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भारत में अग्नि दुर्घटनाओं से बचाव

  • 26 Sep 2022
  • 9 min read

यह एडिटोरियल 22/09/2022 को ‘द हिंदू’ में प्रकाशित “The failure of fire safety norms” लेख पर आधारित है। इसमें तेलंगाना में हुई हाल की अग्नि दुर्घटना और भारत में शहरी अग्नि दुर्घटनाओं से संबंधित मुद्दों के बारे में चर्चा की गई है।

संदर्भ

शहरीकरण आवास सघनीकरण (House Densification) का परिदृश्य उत्पन्न करता है। यह ऐसी परिघटना है जो शहरों के नियोजित और अनियोजित, दोनों ही बसावटों में देखी जाती है। भारत के सघन आबादी शहरी क्षेत्रों में विनाशकारी आग की संभावना सर्वप्रमुख जोखिमों में से एक है।

  • भारत जोखिम सर्वेक्षण (India Risk Surveys), 2018 के अनुसार, भारत (विशेष रूप से देश के उत्तरी और पश्चिमी क्षेत्रों में) अग्नि दुर्घटनाओं के मामले में तीसरे स्थान पर है। शहरी क्षेत्रों में आग की घटनाओं के प्रमुख कारणों में कमरे को गर्म करने के लिये लकड़ी एवं काष्ठ कोयला जलाना, घर के आसपास कचरा जलाना, अग्निशमन एवं पहुँच के मामले में बदतर शहरी अवसंरचना (जो आग के जोखिम की संभावना को बढ़ाता है) आदि शामिल हैं।
  • शहरी आग (Urban fire) बड़ी मात्रा में धुआँ प्रदूषण उत्पन्न कर और ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जित कर मानव जीवन एवं संपत्ति के साथ-साथ पर्यावरण और पारितंत्र को प्रतिकूल रूप से प्रभावित कर सकती है। अतीत में अगलगी की बड़ी घटनाओं के बावजूद भवन एवं अग्नि सुरक्षा मानदंडों का खुला उल्लंघन बेरोकटोक जारी है, जबकि नियमित रूप से अग्नि दुर्घटनाएँ सामने आती रहती हैं। यह उपयुक्त समय है कि अग्नि सुरक्षा (fire safety) के विषय को गंभीरता से लिया जाए और उल्लंघन करने वालों पर कार्रवाई की जाए।

भारत में अग्नि सुरक्षा से संबंधित मौजूदा प्रावधान

  • अग्निशमन सेवा देश में सबसे महत्त्वपूर्ण आपातकालीन प्रतिक्रिया सेवाओं में से एक है, जो भारतीय संविधान की 12वीं अनुसूची के अंतर्गत नगर निकाय के कार्यों से संबंधित है।
    • वर्तमान में अग्नि रोकथाम और अग्निशमन सेवाओं का संचालन संबंधित राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों और शहरी स्थानीय निकायों (ULBs) द्वारा किया जाता है।
  • राष्ट्रीय भवन संहिता (National Building Code- NBC), 2016: भारतीय मानक ब्यूरो (Bureau of Indian Standards- BIS) द्वारा प्रकाशित NBC एक ‘अनुशंसात्मक दस्तावेज़’ है और राज्य सरकारों से अपेक्षा की जाती है कि वे कानून के माध्यम से अपने स्थानीय भवनों में इसका अनुपालन सुनिश्चित करें। इस प्रकार, ये अनुशंसाएँ अनिवार्य प्रकृति की हैं।
    • इसमें मुख्य रूप से प्रशासनिक विनियम, सामान्य भवन आवश्यकताएँ (जैसे अग्नि सुरक्षा आवश्यकताएँ, संरचनात्मक डिज़ाइन और निर्माण/सुरक्षा प्रावधान) शामिल हैं।
  • ‘मॉडल बिल्डिंग बाय लॉज़, 2003’: मॉडर्न बिल्डिंग बाय लॉज़, 2003 के तहत प्रत्येक बिंदु पर फायर क्लीयरेंस की ज़िम्मेदारी मुख्य अग्निशमन अधिकारी (Chief Fire Officer) की होती है। संबंधित विकास प्राधिकरण को मंज़ूरी प्राप्त करने लिये मुख्य अग्निशमन अधिकारी को भवन योजना प्रस्तुत की जानी चाहिये।
  • राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण: राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (National Disaster Management Authority- NDMA) द्वारा जारी दिशानिर्देश सार्वजनिक भवनों (अस्पतालों सहित) के लिये अग्नि सुरक्षा आवश्यकताओं को निर्धारित करते हैं। इसमें खुले स्थान, निकास तंत्र, सीढ़ियाँ और निकासी अभ्यास के न्यूनतम स्तर को बनाए रखने से संबंधित डिज़ाइन दिशानिर्देश भी शामिल हैं।

भारत में शहरी अग्नि दुर्घटनाओं से संबंधित प्रमुख मुद्दे

  • सार्वभौमिक अग्नि सुरक्षा कानून का अभाव: भारत में आकस्मिक मृत्यु और आत्महत्या रिपोर्ट, 2020 के अनुसार, वर्ष 2020 में अग्नि दुर्घटनाओं के कुल 11,037 मामले दर्ज किये गए। लेकिन इसके बावजूद भारत में अग्नि सुरक्षा के संबंध में कोई सार्वभौमिक कानून नहीं लाया गया है।
  • प्राकृतिक और जलवायु कारण: ठनका, चरम ग्रीष्म जैसी प्राकृतिक मौसमी घटनाएँ निम्न आर्द्रता की स्थिति में शहरी क्षेत्रों में अगलगी का कारण बनती हैं।
  • धुआँ प्रबंधन और इमरजेंसी लाइटिंग व्यवस्था का अभाव: चूँकि ऊँची इमारतों में प्रायः बड़े संलग्न स्थान या रिक्त स्थान शामिल होते हैं, एक छोटी चिंगारी भी एक बड़ी अग्नि दुर्घटना का कारण बन सकती है यदि धुआँ प्रबंधन और इमरजेंसी लाइटिंग के माध्यम से किसी चेतावनी तंत्र का अभाव हो, जो प्रायः आम स्थिति है।
  • भेद्यता विश्लेषण का अभाव: राष्ट्रीय भवन संहिता 2016 के खराब विनियमन और प्रवर्तन के कारण भेद्यता विश्लेषण (Vulnerability Analysis) से रहित भवन शहरी आग में योगदान की संभावना रखते हैं, क्योंकि यह भेद्यता पूर्व-तैयारी, प्रतिक्रिया और पुनर्प्राप्ति को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करती है।
  • उचित विद्युत रोधन का अभाव: प्लास्टिक इन्सुलेशन के लिये उपयोग किया जाने वाला पॉलीयूरेथेन फोम (PUF) अत्यधिक ज्वलनशील होता है जो ओवरलोडिंग या शॉर्ट सर्किट के कारण गर्म होने की स्थिति में तुरंत ही आग पकड़ लेता है।

आगे की राह

  • अग्नि सुरक्षा अधिनियमन और लेखा परीक्षा: भारत को शहरी आग की भेद्यता को कम करने के लिये एक प्रभावी लेखा परीक्षा तंत्र के साथ ही सशक्त अग्नि सुरक्षा कानून की आवश्यकता है।
  • कॉर्पोरेट सुरक्षा उत्तरदायित्व: भवन निगमों को निर्माण से पहले उचित भेद्यता आकलन सुनिश्चित करने और उचित निकास चैनलों को बनाए रखने के लिये बेसमेंट को अवरोध-मुक्त बनाए रखने की आवश्यकता है।
  • ‘फायर हैज़ार्ड रिस्पांस प्लान’: यह आवश्यक है कि प्रत्येक शहरी स्थानीय निकाय (ULB) स्थानीय प्रशासन, फायर ब्रिगेड और स्वास्थ्य विभाग के साथ साझेदारी में एक अग्नि खतरा योजना (fire hazard plan) विकसित करे और लोगों के बीच जागरूकता के प्रसार के साथ ही अप्रत्याशित अग्नि से द्रुत गति से बचाव के लिये सार्वजनिक स्थलों पर नियमित रूप से मॉक ड्रिल आयोजित करे।
  • अग्नि सुरक्षा उपकरणों का आधुनिकीकरण: स्मोक डिटेक्टर, फायर होज़ कैबिनेट और स्वचालित स्प्रिंकलर सिस्टम जैसे उपकरणों के साथ अग्निशमन विभाग को सशक्त एवं आधुनिक बनाने के लिये सरकार द्वारा वित्तीय एवं अन्य सहायता प्रदान की जानी चाहिये।

अभ्यास प्रश्न: हाल की अग्नि दुर्घटनाओं के आलोक में भारत में अग्नि सुरक्षा से संबंधित प्रावधानों की चर्चा करें। भारत में अग्नि सुरक्षा में सुधार के उपाय भी सुझाएँ।

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