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सामाजिक न्याय

ज़िका वायरस रोग

  • 09 Jul 2021
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये:

ज़िका वायरस रोग

मेन्स के लिये:

स्वास्थ्य के क्षेत्र में सरकार की विभिन्न पहलें

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केरल में पहली बार ज़िका वायरस रोग (ZVD) का मामला सामने आया था।

प्रमुख बिंदु:

परिचय:

  • ज़िका वायरस एक मच्छर जनित फ्लेविवायरस है जिसे पहली बार वर्ष 1947 में युगांडा में बंदरों में पहचाना गया था। इसे बाद में वर्ष 1952 में युगांडा तथा संयुक्त गणराज्य तंजानिया में मनुष्यों में पहचाना गया।

प्रसार:

  • ZVD मुख्य रूप से एडीज़ मच्छर (AM) द्वारा प्रसारित वायरस के कारण होता है।
    • यह वही मच्छर है जिसके कारण डेंगू, चिकनगुनिया और पीत ज्वर होता है।
  • ज़िका वायरस गर्भावस्था के दौरान माँ से भ्रूण में, यौन संपर्क, रक्त और रक्त उत्पादों के आधान तथा अंग प्रत्यारोपण के माध्यम से भी फैलता है।

लक्षण:

  • इसके लक्षण आमतौर पर हल्के होते हैं और इसमें बुखार, शरीर पर दाने, कंजंक्टिवाइटिस (Conjunctivitis), मांसपेशियों एवं जोड़ों में दर्द, अस्वस्थता या सिरदर्द शामिल है। ज़िका वायरस संक्रमण वाले अधिकांश लोगों में लक्षण विकसित नहीं होते हैं।
  • गर्भावस्था के दौरान ज़िका वायरस के संक्रमण के कारण शिशुओं का जन्म माइक्रोसेफली (Microcephaly) (सामान्य सिर के आकार से छोटा) और अन्य जन्मजात विकृतियों के साथ हो सकता है, जिन्हें जन्मजात ज़िका सिंड्रोम के रूप में जाना जाता है।

उपचार:

  • ज़िका के लिये कोई टीका या दवा उपलब्ध नहीं है। इससे निपटने के लिये शुरुआत में ही लक्षणों पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिये। बुखार तथा दर्द से निजात पाने के लिये रिहाइड्रेशन एवं एसिटामिनोफेन (Acetaminophen) पर ध्यान केंद्रित किया जाता है।

संबंधित सरकारी कार्यक्रम/पहल:

  • एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम: इसका उद्देश्य  प्रयोगशालाओं एवं सूचना संचार प्रौद्योगिकी के समन्वय के साथ प्रशिक्षित त्‍वरित प्रतिक्रियात्‍मक टीम (RRT) के माध्यम से प्रारंभिक विकसित चरण में प्रकोप का पता लगाने और प्रतिक्रिया व्यक्त  करने एवं महामारी संभावित रोगों को नियंत्रित करने के लिये विकेंदीकृत रोग निगरानी प्रणाली को बनाए रखना/सुदृढ़ करना है।
  • राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम: भारत में छह वेक्टर जनित रोगों अर्थात् मलेरिया, डेंगू, लिम्फेटिक फाइलेरिया, कालाजार, जापानी इंसेफेलाइटिस और चिकनगुनिया की रोकथाम व नियंत्रण के लिये केंद्रीय नोडल एजेंसी।
  • राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (RBSK): यह राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत एक पहल है जिसका उद्देश्य माइक्रोसेफली (जन्म दोषों की निगरानी हेतु प्रणाली) की निगरानी करना है।

डेंगू

  • डेंगू का प्रसार मच्छरों की कई जीनस एडीज़ (Genus Aedes) प्रजातियों मुख्य रूप से एडीज़ इजिप्टी (Aedes aegypti) द्वारा होता है।
  • इसके लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द और खसरे के समान त्वचा पर लाल चकत्ते शामिल हैं। 
  • डेंगू के टीके CYD-TDV या डेंगवाक्सिया (CYD-TDV or Dengvaxia) को लगभग 20 देशों में स्वीकृत प्रदान की गई है। 

चिकनगुनिया

  • चिकनगुनिया मच्छर जनित वायरस के कारण होता है।
  • यह एडीज़ एजिप्टी (Aedes Aegypti) और एडीज़ एल्बोपिक्टस (Albopictus Mosquitoes) मच्छरों द्वारा फैलता है।
  • इसके लक्षणों में अचानक बुखार, तेज़ जोड़ों का दर्द, अक्सर हाथों और पैरों में दर्द, साथ ही  इसमें सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, शरीर में सूजन या दाने हो सकते हैं।
  • चिकनगुनिया के उपचार के लिये कोई विशिष्ट एंटीवायरल दवा नहीं है।
  • न ही कोई वाणिज्यिक चिकनगुनिया (Commercial Chikungunya) टीका है।

पीत ज्वर (Yellow Fever)

  • पीत ज्वर मच्छरों से फैलने वाली बीमारी है। यह पीलिया (Jaundice) जैसी होती है, इसीलिये इसे पीत/पीला (Yellow) के नाम से भी जाना जाता है।
  • पीत ज्वर के लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, पीलिया, मांसपेशियों में दर्द, मतली, उल्टी और थकान शामिल हैं।
  • पीत-ज्वर को सामान्यतः ‘17D’ भी कहा जाता है। आमतौर पर यह टीका (Vaccine) सुरक्षित माना जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, पीत ज्वर को एक अत्यंत प्रभावी टीके की सिर्फ एक खुराक द्वारा रोका जाता है, जो सुरक्षित और सस्ती होने के साथ-साथ इस बीमारी के खिलाफ निरंतर प्रतिरक्षा एवं जीवन भर सुरक्षा प्रदान करने के लिये पर्याप्त है।
  • हालाँकि इसके संबंध में किये गए अनुसंधानों एवं कुछ रिपोर्टों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक, पीत ज्वर संबंधी टीकाकरण के बाद शरीर के कई तंत्रों के खराब होने या सही से काम न करने की बातें सामने आई हैं, यहाँ तक कि इसके कारण कुछ लोगों की मृत्यु तक हो गई है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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