नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


भारतीय अर्थव्यवस्था

फिनटेक सेक्टर की सुरक्षा

  • 24 Feb 2023
  • 14 min read

यह एडिटोरियल 21/02/2023 को ‘हिंदू बिजनेस लाइन’ में प्रकाशित “Trust as the guardrail for fintech” लेख पर आधारित है। इसमें नीति निर्माताओं द्वारा प्रभावी निगरानी और प्रवर्तन के लिये फिनटेक क्षेत्र नियामक की क्षमता का विस्तार करने की आवश्यकता के संबंध में चर्चा की गई है।

संदर्भ

भारत में फिनटेक क्षेत्र के वित्तपोषण में पिछले कुछ वर्षों में व्यापक वृद्धि नज़र आई है। इस क्षेत्र को वर्ष 2021 में 9.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर का वित्तपोषण प्राप्त हुआ जिसमें ‘पेमेंट’ खंड की प्रमुख हिस्सेदारी रही (भारत के समस्त फिनटेक वर्टिकल में फिनटेक फंडिंग का 53% हिस्सा)।

  • डिजिटल स्टैक (Digital Stack) के आगमन से पहले वित्तीय सेवाएँ काफी हद तक भारतीय उपभोक्ताओं के लिये ‘यथास्थितिजन्य’ रही थीं। यह भौतिक ब्रांड उपस्थिति की निरा शक्ति के प्रभुत्व में रहा है और एक समाधान प्रदाता होने के बजाय उत्पाद विक्रेता होने के बोझ का वहन किया है।
  • बढ़ी हुई डिजिटल क्षमताओं के साथ अधिक कुशल फर्मों ने बेहतर समाधान पेश करने के लिये उपभोक्ता सुविधा को संबोधित करने के उद्देश्य से डेटा साइंस और क्षमताओं का संयोजन शुरू किया है।
  • जहाँ तक उपभोक्ता संलग्नता और समाधान का संबंध है, फिनटेक कंपनियाँ उधारदारी, बीमा, संपत्ति प्रबंधन और धन प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में पारंपरिक खिलाड़ियों को चुनौती दे रही हैं।
  • उभरती प्रौद्योगिकी और वित्त के अभिसरण के युग में राजकोषीय लचीलापन बनाए रखने के लिये अपने पर्यवेक्षी परिखा (Supervisory Moats) के निर्माण का दायित्व इस क्षेत्र के नियामकों (Regulators) पर है। इसके लिये नियामकों को समयोचित बाज़ार निगरानी और इकाई-पर्यवेक्षण क्षमता सहित अपनी तकनीकी क्षमताओं का निर्माण करने की आवश्यकता होगी।

भारत में फिनटेक क्षेत्र की वर्तमान स्थिति

  • परिचय:
    • कोविड महामारी के दौरान फिनटेक क्षेत्र का अभूतपूर्व विस्तार हुआ है जहाँ फिनटेक स्टार्ट-अप्स की संख्या 7,500 को पार कर गई है। वर्ष 2014 से 2022 के मध्य तक इस क्षेत्र को 30 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक का वित्तपोषण प्राप्त हुआ।
    • अनुमान लगाया जाता है कि भारतीय फिनटेक वर्ष 2021 में 1.4 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की वित्तीय सेवाओं (Financial Services- FS) के समग्र एंटरप्राइज़ वैल्यू (Enterprise Value- EV) की तुलना में लगभग 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर के EV का प्रतिनिधित्व करते हैं।
    • भारतीय फिनटेक क्षेत्र वित्त वर्ष 2026-27 तक EV में लगभग 350 बिलियन अमेरिकी डॉलर प्राप्त कर सकता है, जो वित्तीय सेवाओं के EV में 15% से अधिक का योगदान देगा। इंश्योरटेक (Insuretechs) और वेल्थटेक (Wealthtechs) की भी यही स्थिति है।
      • वेल्थटेक प्रौद्योगिकी के उपयोग के माध्यम से निवेशकों के लिये धन पैदा करने पर पूरी तरह से केंद्रित है।
      • इंश्योरटेक का उपयोग प्रायः बीमा उद्योग में प्रौद्योगिकी के उपयोग का वर्णन करने के लिये किया जाता है।
  • विकास के चालक:
    • ग्राहक अधिग्रहण, अंडरराइटिंग, मूल्य निर्धारण एवं संग्रहण और ग्राहक सेवाओं में विभिन्न उत्पाद नवाचार इस क्षेत्र के विकास को गति देने वाले प्रमुख बल रहे हैं।
    • फिनटेक की तीव्र वृद्धि का श्रेय इन्हें भी दिया जा सकता है:
      • अनुकूल मैक्रोइकोनॉमिक एवं जनसांख्यिकीय कारकों को भी दिया जा सकता है, जिसमें उभरता हुआ मध्यम वर्ग भी शामिल है जो क्रय करने, उधार लेने, बचत करने और अधिक निवेश करने की उच्च व्यय-योग्य आय रखता है।
      • मोबाइल तक पहुँच और डिजिटल अंगीकरण की वृद्धि
      • देश में प्रचुर मात्रा में वित्तीय सेवाओं और प्रौद्योगिकी प्रतिभा की उपस्थिति
      • इक्विटी और ऋण पूंजी की उपलब्धता
      • अनुकूल वातावरण बनाने के लिये सरकारी पहल और नियामक प्रयास।

फिनटेक क्षेत्र के साथ वर्तमान में संबद्ध प्रमुख चुनौतियाँ

  • नियामक चुनौतियाँ:
    • भारत में फिनटेक क्षेत्र के समक्ष मौजूद प्रमुख चुनौतियों में से एक है- सुपरिभाषित नियामक ढाँचे की कमी।
    • इस क्षेत्र को कई प्राधिकरणों द्वारा नियंत्रित किया जाता है जिससे भ्रम और अस्पष्टता की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
  • वित्तपोषण तक पहुँच:
    • फिनटेक उद्योग में वृद्धि के बावजूद भारत में कई स्टार्ट-अप वित्तपोषण सुरक्षित कर सकने के लिये संघर्षरत रहे हैं।
    • ऐसा पारंपरिक निवेशकों के बीच इस क्षेत्र के बारे में समझ की कमी और फिनटेक स्टार्ट-अप पर ध्यान केंद्रित करने वाले उद्यम पूंजी फर्मों की सीमित संख्या के कारण है।
  • साइबर सुरक्षा:
    • डिजिटल लेन-देन में वृद्धि के साथ, साइबर सुरक्षा खतरों के बारे में भी चिंता बढ़ रही है।
      • भारत की कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम (CERT-IN) ने रिपोर्ट की है कि वर्ष 2022 की पहली छमाही में देश में 674,000 से अधिक साइबर सुरक्षा संबंधी घटनाएँ दर्ज हुईं।
  • जागरूकता की कमी:
    • भारत में बहुत से लोग अभी भी फिनटेक सेवाओं के लाभों से परिचित नहीं हैं।
    • फिनटेक कंपनियों को अपनी पेशकशों और ग्राहकों के लिये उनके द्वारा लाए जाने वाले मूल्य के बारे में जागरूकता बढ़ाने पर कार्य करने की आवश्यकता है।
  • पारंपरिक बैंकों से प्रतिस्पर्द्धा:
    • पारंपरिक बैंक भी अपनी डिजिटल पेशकशों का विस्तार कर रहे हैं, जिससे फिनटेक कंपनियों के लिये तीव्र प्रतिस्पर्द्धा उत्पन्न हो रही है।
    • फिनटेक स्टार्ट-अप्स को पारंपरिक बैंकों से स्वयं को अलग प्रकट करने के लिये नवोन्मेष पर आगे बढ़ने और अनूठे समाधान पेश करने की ज़रूरत है।
  • अपर्याप्त बुनियादी ढाँचा:
    • फिनटेक क्षेत्र में विकास के बावजूद भारत में अभी भी फिनटेक सेवाओं का समर्थन करने के लिये आवश्यक बुनियादी ढाँचे का अभाव है।
    • स्लो इंटरनेट स्पीड, इंटर-ऑपेरैबिलिटी का अभाव और अपर्याप्त डिजिटल अवसंरचना फिनटेक जैसी समस्याएँ क्षेत्र के विकास के लिये चुनौतियाँ पैदा कर सकती हैं।

आगे की राह

  • एक कुशल विनियामक व्यवस्था का विकास करना:
    • सरकार एक अधिक सुव्यवस्थित और कुशल नियामक व्यवस्था विकसित करने के लिये उद्योग के साथ मिलकर कार्य कर सकती है जो उपभोक्ताओं की सुरक्षा करते हुए नवाचार और विकास को बढ़ावा दे।
  • वित्तपोषण तक पहुँच:
    • सरकार फिनटेक पर केंद्रित और अधिक उद्यम पूंजी फर्मों एवं एंजेल निवेशक नेटवर्क के विकास को प्रोत्साहित कर सकती है, साथ ही अधिक विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिये नीतियाँ भी बना सकती है।
  • डिजिटल अवसंरचना का निर्माण:
    • फिनटेक कंपनियों को प्रभावी ढंग से अपनी सेवाएँ प्रदान करने के लिये विश्वसनीय डिजिटल अवसंरचना की आवश्यकता है। सरकार बेहतर ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी और क्लाउड कंप्यूटिंग सेवाओं सहित एक सुदृढ़ डिजिटल अवसंरचना के निर्माण में निवेश कर सकती है।
  • वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देना:
    • सरकार सेवाओं से वंचित और बैंकरहित आबादी को वित्तीय सेवाओं तक पहुँच बनाने में मदद करने के लिये अभिनव समाधान विकसित करने के उद्देश्य से फिनटेक कंपनियों के साथ मिलकर कार्य कर सकती है।
  • साइबर सुरक्षा नीतियों का निर्माण:
    • चूँकि फिनटेक कंपनियाँ अपनी सेवाएँ प्रदान करने के लिये डिजिटल प्रौद्योगिकी पर निर्भरता रखती हैं, इसलिये वे साइबर हमलों के प्रति विशेष रूप से संवेदनशील होती हैं।
    • सरकार उपभोक्ताओं की सुरक्षा के लिये और फिनटेक क्षेत्र में भरोसे को बढ़ाने के लिये सुदृढ़ साइबर सुरक्षा नीतियों एवं नियमों का निर्माण कर सकती है।
  • डिजिटल निरक्षरता को संबोधित करना:
    • डिजिटल निरक्षरता की समस्या को संबोधित करना फिनटेक क्षेत्र के साथ संबद्ध चुनौतियों के समाधान में अविश्वसनीय रूप से सहायक हो सकता है।
    • डिजिटल साक्षरता बढ़ाने के तरीके:
      • फिनटेक सेवा अंगीकरण की वृद्धि, धोखाधड़ी एवं सुरक्षा जोखिमों में कमी, नवाचार में वृद्धि आदि।

अभ्यास प्रश्न: उद्योग में नवाचार एवं विकास को बढ़ावा देते हुए फिनटेक क्षेत्र और इसके उपभोक्ताओं को संभावित जोखिमों एवं खतरों से प्रभावी ढंग से बचाने के लिये भारत क्या उपाय कर सकता है?

  यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रारंभिक परीक्षा

Q. भारत के संदर्भ में निम्नलिखित पर विचार कीजिये। (वर्ष 2010)

  1. बैंकों का राष्ट्रीयकरण
  2. क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का गठन
  3. बैंक शाखाओं द्वारा ग्रामों को गोद लेना

उपर्युक्त में से किसे भारत में "वित्तीय समावेशन" प्राप्त करने के लिए उठाए गए कदमों के रूप में माना जा सकता है?

 (A) केवल 1 और 2
 (B) केवल 2 और 3
 (C) केवल 3
 (D) 1, 2 और 3

 उत्तर: (D)

  • वित्तीय समावेशन मुख्यधारा के संस्थाओं द्वारा उचित एवं पारदर्शी तरीके से वहनीय कीमत पर कमज़ोर वर्गों और निम्न आय समूहों (जैसे: कमज़ोर समूहों) सहित व्यक्तियों और व्यवसायों तक आवश्यक वित्तीय उत्पादों व सेवाओं की पहुँच सुनिश्चित करने की प्रक्रिया है।
  • बैंकों के राष्ट्रीयकरण ने शाखा विस्तार में मदद की और इस तरह बैंक अधिक-से-अधिक लोगों तक पहुँचा। इसके अलावा, कृषि, लघु उद्योगों और संबद्ध क्षेत्रों के ऋण में भी वृद्धि हुई है। अत: 1 सही है।
  • क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (RRB) की स्थापना क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक अधिनियम, 1976 के तहत सरकार द्वारा प्रायोजित, क्षेत्र आधारित ग्रामीण ऋण देने वाली संस्थाओं के रूप में की गई थी। RRB को हाइब्रिड सूक्ष्म बैंकिंग संस्थानों के रूप में बनाया गया था जो सहकारी समितियों के स्थानीय उन्मुखीकरण और छोटे पैमाने पर ऋण देने की संस्कृति और वाणिज्यिक बैंकों की व्यावसायिक संस्कृति दोनों को स्वयं में सन्निहित करते थे। अत: 2 सही है।
  • भारत में 1960 के दशक में बैंकों द्वारा लागत प्रभावी तरीके से कृषि-ऋण को प्रोत्साहित करने के अलावा उनकी पहुँच बढ़ाने की दृष्टि से एक गाँव गोद लेने की योजना शुरू की गई थी। अत: 3 सही है। अतः विकल्प (D) सही उत्तर है।

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow