प्रारंभिक परीक्षा
गुरु अमरदास का 450 वाँ ज्योति जोत दिवस
- 18 Sep 2024
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स्रोत: TT
चर्चा में क्यों?
हाल ही में तीसरे सिख गुरु, गुरु अमरदास जी का 450 वाँ ज्योति जोत दिवस मनाया गया।
श्री गुरु अमरदास जी कौन थे?
- परिचय:
- अमृतसर ज़िले के बसरके में वर्ष 1479 में जन्मे श्री गुरु अमरदास जी का पालन-पोषण एक रूढ़िवादी हिंदू परिवार में हुआ था।
- वह गुरु नानक देव जी की गुरबानी से बहुत प्रेरित हुए और उन्होंने गुरु अंगद देव जी को अपना आध्यात्मिक मार्गदर्शक बना लिया।
- मार्च 1552 में 73 वर्ष की आयु में इन्हें तीसरे गुरु (गुरु अंगद जी के बाद) के रूप में नियुक्त किया गया, इन्होंने गोइंदवाल में अपना मुख्य केंद्र स्थापित किया।
- प्रमुख योगदान:
- गुरु अमरदास जी ने सिख धर्म की शिक्षाओं के प्रसार को सुगम बनाने के लिये सिख समुदाय को 22 प्रशासनिक ज़िलों (मंजियों) में विभाजित किया।
- इन्होंने समानता और समभाव को बढ़ावा देने के उद्देश्य से, आगंतुकों से मिलने से पूर्व भोजन ग्रहण को महत्त्वपूर्ण माना एवं इसके लिये' गुरु के लंगर' (सामुदायिक रसोई) की परंपरा को सुदृढ़ किया।
- सम्राट अकबर के साथ इनके संवाद के उपरांत गैर-मुसलमानों के लिये तीर्थयात्री कर को समाप्त कर दिया गया था जिससे पारस्परिक संबंधों में सुदृढ़ता आई।
- इन्होंने सामाजिक अन्याय के विरुद्ध सक्रिय अभियान चलाया और सिखों में सती प्रथा एवं पर्दा प्रथा को समाप्त किया।
- इन्होंने आनंद कारज विवाह समारोह की शुरुआत की।
- इनकी विरासत एवं अंतिम वर्ष:
- गुरु अमरदास जी ने गोइंदवाल साहिब में एक बावड़ी का निर्माण कराया, जिससे यह एक महत्त्वपूर्ण सिख तीर्थ स्थल बन गया।
- इन्होंने 869 सबदों की रचना की (हालाँकि कुछ विवरण बताते हैं कि उनकी संख्या 709 थी), जिनमें आनंद साहिब भी शामिल है और गुरु अर्जन देव जी ने इन सभी सबदों को गुरु ग्रंथ साहिब में शामिल किया।
- 1 सितंबर, 1574 को 95 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया और वे एक महत्त्वपूर्ण विरासत छोड़ गए जो आज भी सिख समुदाय को प्रेरित कर रही है।
सिख गुरु और उनके प्रमुख योगदान |
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गुरु |
अवधि |
प्रमुख योगदान |
गुरु नानक देव |
1469-1539 |
सिख धर्म के संस्थापक; गुरु का लंगर शुरू किया (सामुदायिक रसोई); बाबर के समकालीन; 550 वीं जयंती करतारपुर गलियारे के साथ मनाई गई। |
गुरु अंगद |
1504-1552 |
गुरु-मुखी लिपि का आविष्कार; गुरु का लंगर (सामुदायिक रसोई) की प्रथा को लोकप्रिय बनाया। |
गुरु अमर दास |
1479-1574 |
आनंद कारज विवाह की शुरुआत की, सती प्रथा और पर्दा प्रथा को समाप्त किया, अकबर के समकालीन थे। |
गुरु राम दास |
1534-1581 |
वर्ष 1577 में अमृतसर की स्थापना की; स्वर्ण मंदिर का निर्माण शुरू किया। |
गुरु अर्जुन देव |
1563-1606 |
वर्ष 1604 में आदि ग्रंथ की रचना की; स्वर्ण मंदिर का निर्माण पूरा किया गया; जहाँगीर द्वारा इसका निर्माण कराया गया। |
गुरु हरगोबिंद |
1594-1644 |
सिखों को एक सैन्य समुदाय में परिवर्तित किया; अकाल तख्त (सिख धर्म की धार्मिक सत्ता का मुख्य केंद्र) की स्थापना की; जहाँगीर और शाहजहाँ के विरुद्ध संघर्ष किया। |
गुरु हर राय |
1630-1661 |
औरंगजेब के साथ शांति को बढ़ावा दिया; धर्मप्रचार के कार्यों पर ध्यान केंद्रित किया। |
गुरु हरकिशन |
1656-1664 |
सबसे युवा गुरु; इस्लाम विरोधी ईशनिंदा के संबंध में औरंगजेब द्वारा इन्हें अपने समक्ष उपस्थित होने का आदेश दिया गया। |
गुरु तेग बहादुर |
1621-1675 |
आनंदपुर साहिब की स्थापना की । |
गुरु गोबिंद सिंह |
1666-1708 |
वर्ष 1699 में खालसा पंथ की स्थापना की; इन्होंने एक नया संस्कार "पाहुल" (Pahul) शुरू किया, ये मानव रूप में अंतिम सिख गुरु थे और इन्होंने ‘गुरु ग्रंथ साहिब’ को सिखों के गुरु के रूप में नामित किया । |
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इनमें से कौन उस समय उपदेश देता था/देते थे जब लोदी वंश का पतन हुआ तथा बाबर सत्तारुढ़ हुआ? (a) केवल 1 और 3 उत्तर: (b) |