महामारी संधि का शून्य मसौदा | 04 Feb 2023
प्रिलिम्स के लिये:महामारी संधि का शून्य-मसौदा, WHO, Covid-19, पैथोजन एक्सेस और बेनिफिट-शेयरिंग सिस्टम, IHR मेन्स के लिये:स्वास्थ्य क्षेत्र के लिये जोखिम पैदा करने वाली चुनौतियाँ |
चर्चा में क्यों?
वैश्विक और राष्ट्रीय महामारी से निपटने हेतु प्रयासों को बढ़ावा देने के लिये विश्व स्वास्थ्य संगठन ने महामारी संधि का "शून्य-मसौदा" प्रकाशित किया है।
- इस संधि का उद्देश्य महामारी और अन्य वैश्विक स्वास्थ्य आपात स्थितियों से उत्पन्न चुनौतियों का समाधान करना है।
- सहयोग और समानता के साथ कोविड-19 महामारी की रोकथाम में अंतर्राष्ट्रीय समाज की विफलता को स्वीकार करते हुए महामारी संधि का शून्य-ड्राफ्ट तैयार किया गया था।
मसौदा के प्रमुख घटक:
- वैश्विक सहयोग:
- यह महामारी और अन्य वैश्विक स्वास्थ्य आपदाओं से निपटने के लिये बेहतर तैयारी और इनकी रोकथाम के लिये विश्वव्यापी समन्वय और सहयोग की मांग करता है।
- स्वास्थ्य प्रणालियों का सुदृढ़ीकरण:
- यह सभी देशों में विशेष रूप से निम्न और मध्यम आय वाले देशों में स्वास्थ्य प्रणालियों को मज़बूत करने की आवश्यकता पर बल देता है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे महामारी और अन्य वैश्विक स्वास्थ्य आपात स्थितियों से निपटने के लिये बेहतर तरीके से तैयार हैं।
- शोध और विकास में निवेश:
- यह महामारी और अन्य वैश्विक स्वास्थ्य आपात स्थितियों के दौरान टीके, निदान और उपचार जैसी आवश्यक स्वास्थ्य तकनीकों तक बेहतर पहुँच सुनिश्चित करने पर बल देता है।
- यह स्वास्थ्य प्रौद्योगिकियों के अनुसंधान और विकास में निवेश बढ़ाने का आह्वान करता है, विशेष रूप से उन बीमारियों हेतु जो वैश्विक स्वास्थ्य के लिये एक गंभीर खतरा पैदा करती हैं।
- सूचना साझा करने में पारदर्शिता:
- यह महामारी और अन्य वैश्विक स्वास्थ्य आपात स्थितियों के संदर्भ में अधिक पारदर्शिता एवं जानकारी साझा करने का आह्वान करता है, जिसमें बीमारियों के प्रसार तथा हस्तक्षेपों की प्रभावशीलता संबंधी डेटा शामिल है।
- पैथोजन एक्सेस एंड बेनिफिट शेयरिंग सिस्टम:
- WHO के तहत PABS का गठन किया गया है, जिससे महामारी की संभावना वाले सभी रोगजनकों के जीनोमिक क्रम को तंत्र में "समान स्तर" पर साझा किया जा सके।
- PABS प्रणाली नई दवाओं और वैक्सीन के अनुसंधान एवं विकास में रोगजनकों तथा उनके आनुवंशिक संसाधनों के ज़िम्मेदार और न्यायसंगत उपयोग को सुनिश्चित करने हेतु महत्त्वपूर्ण उपकरण है, साथ ही इन संसाधनों को प्रदान करने वाले देशों तथा समुदायों के अधिकारों एवं हितों को भी स्वीकार करता है।
- WHO के तहत PABS का गठन किया गया है, जिससे महामारी की संभावना वाले सभी रोगजनकों के जीनोमिक क्रम को तंत्र में "समान स्तर" पर साझा किया जा सके।
- लैंगिक असमानताओं की पहचान:
- हेल्थकेयर वर्कफोर्स में लैंगिक असमानताओं की पहचान करने में मसौदे का उद्देश्य समान वेतन पर ज़ोर देकर एवं नेतृत्त्व की भूमिका निभाने में महिलाओं के समक्ष विशिष्ट बाधाओं को दूर कर "सभी स्वास्थ्य तथा देखभाल कार्यकर्त्ताओं का सार्थक प्रतिनिधित्त्व, जुड़ाव, भागीदारी व सशक्तीकरण सुनिश्चित करना" है।
वैश्विक स्वास्थ्य सहयोग हेतु मौजूदा ढाँचा:
- अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य विनियम (International Health Regulations- IHR), अंतर्राष्ट्रीय कानून का एक साधन है जो भारत सहित 196 देशों पर कानूनी रूप से बाध्यकारी है।
- इसका उद्देश्य रोगों के अंतर्राष्ट्रीय प्रसार को रोकने, उससे बचाव, नियंत्रण और सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रतिक्रिया प्रदान करने के लिये अंतर्राष्ट्रीय सहयोग करना है।
- यह एक व्यापक कानूनी ढाँचा प्रदान करता है जो विश्वव्यापी प्रसार की क्षमता रखने वाले सार्वजनिक स्वास्थ्य घटनाक्रमों और आपात स्थितियों के प्रबंधन के मामले में विश्व के देशों के अधिकारों तथा दायित्त्वों को परिभाषित करता है।
- IHR, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) को मुख्य वैश्विक निगरानी प्रणाली के रूप में कार्य करने हेतु सशक्त बनाता है। ये विनियमन यह निर्धारित करने के मानदंडों को भी रेखांकित करते हैं कि कोई विशेष स्वास्थ्य घटनाक्रम अंतर्राष्ट्रीय चिंता का सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल (PHEIC) का गठन कर रहा है या नहीं।
वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य क्षेत्र के लिये चुनौतियाँ:
- स्वास्थ्य सेवा तक पहुँच का अभाव:
- चिकित्सा प्रौद्योगिकी में प्रगति के बावजूद विश्व भर में एक बड़ी आबादी के लिये अभी भी बुनियादी स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच की कमी है, विशेषकर निम्न और मध्यम आय वाले देशों में।
- जैसे-जैसे विश्व की आबादी बढ़ रही है, दीर्घकालिक देखभाल सेवाओं की मांग भी बढ़ रही है, जो अक्सर महँगी होती हैं और पारंपरिक स्वास्थ्य बीमा द्वारा कवर नहीं की जाती हैं।
- अक्षम स्वास्थ्य अवसंरचना:
- सार्वजनिक स्वास्थ्य डेटा और अवसंरचना खंडित है तथा वैश्विक मानक की कमी है जो मौजूदा स्वास्थ्य प्रणालियों की गुणवत्ता एवं विश्वसनीयता के बारे में एक प्रमुख चिंता का विषय है।
- इसके अलावा अस्पताल के खर्च का एक बड़ा हिस्सा उन निरोध्य चिकित्सा चूकों या संक्रमणों (Preventable Medical Mistakes or Infections) को ठीक करने में व्यय होता है जिसके शिकार लोग अस्पतालों में होते हैं। इसके साथ ही मेडिकल स्टाफ की कमी भी पाई जाती है।
- सार्वजनिक स्वास्थ्य डेटा और अवसंरचना खंडित है तथा वैश्विक मानक की कमी है जो मौजूदा स्वास्थ्य प्रणालियों की गुणवत्ता एवं विश्वसनीयता के बारे में एक प्रमुख चिंता का विषय है।
- सामर्थ्य और असमानता:
- स्वास्थ्य सेवाएँ महँगी हो सकती हैं और विशेष रूप से निम्न तथा मध्यम आय वाले देशों में कई व्यक्ति बुनियादी स्वास्थ्य सेवाओं को वहन करने के लिये संघर्ष करते हैं।
- चिकित्सा प्रौद्योगिकी में प्रगति के बावजूद विश्व स्तर स्वास्थ्य परिणामों में महत्त्वपूर्ण असमानताएँ बनी हुई हैं, खासकर ऐसी आबादी में जो हाशिये पर स्थित है।
- स्वास्थ्यकर्मियों की कमी:
- कई देशों में स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र प्रशिक्षित और योग्य स्वास्थ्यकर्मियों की कमी का सामना कर रहा है, विशेष रूप से निम्न और मध्यम आय वाले देशों में।
- भारत में प्रति 10,189 लोगों पर 1 सरकारी डॉक्टर है (WHO, के अनुसार प्रति डॉक्टर लोगों का अनुपात- 1:1000होना चाहिए), जो 6,00,000 डॉक्टरों की कमी का संकेत देता है।
- कई देशों में स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र प्रशिक्षित और योग्य स्वास्थ्यकर्मियों की कमी का सामना कर रहा है, विशेष रूप से निम्न और मध्यम आय वाले देशों में।
- गैर-संचारी रोग:
- गैर-संचारी रोग, जैसे हृदय रोग, स्ट्रोक, कैंसर और मधुमेह तीव्र गति से आम रोग होते जा रहे हैं तथा स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों पर अनावश्यक बोझ बन रहे हैं।
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