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विमान नियमावली, 1937 में संशोधन

  • 19 Oct 2023
  • 5 min read

स्रोत: पी.आई.बी.

हाल ही में नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने विमानन विनियमन के तहत सुरक्षा और व्यापार करने में आसानी को बढ़ावा देने के उद्देश्य से विमान नियमावली, 1937 में संशोधन को अधिसूचित किया है।

  • ये संशोधन भारत के विमानन नियमों को अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (International Civil Aviation Organization- ICAO) के मानकों और अनुशंसित प्रथाओं (SARP) तथा अंतर्राष्ट्रीय सर्वोत्तम प्रथाओं के साथ संरेखित करते हैं।

विमान नियमावली, 1937 में प्रमुख संशोधन:

  • लाइसेंस की वैधता का विस्तार:
    • संशोधन ने एयरलाइन ट्रांसपोर्ट पायलट लाइसेंस (ATPL) और कमर्शियल पायलट लाइसेंस (CPL) धारकों के लाइसेंस की वैधता पाँच साल से बढ़ाकर दस साल कर दी।
    • इस बदलाव से लाइसेंसिंग प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने और नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) जैसे- पायलट्स एवं विमानन प्राधिकरणों पर प्रशासनिक बोझ कम होने का अनुमान है।
  • फाल्‍स लाइट पर बेहतर नियंत्रण:
    • संशोधन में विभिन्न स्रोतों को शामिल करने के लिये "लाइट" की परिभाषा को स्पष्ट किया गया और सरकार के अधिकार क्षेत्र को एक हवाई अड्डे के आसपास 5 किलोमीटर से 5 समुद्री मील तक बढ़ा दिया गया है।
    • इसने सरकार को विमान संचालन में बाधा डालने वाली लाइट प्रदर्शित करने वाले व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार दिया और अज्ञात स्रोत वाली लाइट के मामले में सरकार हस्तक्षेप कर सकती है तथा भारतीय दंड संहिता (IPC) के तहत कानूनी कार्रवाई के लिये संबंधित अधिकारियों को मामले की रिपोर्ट कर सकती है।
  • निरर्थक नियम को हटाना:
    • विदेशी लाइसेंसों के सत्यापन से संबंधित नियम 118 को विमानन क्षेत्र की उभरती ज़रूरतों के साथ नियमों को संरेखित करने के लिये हटा दिया गया था।
  • हवाई यातायात नियंत्रक लाइसेंस के लिये उदारीकृत आवश्यकताएँ:
    • इस संशोधन ने एयर ट्रैफिक कंट्रोलर लाइसेंस धारकों के लिये नवीनता और योग्यता आवश्यकताओं में लचीलापन प्रदान किया है, जिससे सिम्युलेटेड अभ्यास, आपात स्थिति एवं कौशल मूल्यांकन करने की अनुमति मिल गई।
    • यह निरंतर क्षमता सुनिश्चित करता है, विशेष रूप से सीमित गतिविधियों या वॉच ऑवर के दौरान।

इन संशोधनों का महत्त्व: 

  • ये संशोधन हवाई अड्डों के आसपास "फॉल्स लाइट्स" के प्रदर्शन से संबंधित चिंताओं का समाधान करके विमानन सुरक्षा को बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
  • विस्तारित क्षेत्राधिकार और स्पष्ट परिभाषाएँ एक सुरक्षित परिचालन परिवेश सुनिश्चित करती हैं, जिससे विमान संचालन में संभावित खतरों एवं व्यवधानों को कम किया जाता है।
  • सुव्यवस्थित लाइसेंसिंग प्रक्रिया और अनावश्यक नियमावलियों को हटाने से अधिक व्यापार-अनुकूल वातावरण में योगदान मिल सकता है, निवेश आकर्षित हो सकता है तथा विमानन उद्योग में विकास को बढ़ावा मिल सकता है।

ICAO का परिचय:

  • यह संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष एजेंसी है जिसे वर्ष 1944 में दुनिया भर में सुरक्षित, संरक्षित और कुशल हवाई परिवहन को बढ़ावा देने के लिये बनाया गया था।
  • ICAO विमानन के लिये अंतर्राष्ट्रीय मानकों और अनुशंसित प्रथाओं को विकसित करता है, जिसमें हवाई नेविगेशन, संचार और हवाई अड्डे के संचालन के लिये नियम शामिल हैं।
  • यह हवाई यातायात प्रबंधन, विमानन सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण जैसे वैश्विक विमानन मुद्दों को संबोधित करने के लिये भी काम करता है।
  • इसका मुख्यालय मॉन्ट्रियल, कनाडा में है।
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