भारत-दक्षिण कोरिया: गहराते संबंध | 24 Jul 2020
इस Editorial में The Hindu, The Indian Express, Business Line आदि में प्रकाशित लेखों का विश्लेषण किया गया है। इस लेख में भारत-दक्षिण कोरिया संबंध व उससे संबंधित विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई है। आवश्यकतानुसार, यथास्थान टीम दृष्टि के इनपुट भी शामिल किये गए हैं।
संदर्भ
भारत और दक्षिण कोरिया ने विगत कई वर्षों में द्विपक्षीय संधियों और समझौतों के माध्यम से अपने संबंधों को नई ऊँचाई प्रदान की है। वैश्विक महामारी COVID-19 के दौरान दोनों देशों के मध्य स्वास्थ्य क्षेत्र में भी बेहतर आपसी समन्वय देखने को मिला। कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिये दक्षिण कोरिया ने परीक्षण की तेज़ गति, कठोर क्वारंटीन नीति तथा कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग जैसी रणनीतियों पर गंभीरता से कार्य किया, जो भारत के लिये पथ-प्रदर्शक साबित हुए।
भारत और दक्षिण कोरिया के बीच मज़बूत व्यापारिक और आर्थिक संबंध के अलावा गतिशील रक्षा संबंधों को भी समान महत्त्व दिया जा रहा है। वर्ष 2019 में भारत और दक्षिण कोरिया (India and South Korea) ने विशेष रणनीतिक साझेदारी (Special Strategic Partnership) के तहत एक समझौता किया है जिसके अंतर्गत दोनों देश एक-दूसरे के नौसैनिक अड्डों का उपयोग रसद के आदान-प्रदान के लिये कर करेंगे।
इस आलेख में भारत व दक्षिण कोरिया के मध्य संबंध की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, सहयोग के विभिन्न क्षेत्र, भारत के लिये दक्षिण कोरिया का महत्त्व, दक्षिण कोरिया के लिये भारत की आवश्यकता तथा दोनों देशों के बीच मौजूदा चुनौतियों पर चर्चा करने का प्रयास किया जाएगा।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
- भारत और दक्षिण कोरिया के संबंध लगभग 2000 वर्ष पुराने हैं।
- ऐसा माना जाता है कि अयोध्या की राजकुमारी सुरीरत्ना ने कोरिया के राजा किम-सुरो से विवाह किया था। दोनों देशों के बीच वैवाहिक संबंधों के मद्देनज़र एक संयुक्त डाक टिकट भी जारी किया जा चुका है।
- बौद्ध धर्म की उत्पत्ति भारत में हुई लेकिन इसका प्रसार चीन, जापान और कोरिया तक हुआ, इस प्रकार के सांस्कृतिक संबंध दोनों देशों को एक-दूसरे को करीब लाते हैं।
- भारत के कई शासकों ने बौद्ध धर्म के प्रसार के लिये अपने दूतों को इस क्षेत्र में भेजा था साथ ही यहाँ के छात्र भारत के बौद्ध शिक्षा केंद्रों में शिक्षा प्राप्त करने के लिये आते थे।
सहयोग के विभिन्न क्षेत्र
राजनीतिक क्षेत्र
- भारत और दक्षिण कोरिया के राजनीतिक संबंधों की स्थापना वर्ष 1945 में दक्षिण कोरिया की आज़ादी के बाद शुरू हुई। भारत ने हमेशा से ही दक्षिण कोरिया के मामलों में महत्त्वपूर्ण और सकारात्मक भूमिका निभाई है।
- भारत के श्री के.पी.एस. मेनन कोरिया में चुनाव करवाने के लिये वर्ष 1947 में गठित 9 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र आयोग के अध्यक्ष थे।
- कोरिया युद्ध (वर्ष 1950-53) के दौरान, युद्ध के दोनों पक्षों ने भारत द्वारा प्रायोजित एक संकल्प को स्वीकार कर लिया और 27 जुलाई 1953 को युद्ध विराम की घोषणा हुई, जो भारत की एक बड़ी उपलब्धि थी।
- वर्ष 2006 में भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति डा. एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा की गई कोरिया गणराज्य की राजकीय यात्रा ने भारत-कोरिया गणराज्य संबंधों के एक नए दौर की शुरूआत की थी। इस यात्रा के दौरान द्विपक्षीय व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौता (Comprehensive Economic Partnership Agreement-CEPA) पर निर्णय लेने के लिये एक कार्य बल का गठन किया गया। जनवरी, 2010 को इस व्यापक आर्थिक साझेदारी करार को प्रभावी किया गया।
- वर्ष 2019 में प्रधानमंत्री मोदी की दक्षिण कोरियाई यात्रा अहम रही जब उन्हें सियोल शांति पुरस्कार (Seoul Peace Prize) से नवाजा गया। इस तरह दोनों देशों के बीच राजनीतिक संबंध काफी मज़बूत हुए हैं।
व्यापारिक एवं आर्थिक क्षेत्र
- भारत, कोरिया का 15वाँ बड़ा व्यापारिक साझेदार है। भारत-कोरिया गणराज्य व्यापार में पोत निर्माण, ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स, टेक्सटाइल, खाद्य प्रसंस्करण तथा विनिर्माण आदि प्रमुख हैं।
- कोरिया गणराज्य की सैमसंग, हुंडई मोटर्स और एलजी जैसी बड़ी कंपनियों ने भारत में लगभग 3 बिलियन डॉलर से अधिक निवेश किया है। कोरिया गणराज्य में भारतीय तकनीकी कंपनियों का निवेश लगभग 2 बिलियन है।
- आधिकारिक रूप से कोरिया की छोटी-बड़ी 603 फर्में भारत में कार्यरत हैं। इसके अलावा कोरिया ने घोषणा की है कि वह भारत में एक स्टार्टअप सेंटर की स्थापना करेगा। बहुराष्ट्रीय कोरियन कंपनी सैमसंग ने विश्व का अपना सबसे बड़ा उद्यम नोएडा में लगाकर अपनी मंशा साफ कर दी है कि यदि भारत निवेश के अनुकूल वातावरण बनाए, तो कोरिया निवेश में पीछे नहीं रहेगा।
- दोनों देशों के बीच वर्ष 2013-2014 में 16.67 बिलियन डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार रहा, जो वर्ष 2019-2020 में बढ़कर 22.52 बिलियन डॉलर हो गया।
सांस्कृतिक क्षेत्र
- भारत तथा कोरिया गणराज्य के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान बढ़ाने के लिये अप्रैल 2011 में सियोल में तथा दिसंबर 2013 में बूसान में भारतीय सांस्कृतिक केंद्र का गठन किया गया।
- जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय और दिल्ली विश्वविद्यालय क्रमशः कोरिया अध्ययन एवं कोरियन भाषा पाठ्यक्रमों में कार्यक्रम संचलित कर रहे हैं।
- वर्ष 2013 में कोरिया अंतर्राष्ट्रीय व्यापार संघ द्वारा ‘भारतीय अध्ययन संस्थान कोरिया’ की स्थापना की गई। ‘भारतीय अध्ययन संस्थान कोरिया’ एक ऐसा मंच है जो बड़ी संख्या में कोरियाई व भारतीय शिक्षाविदों, अर्थशास्त्रियों और व्यावसायिक-प्रतिनिधियों को एकजुट करता है।
- भारत और कोरिया गणराज्य के बीच युवा प्रतिनिधिमण्डलों का आदान-प्रदान वार्षिक आधार पर कई वर्षों से हो रहा है।
भारतीय डायस्पोरा
- अनुमानित तौर पर कोरिया गणराज्य में रह रहे भारतीय नागरिकों की कुल संख्या 11,000 के आस-पास है। कोरिया गणराज्य में लगभग 1000 भारतीय शोधार्थी स्नातकोत्तर एवं पीएचडी- पाठ्यक्रमों में अध्ययन कर रहे हैं।
- पिछले कुछ वर्षों में मुख्य रूप से सूचना प्रौद्योगिकी, जहाज़रानी एवं ऑटोमोबाइल जैसे क्षेत्रों में अनेक पेशेवरों ने भारत से कोरिया गणराज्य में प्रवास किया है।
द्विपक्षीय संबंधों का वर्तमान परिदृश्य
- वैश्विक महामारी Covid-19 के दौर में दोनों देशों के द्वारा स्वास्थ्य से संबंधित उपकरणों जैसे- टेस्टिंग किट, मास्क तथा रोग प्रतिरोधक क्षमता को विकसित करने वाली दवाओं का परस्पर आदान-प्रदान सुनिश्चित किया गया है।
- भारत जहाँ एक ओर अपनी लुक ईस्ट पॉलिसी (Look East Policy) के माध्यम से अपने संबंधों को बढ़ावा दे रहा है, वहीं दक्षिण कोरिया नई दक्षिणी रणनीति (New Sauthern Policy) के माध्यम से भारत के साथ बेहतर संबंध स्थापित करना चाहता है।
- दक्षिण कोरिया ने भारत को अपना विशेष रणनीतिक साझेदार घोषित किया है, दक्षिण कोरिया ने इस प्रकार का समझौता केवल अपने पारंपरिक सहयोगियों जैसे जापान और अमेरिका के साथ ही किया है।
- भारत और दक्षिण कोरिया अपने सामरिक संबंधों को लगातार मज़बूती प्रदान कर रहे हैं। दोनों देशों के बीच मंत्री स्तर की संयुक्त बैठक के साथ ही सचिव स्तर पर 2+2 डायलाॅग (2 + 2 Dialogue) जैसी वार्ता चल रही है।
- दक्षिण कोरिया, अफगानिस्तान में भारत के साथ त्रिपक्षीय आधार पर एक परियोजना का निर्माण कर रहा है, साथ ही वह सदैव भारत की अफगानिस्तान नीति का समर्थन करता रहा है।
- भारत और दक्षिण कोरिया के बीच व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता (Comprehensive Economic Partnership Agreement) है। व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता महत्त्वपूर्ण धातुओं और उससे बनी वस्तुओं के नि:शुल्क आयात की अनुमति देता है।
- भारत-दक्षिण कोरिया प्रौद्योगिकी विनिमय केंद्र (Technology Exchange Centre) की स्थापना नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय लघु उद्यम निगम के परिसर में की गई है। इसके माध्यम से दोनों देश लघु और मध्यम उद्योगों के क्षेत्र में एक-दूसरे की सहायता कर रहे हैं।
- दोनों देशों के बीच कोरिया प्लस (Korea Plus) का संचालन जून 2016 से किया जा रहा है जिसमें दक्षिण कोरिया उद्योग, व्यापार तथा ऊर्जा मंत्रालय, कोरिया व्यापार निवेश एवं संवर्द्धन एजेंसी (Korea Trade Investment and Promotion Agency- KOTRA) और इन्वेस्ट इंडिया के प्रतिनिधि शामिल हैं।
- सांस्कृतिक स्तर पर संबंधों को बढ़ावा देने के लिये कोरियाई ब्रॉडकास्टिंग सिस्टम और प्रसार भारती ने दक्षिण कोरिया में दूरदर्शन इंडिया चैनल तथा भारत में कोरियाई ब्रॉडकास्टिंग चैनल के प्रसारण की सुविधा देने पर सहमति जताई है।
भारत-दक्षिण कोरिया संबंधों में चुनौतियाँ
- भारत, दक्षिण कोरिया के साथ समझौता करके सामरिक और व्यापारिक दृष्टि से चीन को दरकिनार करना चाहता है लेकिन हमें नही भूलना चाहिये कि दक्षिण कोरिया का भारत की अपेक्षा चीन से व्यापार लगभग 10 गुना अधिक है।
- मुक्त व्यापार समझौते को लेकर दोनों देशों के बीच असमंजस की स्थिति बरकरार है, इसलिये भारत और दक्षिण कोरिया के बीच व्यापार अपेक्षित गति नहीं प्राप्त कर पा रहा है।
- हाल ही में दक्षिण कोरिया और उत्तर कोरिया के संबंध सामान्य हुए हैं और अप्रत्यक्ष तौर पर यह माना जाता है कि उत्तर कोरिया तथा पाकिस्तान के बीच परमाणु कार्यक्रमों को लेकर साझेदारी है जो भारत के लिहाज़ से चिंता का विषय है।
- दोनों देशों के मध्य सांस्कृतिक संबंधों पर विशेष ध्यान नहीं दिया जा रहा है परिणामस्वरूप नस्लीय भेद-भाव की घटनाओं में वृद्धि हो रही है।
- भारत और दक्षिण कोरिया के मध्य एक दशक पहले ही सामरिक भागीदारी बढ़ाने पर सहमति बनी लेकिन वो सहमति अभी कागजों पर ही सीमित है या ऐसा कहा जा सकता है कि इस संदर्भ में खास प्रगति नहीं हुई है।
- इण्डो-पैसिफिक क्षेत्र का विश्व व्यापार में सबसे ज्यादा योगदान है लेकिन भारत का इन द्विपीय देशों से संबंध उतना मजबूत नहीं है जितना होना चाहिये।
भारत-दक्षिण कोरिया एक-दूसरे के पूरक
- भारत और दक्षिण कोरिया दोनों ही प्रायद्वीपीय मुल्क हैं भारत के विपरीत दक्षिण कोरिया अपनी ऊर्जा ज़रूरतों के लिये पूर्णता समुद्र से होने वाले आयात पर निर्भर है। ऐसे में हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत के बढ़ते रसूख के बीच समुद्री यातायात की सुरक्षा दोनों मुल्कों का साझा हित है। हिंद महासागर में भारतीय नौसेना का दबदबा सियोल के लिये कारगर साबित हो सकता हैं। वहीं दक्षिण कोरिया की जहाज निर्माण क्षमताएँ भारत के लिये सहायक साबित हो सकती है। भारत में सैन्य और कारोबारी इस्तेमाल के लिये पोत निर्माण आधुनिकीकरण में दक्षिण कोरिया का सहयोग लाभ का सौदा साबित हो सकता है। भारत और दक्षिण कोरिया के बीच हितों का तालमेल तकनीक हस्तांतरण को भी आसान बनाता है।
- इसके अलावा ड्रोन से लेकर एअर डिफेंस गन और सीमा की निगरानी की कारगर प्रणालियों तक साझेदारी के कई मोर्चे हैं जिन पर दोनों देश वार्ता कर रहे हैं। उत्तर कोरिया के साथ लगने वाले डीमिलिट्राइज्ड जोन में दक्षिण कोरिया ने जिस तरह निगरानी के संवेदनशील सिस्टम विकसित किये हैं वो अगर भारत को प्राप्त हो जाएँ तो पाकिस्तान के साथ लगी नियंत्रण रेखा घुसपैठ की चुनौतियों से निपटने में भारत के लिये कारगर साबित हो सकते हैं। भारत और दक्षिण कोरिया मिसाइल एअर-डिफेंस सिस्टम के साझा विकास और उत्पादन को लेकर भी बात कर रहे हैं।
- दोनों ही देश इंडो-पैसिफिक नीति के समर्थन में हैं और तो और, भारत की एक्ट ईस्ट नीति की तरह दक्षिण कोरिया की नई दक्षिण नीति का उद्देश्य भी दक्षिण-पूर्व और दक्षिण एशिया के देशों के साथ आर्थिक, राजनयिक, और सामरिक संबंधों का सुदृढ़ीकरण करना है।
- दक्षिण कोरिया के ‘नई दक्षिण नीति’ के अनुसार वो उत्तर-पूर्व एशिया, दक्षिण पूर्व एशिया, ऑस्ट्रेलिया और भारत के साथ अपने संबंध मज़बूत करेगा। भारत भी अपनी ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ को अमलीजामा पहनाने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।
- अमेरिका-चीन में बढ़ते व्यापार युद्ध को देखते हुए भारत को नये बाजार की आवश्यकता है। ऐसे में भारत दक्षिण कोरिया के साथ आर्थिक संबंधों को नई दिशा दे सकता है।
- भारत के तेज़ विकास की चाह में दक्षिण कोरिया का आज क्या महत्व है, एक आसान समीकरण से समझा जा सकता है। भारत की आबादी दक्षिण कोरिया से 24 गुना अधिक है जबकि प्रति-व्यक्ति जीडीपी के मामले में यह दक्षिण कोरिया का महज 16वाँ हिस्सा ही है। इस प्रकार दोनों के रिश्ते एक दूसरे के पूरक हो जाते हैं क्योंकि जहाँ दक्षिण कोरिया के पास उन्नत तकनीक और विशेषज्ञों के साथ पूँजी मौजूद है, वहीं भारत के पास बहुत बड़ा बाजार एवं कच्चे माल की उपलब्धता है जिसका लाभ दोनों देश उठा सकते हैं।
आगे की राह
- वर्तमान में जिस तरह दोनों देशों के बीच संबंध आगे बढ़े हैं वह दोनों देशों की आवश्यकता की ओर इंगित करता है लेकिन इसे और आगे ले जाने की ज़रूरत है जिससे विश्व शांति व सुरक्षा में वे अपना योगदान दे सकें।
- बढ़ती क्षेत्रीय अस्थिरता को कम करने के लिये भारत की ‘एक्ट ईस्ट नीति’ तथा दक्षिण कोरिया की ‘नई दक्षिण नीति’ को मज़बूत करने की आवश्यकता है।
- भारत को दक्षिण कोरिया को अपने प्राथमिकता वाले देशों में शामिल करने की आवश्यकता है।
प्रश्न- भारत और दक्षिण कोरिया के संबंध न केवल ऐतिहासिक, सांस्कृतिक व राजनीतिक दृष्टिकोण से मज़बूत हैं, बल्कि दोनों एक-दूसरे के पूरक भी हैं। मूल्यांकन कीजिये।