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बेलगाम कॉन्ग्रेस अधिवेशन के 100 वर्ष

  • 27 Dec 2024
  • 8 min read

स्रोत: द हिंदू 

चर्चा में क्यों?

वर्ष 1924 के बेलगाम कॉन्ग्रेस अधिवेशन की शताब्दी का आयोजन 26-27 दिसंबर 2024 को कर्नाटक के बेलगाम में किया गया।

  • यह आयोजन बेलगाम में ऐतिहासिक 39वें अखिल भारतीय कॉन्ग्रेस अधिवेशन की महात्मा गांधी की अध्यक्षता के स्मरण में होता है, जहाँ उन्होंने कॉन्ग्रेस पार्टी की विचारधारा एवं संगठनात्मक संरचना में प्रमुख योगदान दिया था। 

वर्ष 1924 के कॉन्ग्रेस के बेलगाम अधिवेशन का क्या महत्त्व है?

  • गांधी जी का नेतृत्व: यह एकमात्र कॉन्ग्रेस अधिवेशन था जिसकी अध्यक्षता गांधी जी ने पार्टी प्रमुख के रूप में की थी। गांधी, दिसंबर 1924 से अप्रैल 1925 तक कॉन्ग्रेस अध्यक्ष के पद पर रहे।
    • वर्ष 1916 में गांधी ने बेलगाम की पहली यात्रा स्थानीय नेता देशपांडे के निमंत्रण पर की थी।
  • सामाजिक परिवर्तन पर बल: गांधी ने अस्पृश्यता को समाप्त करने, खादी को बढ़ावा देने तथा ग्रामोद्योग को समर्थन देने पर बल दिया, जिससे कॉन्ग्रेस के तहत राजनीतिक स्वतंत्रता एवं सामाजिक सुधार दोनों के लिये आंदोलन शुरू हुआ।
    • कॉन्ग्रेस सदस्यों के लिये खादी कातना अनिवार्य था और मासिक रूप से 2,000 गज खादी कपड़ा बनाना अनिवार्य था।
    • गांधी ने कॉन्ग्रेस की सदस्यता शुल्क में 90% की कटौती की।
  • हिंदू-मुस्लिम एकता: गांधी ने इस मंच का उपयोग हिंदू-मुस्लिम एकता की वकालत करने के लिये किया, जो व्यापक स्वतंत्रता आंदोलन के लिये आवश्यक था। 
  • सामाजिक और आर्थिक उत्थान: गांधीजी ने स्वच्छता, नगर नियोजन और किसानों के आर्थिक उत्थान के लिये गायों के उपयोग जैसे मुद्दों पर भी ध्यान केंद्रित किया, जिसमें गौरक्षा पर विशेष ध्यान दिया गया। 
    • उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि गौरक्षा के लिये उनकी वकालत का धर्मांतरण या मुसलमानों के खिलाफ हिंसा से कोई संबंध नहीं है।
    • उन्होंने सफाई स्वयंसेवकों की प्रशंसा यह देखते हुए कि इसमें 70 में से 40 ब्राह्मण थे, उन्होंने विभिन्न जातियों की सामाजिक सेवा पर ज़ोर दिया। 
    • उन्होंने अधिवेशन में VIP पर अत्यधिक व्यय की आलोचना की तथा भविष्य के अधिवेशनों में सभी सदस्यों के साथ समान व्यवहार करने का आह्वान किया।
  • सांस्कृतिक महत्त्व: इस अधिवेशन में उल्लेखनीय संगीत प्रस्तुतियाँ दी गईं, जिनमें हिंदुस्तानी संगीत के उस्ताद विष्णु दिगंबर पलुस्कर और युवा गंगूबाई हंगल ने हिस्सा लिया, साथ ही कन्नड़ गीत "उदयवगली नम्मा चलुवा कन्नड़ नाडु" भी प्रस्तुत किया गया।
  • अधिवेशन की विरासत: अधिवेशन के लिये खोदा गया पंपा सरोवर कुआँ, दक्षिण बेलगावी के कुछ हिस्सों को जलापूर्ति करता है।

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भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस के प्रमुख अधिवेशन

  • 1885: बंबई में प्रथम अधिवेशन, डब्ल्यू.सी. बनर्जी की अध्यक्षता में - भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस का गठन।
  • 1886: कलकत्ता में दूसरा अधिवेशन, दादाभाई नौरोजी की अध्यक्षता में।
  • 1887: मद्रास में तीसरा अधिवेशन, सैयद बदरुद्दीन तैयबजी की अध्यक्षता में - पहले मुस्लिम अध्यक्ष।
  • 1888: इलाहाबाद में चौथा अधिवेशन, जॉर्ज यूल की अध्यक्षता में - प्रथम अंग्रेज़ अध्यक्ष।
  • 1896: कलकत्ता - रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा राष्ट्रीय गीत 'वंदे मातरम' गाया गया।
  • 1901: कलकत्ता - कॉन्ग्रेस मंच पर गांधीजी की पहली उपस्थिति।
  • 1905: बनारस - स्वदेशी आंदोलन की औपचारिक घोषणा। गोपाल कृष्ण गोखले की अध्यक्षता में आयोजित।
  • 1906: कलकत्ता - राष्ट्रपति दादाभाई नौरोजी (अध्यक्ष) - स्वराज, बहिष्कार, स्वदेशी और राष्ट्रीय शिक्षा पर प्रस्ताव।
  • 1907: सूरत - रास बिहारी घोष (अध्यक्ष) - नरमपंथियों और गरमपंथियों के बीच विभाजन।
  • 1916: लखनऊ - राष्ट्रपति ए.सी. मजूमदार (अध्यक्ष) - नरमपंथियों और गरमपंथियों के बीच एकता; मुस्लिम लीग के साथ लखनऊ समझौता
  • 1917: कलकत्ता - राष्ट्रपति एनी बेसेंट (अध्यक्ष) - कॉन्ग्रेस की पहली महिला अध्यक्ष।
  • 1919: अमृतसर - राष्ट्रपति मोतीलाल नेहरू (अध्यक्ष) - खिलाफत आंदोलन के लिये समर्थन।
  • 1920: कलकत्ता - राष्ट्रपति लाला लाजपत राय (अध्यक्ष) - गांधीजी ने असहयोग प्रस्ताव पेश किया।
  • 1924: बेलगाम - महात्मा गांधी (अध्यक्ष)- गांधीजी की अध्यक्षता वाला एकमात्र अधिवेशन।
  • 1927: मद्रास - राष्ट्रपति डॉ. एम.ए. अंसारी (अध्यक्ष) - साइमन कमीशन के खिलाफ और पूर्ण स्वराज के लिये प्रस्ताव।
  • 1929: लाहौर - राष्ट्रपति जवाहरलाल नेहरू (अध्यक्ष)- पूर्ण स्वराज पर प्रस्ताव, सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरूआत।
  • 1931: कराची - राष्ट्रपति वल्लभभाई पटेल (अध्यक्ष)- मौलिक अधिकारों और राष्ट्रीय आर्थिक कार्यक्रम पर प्रस्ताव।
  • 1936: लखनऊ - राष्ट्रपति जवाहरलाल नेहरू (अध्यक्ष)- समाजवादी विचारों की ओर झुकाव।
  • 1938: हरिपुरा - राष्ट्रपति सुभाष चंद्र बोस (अध्यक्ष - राष्ट्रीय योजना समिति का गठन।
  • 1939: त्रिपुरी - राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद (अध्यक्ष)- बोस पुनः निर्वाचित लेकिन त्यागपत्र दे दिया; फॉरवर्ड ब्लॉक का गठन हुआ।
  • 1940: रामगढ़ - राष्ट्रपति अबुल कलाम आज़ाद (अध्यक्ष) - सविनय अवज्ञा आंदोलन स्थगित।
  • 1946: मेरठ - अध्यक्ष जे.बी. कृपलानी (अध्यक्ष)- स्वतंत्रता से पूर्व अंतिम अधिवेशन।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)  

प्रिलिम्स: 

प्रश्न: भारत में ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2019)

  1. 'बंधुआ मज़दूरी' की व्यवस्था को खत्म करने में महात्मा गांधी की अहम भूमिका थी।
  2.  लॉर्ड चेम्सफोर्ड के 'युद्ध सम्मेलन' में महात्मा गांधी ने विश्व युद्ध के लिये भारतीयों की भर्ती के प्रस्ताव का समर्थन नहीं किया।
  3.  भारतीय लोगों द्वारा नमक कानून तोड़ने के परिणामस्वरूप भारतीय राष्ट्रीय काॅन्ग्रेस को औपनिवेशिक शासकों द्वारा अवैध घोषित कर दिया गया था।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं?

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 1 और 3
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: B

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