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स्वामी विवेकानंद के 1893 के शिकागो भाषण की 132वीं वर्षगाँठ

  • 13 Sep 2024
  • 3 min read

स्रोत: पी.आई.बी.

हाल ही में स्वामी विवेकानंद के 1893 के शिकागो भाषण की 132 वीं वर्षगाँठ पर भारत के प्रधानमंत्री ने इस भाषण के एकता, शांति और भाईचारे के संदेश पर प्रकाश डाला तथा पीढ़ियों तक इसकी निरंतर प्रेरणा के महत्त्व को दर्शाया।

  • स्वामी विवेकानंद, जो पश्चिमी देशों को हिंदू धर्म, योग और वेदांत का परिचय कराने वाले प्रमुख व्यक्ति थे, ने वर्ष 1893 में शिकागो में विश्व धर्म संसद (Parliament of the World’s Religions-PWR) में धार्मिक सहिष्णुता का समर्थन किया था। 
    • उन्होंने संप्रदायवाद/संप्रदायिकता, कट्टरता (किसी भी मत के प्रति पूर्ण असहिष्णुता) और कट्टरता की निंदा की, यहूदियों व पारसियों को आश्रय देने के साथ हिंदू धर्म की समावेशिता पर प्रकाश डाला तथा अपने संदेश को भगवद्गीता सार्वभौमिक एकता की शिक्षा के साथ जोड़कर प्रस्तुत किया।
  • PWR की शुरुआत वर्ष 1893 में शिकागो में आयोजित विश्व कोलंबियाई प्रदर्शनी से हुई थी, यह अंतर-धार्मिक संवाद हेतु एक वैश्विक मंच के रूप में कार्य करता है। यह शिकागो में स्थित एक अंतर्राष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठन है जो संयुक्त राष्ट्र के सार्वजनिक सूचना विभाग (United Nations Department of Public Information) से संबद्ध है।
  • स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी, 1863 को कलकत्ता में हुआ था इनका बचपन का नाम नरेंद्रनाथ दत्त था। वह रामकृष्ण परमहंस के शिष्य थे और सेवा, शिक्षा तथा आध्यात्मिक उत्थान के सिद्धांत के पक्षधर थे। 
  • उन्होंने अद्वैत वेदांत के आदर्शों का प्रचार करने के लिये वर्ष 1897 में रामकृष्ण मिशन की स्थापना की। उनकी मृत्यु वर्ष 1902 में रामकृष्ण मठ और रामकृष्ण मिशन के मुख्यालय बेलूर मठ में हुई।
  • प्रत्येक वर्ष स्वामी विवेकानंद की जयंती को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है।

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