेलों के उत्पादन को बढ़ाकर भारत के अरोमा उद्योग को बढ़ावा देना है। इसे लैवेंडर क्रांति के नाम से जाना जाता है।
    • सुगंधित फसलें (जैसे गुलाब, पुदीना), सुगंधित तेलों के लिये उगाए जाने वाले पौधे हैं, जिनका उपयोग सौंदर्य प्रसाधन एवं अरोमाथेरेपी जैसे उद्योगों में किया जाता है।
  • लक्ष्य: यह उच्च मूल्य वाली सुगंधित फसलों जैसे लेमनग्रास, लैवेंडर, वेटिवर, पामारोसा और अन्य की खेती पर केंद्रित है।
  • संबंधित पहल: किसानों को उन्नत प्रौद्योगिकियाँ और सुविधाएँ प्रदान करने के क्रम में CSIR-उत्तर पूर्व विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी संस्थान (CSIR-NEIST), जोरहाट में इनक्यूबेशन एवं इनोवेशन कॉम्प्लेक्स (आईआईसीओएन) का उद्घाटन किया गया।
    • CSIR-NEIST द्वारा पूर्वोत्तर में 5,000 से अधिक हेक्टेयर में सुगंधित फसलें उगाने में भूमिका निभाने के साथ 39 आवश्यक तेल आसवन इकाइयाँ स्थापित की गई हैं।
  • संभावित प्रभाव: इसके तहत प्रतिवर्ष 300 करोड़ रुपए से अधिक मूल्य के 2000 टन से अधिक उच्च गुणवत्ता वाले आवश्यक तेलों का उत्पादन लक्षित है।
    • इससे ग्रामीण क्षेत्र में 60 लाख मानव दिवस रोज़गार सृजित होने तथा किसानों की आय में प्रतिवर्ष 60,000 से 70,000 रुपए प्रति हेक्टेयर की वृद्धि होने की उम्मीद है।
  • नोडल एजेंसी: इसकी नोडल एजेंसी CSIR-केंद्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान (CSIR-CIMAP), लखनऊ है। 

और पढ़ें: अरोमा मिशन और फ्लोरीकल्चर मिशन

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