टेम्स नदी में शैवाल प्रस्फुटन | 03 Mar 2025

स्रोत: डाउन टू अर्थ

एक अध्ययन के अनुसार टेम्स नदी (इंग्लैंड) में गत चार दशकों में फास्फोरस की मात्रा में 80% की कमी आई है किंतु जलवायु परिवर्तन के कारण नदी में शैवाल प्रस्फुटन का खतरा बढ़ रहा है।

  • शैवाल प्रस्फुटन का तात्पर्य अलवणीय, लवणीय अथवा नुनखारे जल में सूक्ष्म शैवाल अथवा शैवाल जैसे जीवाणुओं की अतिवृद्धि से है।

मुख्य निष्कर्ष:

  • नदियों के बढ़ते तापमान के कारण वसंत में डायटम और ग्रीष्म ऋतु में साइनोबैक्टीरियल (नील-हरित शैवाल) की वृद्धि हो रही है, जिससे ऑक्सीजन की कमी हो रही है, जलीय जीवन को नुकसान पहुँच रहा है, तथा पेयजल उपचार की लागत बढ़ रही है।
    • शैवाल प्रस्फुटन के कारण मत्स्यन और तैराकी जैसी मनोरंजक गतिविधियाँ भी प्रतिबंधित हो जाती हैं ।
  • वर्ष 1985 के बाद से फास्फोरस में 80% की कमी के बावजूद, इसकी सांद्रता सुरक्षित सीमा से ऊपर बनी हुई है, जिससे शैवाल की वृद्धि जारी है।
    • नाइट्रोजन और फास्फोरस की अधिकता से सूर्य प्रकाश अवरुद्ध होता है और ऑक्सीजन की कमी होती है, जो समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र के लिये जोखिमपूर्ण है।

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टेम्स नदी:

  • इसकी लंबाई 346 किमी. है (इंग्लैंड की सबसे लंबी नदी, रिवर सेवर्न के बाद यूनाइटेड किंगडम में दूसरा सबसे लंबी नदी) ।
  • यह नदी टेम्स हेड, ग्लॉस्टरशायर से निकलती है, तथा टेम्स ज्वारनदमुख के मुहाने पर नोर सैंडबैंक के माध्यम से उत्तरी सागर में गिरती है।
    • लंदन टेम्स नदी के तट पर स्थित है
  • इससे लंदन के दो-तिहाई पेयजल की आपूर्ति होती है और यह एक महत्त्वपूर्ण व्यापार मार्ग रहा है।

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