भारतीय कृषि क्षेत्र में डिजिटल क्रांति | 11 Oct 2021
यह एडिटोरियल 08/10/2021 को ‘द हिंदू’ में प्रकाशित ‘‘Seeding a data revolution in Indian agriculture’’ लेख पर आधारित है। इसमें कृषि क्षेत्र के लिये डिजिटल प्रौद्योगिकियों की आवश्यकता और संबंधित चुनौतियों पर चर्चा की गई है।
संदर्भ
डिजिटल प्रौद्योगिकियाँ, अर्थव्यवस्था और समाज के सभी क्षेत्रों को असंख्य रूप से प्रभावित कर रही हैं और इसमें लगातार बदलाव कर रही हैं। संचार, बैंकिंग, भुगतान प्रणाली, यात्रा, ऊर्जा, स्वास्थ्य सेवा, कराधान और शासन व्यवस्था को डिजिटल समाधानों के उपयोग से पर्याप्त लाभ प्राप्त हुआ है। कृषि क्षेत्र में व्याप्त चुनौतियों को अवसरों में बदलने के लिये कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में भी ‘डिजिटल समाधानों’ की मांग की जा रही है।
हाल ही में ‘कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय’ (MoA&FW) द्वारा ‘इंडिया डिजिटल इकोसिस्टम ऑफ एग्रीकल्चर’ (India Digital Ecosystem of Agriculture- IDEA) पर एक परामर्श पत्र जारी किया गया है। यह कृषि क्षेत्र में एक डिजिटल क्रांति का प्रस्ताव करता है।
IDEA की अवधारणा
- ‘इंडिया डिजिटल इकोसिस्टम ऑफ एग्रीकल्चर’ की अवधारणा किसान एवं किसानों की आजीविका में सुधार पर लक्षित है, जिसे मुख्य तौर पर ‘कृषि एवं खाद्य प्रणालियों’ के लिये ‘एग्री-टेक’ नवाचार एवं कृषि उद्योग पारितंत्र के एकीकरण के माध्यम से किया जाएगा।
- IDEA के सिद्धांत स्पष्ट तौर पर व्यवसायों और किसानों के लिये ‘डेटा की स्वतंत्रता’ की बात करते हैं।
- एग्री-टेक उद्योगों और स्टार्ट-अप द्वारा प्रदत्त मूल्यवर्द्धित नवाचार सेवाएँ IDEA की संरचना का अभिन्न अंग हैं।
IDEA का उद्देश्य
- सही समय पर सही सूचना तक पहुँच एवं नवाचार सेवाओं के माध्यम से किसानों को उच्च आय और बेहतर लाभप्रदता प्राप्त करने में सक्षम बनाना।
- केंद्र एवं राज्य सरकारों के साथ ही निजी क्षेत्र और किसान उत्पादक संगठनों (FPOs) की नीतियों, कार्यक्रमों और योजनाओं के बेहतर नियोजन और क्रियान्वयन को सक्षम बनाना।
- सूचनाओं तक आसान पहुँच प्रदान कर भूमि, जल, बीज, उर्वरक, कीटनाशक और कृषि मशीनीकरण सहित विभिन्न संसाधनों के उपयोग में वृद्धि करना।
- डिजिटल कृषि और ‘परिशुद्ध कृषि’ (Precision Agriculture) के सभी क्षेत्रों में क्षमता निर्माण करना।
- उच्च गुणवत्तापूर्ण डेटा तक पहुँच के माध्यम से कृषि में अनुसंधान एवं विकास (R&D) और नवाचारों को बढ़ावा देना।
- राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों के साथ सहयोग करते हुए सहकारी संघवाद के सर्वोत्तम सिद्धांतों को अंगीकार करना।
- 'डिजिटल शक्ति' को साकार करने के लिये ‘सार्वजनिक-निजी भागीदारी’ (PPP) मॉडल का निर्माण करना और उसका लाभ उठाना।
प्रौद्योगिकियों को अपनाने संबंधी समस्याएँ
- डेटा के दुरुपयोग की संभावना: ’आधार नंबर’ पर आधारित विशिष्ट किसान आईडी कार्ड के निर्माण में निहित नैतिक मुद्दों और डेटा के दुरुपयोग की संभावना के कारण ‘आईटी उद्योग’ द्वारा IDEA के प्रस्ताव का विरोध किया जा रहा है।
- ‘डिजिटल व्यवधान’ की चुनौतियाँ: डिजिटल पारितंत्र किसानों की आजीविका में सुधार हेतु मुख्यतः ‘डिजिटल समाधानों/व्यवधानों’ पर निर्भर करता है। हालाँकि, इस तरह के समाधान लाए जाने से पूर्व यह अध्ययन किया जाना आवश्यक है कि किसान इन नए उभरते कारोबारी परिदृश्यों से कितना लाभ उठा सकने में सक्षम होंगे।
- इस संदर्भ में केंद्र सरकार ने तैयार किये जा रहे किसान डेटाबेस के महत्त्व पर ज़ोर दिया जा रहा है और इस दिशा में राज्यों से भी सहयोग मांगा गया है।
- जागरूकता की कमी: अधिकांश छोटे और सीमांत किसान प्रौद्योगिकी से अधिक परिचय या इसके प्रति अनुकूल नहीं होते हैं। अधिकांश किसान क्षमता निर्माण के दृष्टिकोण से पर्याप्त रूप से शिक्षित नहीं हैं और इस प्रकार के महत्वाकांक्षी विकास लक्ष्यों में इन किसानों की अनदेखी कर दी जाती है।
- हालाँकि कृषि क्षेत्र में अधिकाधिक निवेश से किसानों को लाभ हो सकता है, लेकिन IDEA की अवधारणा में यह स्पष्टता मौजूद नहीं है कि प्रौद्योगिकीय सुधार भारतीय कृषि की सभी समस्याओं को किस प्रकार दूर कर पाएगा।
- सुधारों के विरुद्ध किसानों की प्रतिक्रिया: किसान सुधारों को हमेशा ही सकारात्मक तरीके से नहीं लेते हैं। इस संबंध में सरकार को किसानों और किसान संगठनों को विश्वास में लेने की आवश्यकता होगी।
आगे की राह
इस तथ्य पर सहमत होते हुए भी कि कृषि क्षेत्र में एक डेटा क्रांति अपरिहार्य है, इसकी सामाजिक-राजनीतिक जटिलताओं को देखते हुए हम किसानों की आजीविका में सुधार के लिये केवल प्रौद्योगिकी सुधार और कृषि-व्यवसाय निवेश पर ही भरोसा नहीं कर सकते।
- किसानों का क्षमता निर्माण: भारत में किसानों की क्षमता में सुधार के लिये महत्त्वपूर्ण प्रयास किये जाने की आवश्यकता है। ऐसा कम-से-कम तब तक किया जाना आवश्यक है, जब तक कि शिक्षित युवा किसान मौजूदा अल्प-शिक्षित छोटे और मध्यम किसानों की जगह नहीं ले लेते।
- यह क्षमता निर्माण एक मिश्रित दृष्टिकोण अपनाकर किया जा सकता है— यानी प्रमुख रूप से व्यक्तिगत किसानों की क्षमताओं का निर्माण कर अथवा किसान उत्पादक संगठनों एवं अन्य किसान संघों के माध्यम से समर्थन प्रणालियाँ स्थापित कर नई स्थिति का सामना करना जहाँ किसानों के लिये तकनीकी सहायता उपलब्ध होगी।
- देश के कृषि क्षेत्र के व्यापक आकार को देखते हुए यह कोई आसान कार्य नहीं होगा और इसके लिये व्यापक निवेश के साथ देश भर में क्रियान्वित एक अलग कार्यक्रम की आवश्यकता होगी।
- विश्व बैंक रिपोर्ट की अनुशंसाओं को अपनाया जाना:
- ‘डिजिटल क्रांति’ और इससे सृजित डेटा, एक ऐसे कृषि एवं खाद्य प्रणाली के निर्माण के लिये महत्त्वपूर्ण है, जो कुशल, पर्यावरणीय रूप से संवहनीय, न्यायसंगत और विश्व के 570 मिलियन खेतों को 8 बिलियन उपभोक्ताओं के साथ संबद्ध करने में सक्षम हो।
- वांछित डिजिटल रूपांतरण के लिये विश्व बैंक ने 7 रणनीतियों का सुझाव दिया है जो निम्नलिखित इंफोग्राफ में प्रदर्शित हैं—
निष्कर्ष
कृषि क्षेत्र के समक्ष विद्यमान विभिन्न चुनौतियों के समाधान के लिये एक समग्र पारितंत्र दृष्टिकोण को अपनाना राष्ट्रीय लक्ष्य प्राप्त करने हेतु महत्त्वपूर्ण है, साथ ही यह किसानों की आय को दोगुना करने और सतत् विकास लक्ष्यों की प्राप्ति जैसी आकांक्षाओं की पूर्ति के लिये भी आवश्यक है। एक बहु-हितधारक दृष्टिकोण का अपनाया जाना इस संदर्भ में महत्त्वपूर्ण हो सकता है, जहाँ सरकार पारितंत्र के अभिकर्त्ताओं के लिये एक प्रवर्तक की भूमिका निभाएगा।
अभ्यास प्रश्न: डिजिटल प्रौद्योगिकियाँ, अर्थव्यवस्था और समाज के सभी क्षेत्रों को असंख्य रूप से प्रभावित कर रही हैं और इसमें लगातार बदलाव कर रही हैं। चर्चा कीजिये कि यह भारतीय कृषि प्रणाली की वर्तमान स्थिति में किस प्रकार परिवर्तन ला सकती है।