प्रारंभिक परीक्षा
108वीं भारतीय विज्ञान कॉन्ग्रेस
- 05 Jan 2023
- 6 min read
हाल ही में प्रधानमंत्री द्वारा भारतीय विज्ञान कॉन्ग्रेस (Indian Science Congress- ISC) के 108वें सत्र का उद्घाटन किया गया।
- इस सम्मेलन का मुख्य विषय ‘महिला सशक्तीकरण के साथ सतत् विकास के लिये विज्ञान और प्रौद्योगिकी’ है।
प्रमुख बिंदु:
- महिलाओं की भागीदारी का महत्त्व:
- महिलाओं की भागीदारी में वृद्धि समाज और विज्ञान की प्रगति का प्रतिबिंब है।
- आज विज्ञान के माध्यम से महिलाओं के सशक्तीकरण के साथ-साथ महिलाओं की भागीदारी से विज्ञान के सशक्त होने का युग है।
- बाह्य अनुसंधान में महिलाओं की भागीदारी पिछले आठ वर्षों में दोगुनी हो गई है।
- भारत को G20 की अध्यक्षता करने का अवसर प्राप्त है।
- महिलाओं के नेतृत्त्व में विकास उच्च प्राथमिकता वाले विषयों में से एक है।
- भारत की उपलब्धियाँ:
- पीएचडी शोध कार्यों और स्टार्टअप इकोसिस्टम की संख्या के मामले में भारत अब विश्व के शीर्ष तीन देशों में से एक है।
- वर्ष 2015 में 81वें स्थान की तुलना में भारत वैश्विक नवाचार सूचकांक 2022 में 40वें स्थान पर है।
- वैज्ञानिक विकास का उदेश्य अंततः देश की आत्मनिर्भरता होनी चाहिये।
- वर्तमान युग में विज्ञान का महत्त्व:
- विज्ञान तभी सफल है जब प्रौद्योगिकियों के उपयोग के साथ ज़मीनी स्तर पर भी काम किया जाए।
- वर्ष 2023 को अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष घोषित किये जाने के साथ ही भारत में बाजरा/मोटे अनाज और उनके उपयोग को विज्ञान के माध्यम से और बेहतर बनाए जाने की आवश्यकता है।
- वैज्ञानिक समुदाय को जैव प्रौद्योगिकी की मदद से फसल कटाई के बाद होने वाले नुकसान को कम करने की दिशा में काम करना चाहिये।
- ऊर्जा नवाचार:
- राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन पर ध्यान केंद्रित करने के लिये वैज्ञानिक समुदाय की आवश्यकता का समर्थन किया गया और इसे सफल बनाने हेतु भारत में इलेक्ट्रोलाइज़र जैसे महत्त्वपूर्ण उपकरणों के निर्माण की आवश्यकता पर भी बल दिया गया।
- राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन भारत के 75वें स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त, 2021) पर लॉन्च किया गया था।
- राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन पर ध्यान केंद्रित करने के लिये वैज्ञानिक समुदाय की आवश्यकता का समर्थन किया गया और इसे सफल बनाने हेतु भारत में इलेक्ट्रोलाइज़र जैसे महत्त्वपूर्ण उपकरणों के निर्माण की आवश्यकता पर भी बल दिया गया।
- अन्य बिंदु:
- डेटा संग्रह और विश्लेषण के बढ़ते महत्त्व और आधुनिक ज्ञान के साथ-साथ पारंपरिक ज्ञान के महत्त्व पर भी ज़ोर दिया गया है।
- भारत में तेज़ी से बढ़ते अंतरिक्ष क्षेत्र में कम लागत वाले उपग्रह प्रक्षेपण वाहनों की भूमिका को स्वीकार किया गया और क्वांटम कंप्यूटिंग के महत्त्व पर बल दिया गया।
- भविष्योन्मुखी विचारों और उन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने पर बल दिया गया, साथ ही कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence- AI), ऑगमेंटेड रियलिटी (Augmented Reality- AR) एवं वर्चुअल रियलिटी (Virtual Reality- VR) को प्राथमिकता के रूप में महत्त्व देने पर ज़ोर दिया गया है।
भारतीय विज्ञान कॉन्ग्रेस:
- परिचय:
- वर्ष 1914 से ही देश में भारतीय विज्ञान कॉन्ग्रेस अपनी तरह का अनूठा आयोजन है।
- यह न केवल प्रमुख संस्थानों और प्रयोगशालाओं के वैज्ञानिकों एवं शोधकर्त्ताओं को बल्कि कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के विज्ञान शिक्षकों व प्रोफेसरों को भी साथ लाती है।
- यह विज्ञान से संबंधित मामलों पर छात्रों और सामान्य जनता के बीच आपसी वार्तालाप के लिये एक मंच प्रदान करती है।
- यह भारतीय विज्ञान का एक ऐसा उत्सव है जिसका शानदार अतीत रहा है और जिसमें भारतीय विज्ञान के मेधावी भाग लेते हैं तथा कार्यक्रम का आयोजन करते हैं।
- भारतीय विज्ञान कॉन्ग्रेस का पहला अधिवेशन 1914 में हुआ था।
- आयोजक:
- भारतीय विज्ञान कॉन्ग्रेस एसोसिएशन (ISCA)।
- यह केंद्र सरकार में विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) के सहयोग से कार्यरत एक स्वतंत्र निकाय है।
- भारतीय विज्ञान कॉन्ग्रेस एसोसिएशन (ISCA)।
- विज्ञान कॉन्ग्रेस का पतन:
- हाल के दिनों में निम्नलिखित घटनाओं के कारण इस आयोजन ने लोगों का ध्यान आकर्षित किया है:
- महत्त्वपूर्ण चर्चा का अभाव, छद्म विज्ञान का प्रचार, यादृच्छिक वक्ताओं द्वारा उद्देश्य रहित दावे और तार्किक परिणामों की अनुपस्थिति।
- नतीजतन, कई शीर्ष वैज्ञानिकों ने इस आयोजन को बंद करने या कम-से-कम सरकार द्वारा समर्थन वापस लेने की वकालत की है।
- सरकार विज्ञान कॉन्ग्रेस के आयोजन के लिये वार्षिक अनुदान देती है।
- इसके अलावा भारतीय विज्ञान कॉन्ग्रेस (ISC) के आयोजन में सरकार की कोई भूमिका नहीं है।
- हाल के दिनों में निम्नलिखित घटनाओं के कारण इस आयोजन ने लोगों का ध्यान आकर्षित किया है: