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प्रश्न :
"भारत अपनी ‘पूर्व की ओर देखो’ नीति और ‘एक्ट ईस्ट’ नीति के रूप में ‘बौद्ध कनेक्ट’ की रूपरेखा को विकसित करने के लिये उत्सुक है।” हाल की बदलती विदेश नीति की पहल के संदर्भ में कथन का विश्लेषण कीजिये।
25 Jan, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 2 अंतर्राष्ट्रीय संबंधउत्तर :
वर्तमान में भारत की लुक ईस्ट नीति और ‘एक्ट ईस्ट’ नीति में बुद्ध कूटनीति के तहत एक निश्चित बदलाव लाने पर अतिरिक्त बल दिया जा रहा है। भारत बुद्ध के धम्म और संघ का मूल स्थान होने के नाते पूर्वी क्षेत्र के देशों में इसका प्रभाव डालने की कोशिश कर रहा है।
इसी दिशा में भारतीय प्रधानमंत्री की पहली आधिकारिक विदेश यात्रा पड़ोसी बौद्ध देश भूटान की हुई। उसके बाद वह बुद्ध की जन्मभूमि नेपाल गए। बाद में प्रधानमंत्री, दक्षिण एशिया के बाहर एक और बौद्ध धर्मावलम्बी देश जापान की आधिकारिक यात्रा पर रहे। हमारे 69वें गणतंत्र दिवस समारोह में पहली बार आसियान देशों के सभी राष्ट्र प्रमुख शिरकत कर रहे हैं। आसियान समूह के कई देशों के लोग हमारे बौद्ध सर्किट की ओर आकर्षित होते हैं। बौद्ध सर्किट पूर्वी एशियाई देशों के साथ साझा समृद्धि के लिये एक प्रमुख संपर्क मार्ग है।
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग जब भारत दौरे पर थे, तब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बौद्ध युग में गुजरात राज्य के महत्त्व और प्राचीन चीनी यात्री ह्वेनसांग की यात्रा के बारे में उनसे चर्चा की थी। जन सम्पर्क बढ़ाना प्रधानमंत्री की विदेश नीति का महत्त्वपूर्ण हिस्सा है। इसमें बुद्धिस्ट डिप्लोमेसी के सॉफ्ट पावर के तहत प्रमुख रूप से दक्षिण एशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया में भारत का प्रभाव बढ़ाने की कोशिश चल रही है।
पाकिस्तान के जुझारू रवैये की वजह से दक्षिण एशिया में एकता स्थापित करना मुश्किल हो सकता है, लेकिन भारत के प्रधानमंत्री के पास बिम्सटेक समूह के बांग्लादेश, म्याँमार, श्रीलंका, थाईलैंड, भूटान और नेपाल को साथ में लेने का विकल्प खुला है और इस तरह 10 सदस्यीय आसियान गुट में भी एकता का प्रयास कर सकते हैं।
इसलिये बुद्ध कूटनीति दक्षिण एशिया, दक्षिण पूर्व एशिया, पूर्वी एशिया, चीन और यहाँ तक कि रूस के साथ भारत की भागीदारी के लिये एक प्रभावी उपकरण और सॉफ्ट पावर हो सकता है। बढ़ते हुए जन सम्पर्क और सांस्कृतिक आदान-प्रदान से निकट भविष्य में विवादास्पद राजनीतिक मुद्दों का हल निकल सकता है।
योग के मुद्दे पर नेपाल, बांग्लादेश और श्रीलंका से उचित समर्थन प्राप्त हुआ है, इसके अलावा कई बौद्ध धर्मावलम्बी देशों से समर्थन मिला है।पूर्वोत्तर क्षेत्र में निजी क्षेत्र को बढ़ावा देने, व्यापार और वाणिज्य के बीच से निवेश को उत्प्रेरित करने के लिये भारत सरकार ने अनेक योजनाओं की घोषणा की है।
इसमें विशेष प्रयोजन के वाहनों (SPVs), राष्ट्रीय संस्थानों की स्थापना, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान जैसी योजनाएँ शामिल हैं। पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया में बौद्धों की विशाल जनसंख्या होने के नाते भारत ने विश्व भर के बौद्धों के लिये एक तीर्थयात्रा केन्द्र बनाने का प्रयास किया है। बौद्ध पर्यटन सर्किट पर पहले चरण का काम तेजी से बढ़ रहा है।
भारत और बौद्ध धर्म का रिश्ता पूरे भारत-प्रशांत क्षेत्र की कूटनीतिक सफलता के लिये महत्त्वपूर्ण योजना है और यह एक शांतिपूर्ण और दोस्ताना माहौल के साथ-साथ क्षेत्र के विकास को सुनिश्चित करने में एक प्रभावी कदम हो सकता है।
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