सामाजिक न्याय
एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम
- 28 Aug 2020
- 8 min read
प्रिलिम्स के लिये:एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम मेन्स के लिये:एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम |
चर्चा में क्यों?
COVID-19 महामारी का प्रसार इस बात की याद दिलाता है कि हम बीमारियों के प्रकोप को नियंत्रित करने तथा समझने में कितने पीछे हैं। यह इस ओर संकेत करता है कि 'एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम' की अवधारणा वर्तमान समय में अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में विफल रही है।
प्रमुख बिंदु:
- वैज्ञानिक समुदाय COVID-19 के कारक SARS-CoV-2 वायरस का पता लगाने में समर्थ है परंतु वैज्ञानिक समुदाय कई बार अनेक बीमारियों के कारण का पता लगाने में विफल रहे हैं।
- भारत में रोगों के प्रकोप के अध्ययन की ज़िम्मेदारी ‘राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र’ (National Centre for Disease Control- NCDC) के पास है।
राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र:
- यह देश में रोगों की निगरानी के लिये नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करता है।
- यह सार्वजनिक स्वास्थ्य, प्रयोगशाला विज्ञान एंटोमोलॉजिकल (Entomological) सेवाओं हेतु विशेष कार्यबल के प्रशिक्षण के लिये राष्ट्रीय स्तर का संस्थान भी है और विभिन्न अनुसंधान गतिविधियों में शामिल है।
एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम (IDSP):
पृष्ठभूमि:
- रोगों के प्रकोप का शीघ्रता से पता लगाने और अनुक्रिया देने के लिये नवंबर, 2004 में ‘विश्व बैंक’ की सहायता से 'एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम' (Integrated Disease Surveillance Programme- IDSP) शुरू किया गया था।
- एक ‘केंद्रीय निगरानी इकाई’ (Central Surveillance Unit- CSU) की स्थापना 'राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र’, दिल्ली में की गई है।
- सभी राज्यों तथा ज़िलों (SSU/DSU) में निगरानी इकाइयों की स्थापना की गई है।
IDSP का उद्देश्य:
- रोगों की प्रवृत्ति पर निगरानी रखने के लिये विकेंद्रीकृत निगरानी प्रणाली को मज़बूत करना।
- प्रशिक्षित रैपिड रिस्पांस टीम (Rapid Response Team- RRTs) के माध्यम से शुरुआती चरण में प्रकोपों का पता लगाना एवं प्रतिक्रिया देना।
- डेटा के संग्रह, संकलन, विश्लेषण और प्रसार के लिये सूचना संचार प्रौद्योगिकी का प्रयोग करना।
- सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयोगशालाओं को मज़बूत बनाना।
IDSP कार्यक्रम से जुड़ी चुनौतियाँ:
रोगों का उचित वर्गीकरण नहीं:
- IDSP के तहत बीमारियों को वर्गीकृत करने के लिये छह सिंड्रोमों; जिसमें बुखार, तीन सप्ताह से अधिक समय तक खांसी, तीव्र शारीरिक पक्षाघात (Acute flaccid Paralysis), डायरिया, पीलिया, असामान्य घटनाओं के कारण मृत्यु या अस्पताल में भर्ती होना शामिल हैं, की पहचान की गई है।
- स्वास्थ्य कार्यकर्त्ताओं द्वारा रोगी के सामान्य लक्षणों को देखकर सामान्य बुखार के रूप में वर्गीकृत कर दिया जाता है, तथा वास्तविक बीमारी का पता लगाना मुश्किल हो जाता है।
डेटा के लिये राज्यों पर निर्भरता:
- IDSP के पास रोगों के प्रकोप के संबंध में पर्याप्त जानकारी का अभाव रहता है। IDSP रोगों की निगरानी के लिये मीडिया रिपोर्ट तथा राज्य मशीनरी पर निर्भर करता है।
सार्वजनिक डोमेन में सूचना का अभाव:
- यह देखा गया है कि अनेक बीमारियों के प्रकोप में जब मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया और स्क्रब टायफस आदि की जांच रिपोर्ट नेगेटिव आई, इनमें से अनेक मामलों की रिपोर्ट आगे जांच के लिये भेजी गई। परंतु इसके परिणाम सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध नहीं हैं।
- IDSP वेबसाइट पर मासिक 'रोग चेतावनी' जारी की जाती है। नवीनतम मासिक रिपोर्ट, सितंबर 2019 में उपलब्ध कराई गई थी।
आगे की राह:
- भारतीय स्वास्थ्य प्रणाली में संसाधनों की कमी, कार्य का अधिक बोझ, कानूनों का अप्रभावी कार्यान्वयन जैसी कई समस्याएँ विद्यमान हैं। यदि हम भारत को एक स्वस्थ राष्ट्र के रूप में देखना चाहते हैं तो उपर्युक्त समस्याओं को दूर किया जाना आवश्यक है।
- COVID- 19 की भयावह स्थिति ने मानव तथा पशुओं (घरेलू एवं जंगली) के स्वास्थ्य के बीच के संबंधों को उजागर किया है, ऐसे में एकीकृत स्वास्थ्य फ्रेमवर्क- जिसे ’वन हेल्थ माॅडल’ (Onehealth Model) के रूप में भी जाना जाता है, को देश में लागू करने का यह उचित समय है।
भारत में रहस्यमयी बीमारियों के कुछ मामले:
असम का तेज़पुर ज़िला:
- अगस्त 2019 में, असम के तेज़पुर में 164 लोगों के संबंध में एक रहस्यमय बुखार की सूचना प्राप्त हुई। रोगियों में सभी उम्र के लोग शामिल थे और महिला और पुरुष दोनों प्रभावित थे।
- इन रोगियों पर मलेरिया के लिये परीक्षण किया गया था, लेकिन सभी की रिपोर्ट नेगेटिव आई थी।
- इन रोगियों के वास्तविक रोग का पता नहीं चल सका है लेकिन लक्षणों के आधार पर रोगियों का इलाज किया गया।
राजस्थान का सवाई माधोपुर ज़िला:
- राजस्थान के सवाई माधोपुर ज़िले के चान गाँव में सितंबर 2019 में बुखार के 1,000 से अधिक मामलों के कारण के बारे में कोई उचित जानकारी उपलब्ध नहीं है।
- कुल 28 रक्त नमूने एकत्र किये गए जिनमें से आधे मामले डेंगू, चिकनगुनिया या स्क्रब टाइफस से पॉज़िटिव पाए गए।
- तीन बच्चे कोरियनेबैक्टीरियम (Corynebacterium) पॉज़िटिव पाए गए।
- कोरियनेबैक्टीरियम डिप्थीरिया और मलेरिया का कारण होता है।
ओडिशा का मल्कानगिरि ज़िला:
- ओडिशा के मल्कानगिरि ज़िले के एक गाँव में 15 लोगों की रहस्यमयी बुखार से मृत्यु हो गई।
- इसी प्रकार बरेली (उत्तरप्रदेश), सूरत (गुजरात) में भी रहस्यमयी बुखार के मामले देखने को मिले हैं।