अंतर्राष्ट्रीय संबंध
भारत-ऑस्ट्रेलिया संबंध: एक नज़र में
- 30 May 2020
- 15 min read
इस Editorial में The Hindu, The Indian Express, Business Line आदि में प्रकाशित लेखों का विश्लेषण किया गया है। इस लेख में भारत-ऑस्ट्रेलिया संबंध व उससे संबंधित विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई है। आवश्यकतानुसार, यथास्थान टीम दृष्टि के इनपुट भी शामिल किये गए हैं।
संदर्भ
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष स्कॉट मॉरिसन (Scott Morrison) 4 जून 2020 को द्विपक्षीय आभाषी बैठक (virtual bilateral summit) में हिस्सा लेंगें। इस बैठक का मुख्य विषय भारत-ऑस्ट्रेलिया के रक्षा संबंधों को मज़बूत करना, वैश्विक महामारी COVID-19 से बचाव के बेहतर विकल्प तलाश करना और विश्व स्वास्थ्य संगठन में आवश्यक सुधारों पर बल देना है।
भारत और ऑस्ट्रेलिया दोनों बहुत लंबे समय से एक दूसरे के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध साझा कर रहे हैं और दिनों-दिन इन संबंधों में प्रगति देखी जा रही है। द्विपक्षीय व्यापार, रणनीतिक प्रयास, छात्र विनिमय कार्यक्रम, सतत् विकास के लिये समान प्रतिबद्धताओं ने भारत तथा ऑस्ट्रेलिया के संबंधों को और अधिक गतिशील बना दिया है। जब विश्व व्यवस्था में तेज़ी से बदलाव हो रहा है तब ऐसे दौर में हिंद-प्रशांत क्षेत्र का महत्त्व और भी बढ़ जाता है। निश्चित तौर पर हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत व ऑस्ट्रेलिया की एकजुटता चीन की साम्राज्यवादी नीतियों को प्रतिसंतुलित करने में एक सफल प्रयास साबित होगी।
इस आलेख में भारत व ऑस्ट्रेलिया के ऐतिहासिक संबंधों के साथ सहयोग के विभिन्न क्षेत्रों और ऑस्ट्रेलिया के ‘विज़न इंडिया 2035’ कार्यक्रम के बारे में विस्तार से चर्चा की जाएगी।
भारत व ऑस्ट्रेलिया के मध्य ऐतिहासिक संबंध
- भारत और ऑस्ट्रेलिया ने कई दशकों में क्रमिक रूप से एक-दूसरे के प्रति रणनीतिक विश्वास का निर्माण किया है। ऑस्ट्रेलिया और भारत ने सर्वप्रथम स्वतंत्रता से पूर्व राजनयिक संबंध स्थापित किये, जब भारत के वाणिज्य दूतावास को पहली बार वर्ष 1941 में सिडनी में एक व्यापार कार्यालय के रूप में खोला गया था।
- मार्च 1944 में लेफ्टिनेंट जनरल इवेन मैके (Iven Mackay) को भारत में ऑस्ट्रेलिया का पहला उच्चायुक्त नियुक्त किया गया। ऑस्ट्रेलिया में भारत के पहले उच्चायुक्त को वर्ष 1945 में कैनबरा में नियुक्त किया गया था।
- 1950 के दशक में कोलंबो योजना (Colombo Plan) के माध्यम से कई भारतीय छात्रों को ऑस्ट्रेलिया में जाकर अध्ययन करने के लिये प्रोत्साहित किया गया था।
- वर्ष 1992 में ऑस्ट्रेलिया-भारत परिषद (Australia-India Council-AIC) की स्थापना हुई।
- वर्ष 2008 में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच पारस्परिक विधिक सहायता संधि (Mutual Legal Assistance Treaty-MLAT) और प्रत्यर्पण संधि (Extradition Treaty) पर हस्ताक्षर किये गए।
- वर्ष 2009 में सुरक्षा सहयोग पर एक संयुक्त घोषणा सहित ‘रणनीतिक साझेदारी’ के लिये दोनों राष्ट्रों के बीच द्विपक्षीय संबंधों का उन्नयन हुआ।
- वर्ष 2014 में तत्कालीन प्रधानमंत्री टोनी एबॉट (Tony Abbott) की भारत यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच एक नागरिक परमाणु सहयोग समझौते (Civil Nuclear Cooperation Agreement) पर हस्ताक्षर किये गए।
- वर्ष 2016 में ऑस्ट्रेलियाई संसद ने ‘सिविल न्यूक्लियर ट्रांसफर टू इंडिया बिल 2016’ (Civil Nuclear Transfer to India Bill 2016) पारित किया, जो यह सुनिश्चित करता है कि नागरिक उपयोग के लिये भारत को ऑस्ट्रेलियाई यूरेनियम की आपूर्ति का अनुबंध सुनिश्चित किया जाए।
सहयोग के विभिन्न क्षेत्र
- आर्थिक संबंध:
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भारत एक तेज़ी से आगे बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था है और ऑस्ट्रेलिया ने इसकी पहचान करते हुए भारत के साथ महत्त्वपूर्ण आर्थिक समझौते किये हैं।
- वर्ष 2016 में ऑस्ट्रेलिया में भारत का निर्यात लगभग 4.6 बिलियन डॉलर का था, जबकि इसी अवधि में ऑस्ट्रेलिया से भारत का आयात 11 बिलियन डॉलर का था। ऑस्ट्रेलिया में भारत का मुख्य निर्यात यात्री मोटर वाहन, मशीनरी, मोती, रत्न एवं आभूषण, औषधि एवं परिष्कृत पेट्रोलियम हैं जबकि भारत का प्रमुख आयात कोयला, गैर-मौद्रिक सोना, तांबा, ऊन, उर्वरक और शिक्षा संबंधी सेवाएँ हैं।
- दोनों देशों के बीच वर्तमान में लगभग 20 बिलियन डॉलर का व्यापार हो रहा है।
- दोनों देश वर्तमान में व्यापक आर्थिक सहयोग समझौते (Comprehensive Economic Cooperation Agreement- CECA) पर सहमति बनाने का भी प्रयास कर रहे हैं।
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- शैक्षिक संबंध:
- अध्ययन के लिये अन्य देशों की ओर रुख करने वाले भारतीय छात्रों के लिये ऑस्ट्रेलिया एक लोकप्रिय गंतव्य स्थल है।
- ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने युवाओं को उनकी योग्यता और अनुभव में वृद्धि के लिये ‘न्यू कोलम्बो योजना’ (New Colombo Plan) शुरू की है।
- स्किल इंडिया मिशन के तहत भारत सरकार ने वर्ष 2022 तक 400 मिलियन लोगों को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य तय किया है, ऑस्ट्रेलिया की इसमें महत्त्वपूर्ण भूमिका हो सकती है।
- सामरिक संबंध:
- एक खुला और मुक्त एशिया-प्रशांत क्षेत्र भारत और ऑस्ट्रेलिया दोनों के ही हित में है।
- ऑस्ट्रेलिया ने भी एशिया-प्रशांत के बजाय ‘हिंद-प्रशांत’ की शब्दावली अपनाई है। यह दिखाता है कि ऑस्ट्रेलिया ने इस क्षेत्र में भारत की महती भूमिका को स्वीकार किया है।
- असैन्य परमाणु ऊर्जा सहयोग के शीघ्र संचालन तथा भारत के सुरक्षित परमाणु रिएक्टरों के लिये यूरेनियम आपूर्ति को भी ऑस्ट्रेलिया का समर्थन प्राप्त है।
- रक्षा संबंध:
- रक्षा क्षेत्र में भारत और ऑस्ट्रेलिया की एक साझा चिंता चीन को लेकर है। जहाँ ऑस्ट्रेलिया प्रशांत क्षेत्र में चीन की उपस्थिति से चिंतित है, तो वहीं भारत हिंद महासागर में चीन की बढ़ती गतिविधियों से चिंतित है।
- वर्ष 2019 के प्रारंभ में ऑस्ट्रेलियाई और भारतीय नौ-सेनाओं ने दो सप्ताह तक चलने वाले द्विपक्षीय समुद्री अभ्यास AUSINDEX में भाग लिया था।
- इस द्विपक्षीय समुद्री अभ्यास का आयोजन भारतीय नौसेना तथा रॉयल ऑस्ट्रेलियाई नौसेना (Royal Australian Navy-RAN) के बीच आपसी सहयोग एवं पारस्परिकता को बढ़ाने के लिये तथा कर्मचारियों को आपस में अपने पेशेवर विचारों के आदान-प्रदान का अवसर प्रदान करने के लिये किया गया था।
- यह महत्त्वपूर्ण है कि वर्ष 2017 में ऑस्ट्रेलियाई विदेश नीति के श्वेत-पत्र में भारत को अमेरिका, जापान, इंडोनेशिया, चीन के साथ अग्रिम पंक्ति के अंतर्राष्ट्रीय साझेदारों के रूप में मान्यता दी गई।
- चीन को प्रतिसंतुलित करने के लिये ‘क्वाड’ (QUAD) की संकल्पना वर्ष 2007 में जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे द्वारा की गई थी। इस समूह में जापान व संयुक्त राज्य अमेरिका के अतिरिक्त भारत व ऑस्ट्रेलिया भी शामिल हैं।
लॉजिस्टिक्स सपोर्ट एग्रीमेंट
- यह समझौता दोनों देशों की सेनाओं को एक-दूसरे के सैन्य रसद के उपयोग की अनुमति देगा, जिसके अंतर्गत दोंनों देशों के सैनिक आपस में भोजन, पानी और पेट्रोलियम जैसी सुविधाओं का आदान-प्रदान कर सकेंगे।
- यह समझौता चीन के सैन्य विस्तार और आर्थिक प्रभाव को देखते हुए दोनों देशों के लिये काफी महत्त्वपूर्ण होगा।
किन क्षेत्रों में संबंध बेहतर हो सकते हैं?
- अंतरिक्ष अनुसंधान:
- अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में इसरो का ट्रैक रिकॉर्ड बहुत ही अच्छा रहा है। इसरो द्वारा चंद्रयान, मंगलयान से लेकर एक साथ 104 उपग्रहों को कक्षा में स्थापित करने का सफल प्रयास किया गया है।
- भारत, ऑस्ट्रेलिया की अंतरिक्ष संबंधी पहलों के लिये इसरो के तत्त्वावधान में अभियान चला सकता है। इससे जहाँ ऑस्ट्रेलिया की अंतरिक्ष में पहुँच बढ़ेगी वहीं भारत महत्त्वपूर्ण आर्थिक लाभ प्राप्त कर सकता है।
- ऊर्जा:
- ऑस्ट्रेलिया, ऊर्जा क्षेत्र में भारत का एक महत्त्वपूर्ण भागीदार है। ऐसी उम्मीद की जा रही है कि इस दशक के अंत तक ऑस्ट्रेलिया भारत को एलएनजी (Liquefied Natural Gas) निर्यात करने वाला सबसे बड़ा देश बन जाएगा।
- भारत को चाहिये कि ऑस्ट्रेलिया के साथ दीर्घकालिक और सुरक्षित एलएनजी आपूर्ति सुनिश्चित कर मध्य-पूर्व पर अपनी अत्यधिक निर्भरता को कम करे।
- विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:
- भारत और ऑस्ट्रेलिया ने अनुसंधान और नवाचार के क्षेत्र में व्यापक प्रगति की है। 84 मिलियन डॉलर का भारत-ऑस्ट्रेलिया रिसर्च फंड ऑस्ट्रेलिया की तरफ से किसी भी देश के लिये इस क्षेत्र में किया गया अब तक सबसे बड़ा निवेश है।
- फिर भी कुछ मोर्चों पर सुधार की ज़रूरत है। ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने 1.1 बिलियन डॉलर की राशि के साथ अपना एक ‘नेशनल इनोवेशन एंड साइंस एजेंडा’ ज़ारी किया है। भारत के लिये यह उपयुक्त अवसर है कि वह इस एजेंडे के साथ अपने ‘मेक इन इंडिया’ और ‘स्टार्ट-अप इंडिया’ जैसे अभियानों को लेकर चले, ताकि विज्ञान एवं नवाचार आर्थिक विकास को गति दे सके।
- स्वास्थ्य:
- ऑस्ट्रेलिया उन चुनिंदा देशों में से एक है जिन्होंने ‘नियंत्रित अनुकूलन’(Controlled Adaptation) के माध्यम से अब तक वैश्विक महामारी COVID-19 का मुकाबला करने में कामयाबी हासिल की है।
- भारत को स्वास्थ्य और सुरक्षित भोजन के साथ-साथ आपूर्ति शृंखलाओं को सुचारू रूप से सुनिश्चित करने के लिये ऑस्ट्रेलिया से महत्त्वपूर्ण सबक सीखने की ज़रुरत है।
- दोनों ही देशों ने कोरोना वायरस की उत्पत्ति की अंतर्राष्ट्रीय जाँच में सहयोग प्रदान किया है तथा विश्व स्वास्थ्य संगठन में आवश्यक सुधार करने पर बल दिया है।
विज़न इंडिया 2035
- ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने विज़न इंडिया 2035 लॉन्च किया है। यह विज़न डॉक्यूमेंट दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों को आकार देगा।
- इसमें फूड पार्टनरशिप, खनन कारोबार का विस्तार और हवाई संपर्क को बेहतर बनाना शामिल है।
- यह विज़न डॉक्यूमेंट भारत के साथ ऑस्ट्रेलिया के आर्थिक भविष्य का रोडमैप प्रस्तुत करता है। ऑस्ट्रेलिया यह मानता है कि भारत दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था है, जो अगले 20 वर्षों में ऑस्ट्रेलियाई कारोबार के लिये किसी भी अन्य एकल बाज़ार की तुलना में अधिक अवसर प्रदान करेगा।
निष्कर्ष
भारत व ऑस्ट्रेलिया के मध्य की गई पूर्ववर्ती साझेदारी जहाँ एक ओर ‘एशिया-प्रशांत संकल्पना’ के स्थान पर ‘हिंद-प्रशांत संकल्पना को मज़बूती देने में अहम् साबित होगी तो वहीं दूसरी ओर क्वाड समूह के लिये पथ प्रदर्शक का कार्य भी करेगी। भारत-ऑस्ट्रेलिया संबंध न केवल चीन को प्रतिसंतुलित करेगा बल्कि विश्व व्यवस्था को एक नई ऊँचाई पर ले जाने का भी कार्य करेगा।
प्रश्न- बदलते वैश्विक परिदृश्य में भारत व ऑस्ट्रेलिया के मध्य सहयोग के विभिन्न क्षेत्रों का विश्लेष्णात्मक समीक्षा कीजिये।