विश्व मलेरिया रिपोर्ट 2020 | 03 Dec 2020
चर्चा में क्यों?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation- WHO) ने हाल ही में विश्व मलेरिया रिपोर्ट (WMR) 2020 जारी की है।
- यह रिपोर्ट वैश्विक और क्षेत्रीय स्तर पर मलेरिया से संबंधित आँकड़ों एवं रुझानों पर व्यापक अपडेट प्रदान करती है जिसमें इस बीमारी के रोकथाम, निदान, उपचार, उन्मूलन और निगरानी संबंधी जानकारियों को शामिल किया जाता है।
- रिपोर्ट में दर्शाया गया है कि भारत ने मलेरिया के मामलों में कमी लाने के काम में प्रभावी प्रगति की है।
प्रमुख बिंदु
- वैश्विक विश्लेषण:
- विश्व स्तर पर मलेरिया के लगभग 229 मिलियन मामले प्रतिवर्ष सामने आते हैं, यह एक वार्षिक अनुमान है जो पिछले चार वर्षों में लगभग अपरिवर्तित रहा है।
- वर्ष 2019 में मलेरिया के कारण 4,0,9000 लोगों की मृत्यु हुई जबकि वर्ष 2018 यह आँकड़ा 4,11000 था।
- रिपोर्ट के अनुसार, मलेरिया के सर्वाधिक मामले 11 देशों- बुर्किना फासो, कैमरून, लोकतांत्रिक गणराज्य कांगो, घाना, भारत, माली, मोज़ाम्बिक, नाइजर, नाइजीरिया, युगांडा और तंज़ानिया में दर्ज किये गए। ये देश कुल अनुमानित वैश्विक मामलों के 70 प्रतिशत तथा मलेरिया के कारण होने वाली कुल अनुमानित मौतों में से 71 प्रतिशत के लिये उत्तरदायी थे।
- दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों ने विशेष रूप से मलेरिया के मामलों तथा इसके कारण होने वाली मौतों में क्रमशः 73% और 74% की कमी के साथ रोग को नियंत्रित करने के मामले में मज़बूत प्रगति की है।
- विश्व स्तर पर मलेरिया के लगभग 229 मिलियन मामले प्रतिवर्ष सामने आते हैं, यह एक वार्षिक अनुमान है जो पिछले चार वर्षों में लगभग अपरिवर्तित रहा है।
- भारतीय विश्लेषण:
- भारत एकमात्र उच्च स्थानिक देश है जिसने वर्ष 2018 की तुलना में वर्ष 2019 में 17.6% की गिरावट दर्ज की है।
- वार्षिक परजीवी घटना अर्थात् API (प्रति 1000 जनसंख्या पर नए संक्रमण की संख्या) वर्ष 2018 की तुलना में वर्ष 2019 में 18.4% कम हो गई।
- भारत ने वर्ष 2012 से API को एक से कम बनाए रखा है।
- भारत ने मलेरिया के क्षेत्रवार मामलों में सबसे बडी गिरावट लाने में भी योगदान किया है यह 20 मिलियन से घटकर लगभग 6 मिलियन पर आ गई है।
- वर्ष 2000 से 2019 के बीच मलेरिया के मामलों में 71.8 प्रतिशत और मृत्यु के मामलों में 73.9 प्रतिशत की गिरावट आई है।
- भारत ने वर्ष 2000 और 2019 के बीच मलेरिया के रोगियों की संख्या में 83.34 प्रतिशत की कमी और इस रोग से होने वाली मौतों के मामलों में 92 प्रतिशत की गिरावट लाने में सफलता हासिल की है तथा इस प्रकार सहस्राब्दि विकास लक्ष्यों (Millennium Development Goals -MDGs) में से छठे लक्ष्य (वर्ष 2000 से 2019 के बीच मलेरिया के मामलों में 50-75 प्रतिशत की गिरावट लाना) को हासिल कर लिया है।
- भारत ने मलेरिया के मामलों में 83.34% और वर्ष 2000 से 2019 के मध्य मलेरिया मृत्यु दर में 92% की कमी हासिल की, जिससे MDG 6 लक्ष्य की प्राप्ति हुई।
- MDG 6 का उद्देश्य HIV/AIDS, मलेरिया और अन्य रोगों से निपटना है, जिनका ग्रामीण विकास, कृषि उत्पादकता और खाद्य तथा पोषण सुरक्षा पर प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता है।
- सतत विकास लक्ष्यों को MDG के स्थान पर लागू किया गया है।
- MDG 6 का उद्देश्य HIV/AIDS, मलेरिया और अन्य रोगों से निपटना है, जिनका ग्रामीण विकास, कृषि उत्पादकता और खाद्य तथा पोषण सुरक्षा पर प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता है।
- ओडिशा, छत्तीसगढ़, झारखंड, मेघालय और मध्य प्रदेश (उच्च स्थानिक राज्य) राज्यों में वर्ष 2019 में लगभग 45.47% मलेरिया के मामले दर्ज किये गए हैं।
- इन राज्यों में मलेरिया से 63.64% मौतें भी हुईं।
- पिछले दो दशकों के आँकड़े और रुझान स्पष्ट रूप से मलेरिया में भारी गिरावट को दर्शाते हैं, अतः कहा जा सकता है की वर्ष 2030 तक मलेरिया उन्मूलन का लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है।
- मलेरिया पर अंकुश लगाने के प्रयास
- भारत में मलेरिया उन्मूलन प्रयास वर्ष 2015 में शुरू हुए थे और वर्ष 2016 में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के नेशनल फ्रेमवर्क फॉर मलेरिया एलिमिनेशन (NFME) की शुरुआत के बाद इनमें और अधिक तेज़ी आई।
- NFME मलेरिया के लिये WHO की मलेरिया के लिये वैश्विक तकनीकी रणनीति 2016–2030 (GTS) के अनुरूप है। ज्ञात हो कि वैश्विक तकनीकी रणनीति WHO के वैश्विक मलेरिया कार्यक्रम (GMP) का मार्गदर्शन करता है, जो मलेरिया को नियंत्रित करने और समाप्त करने के लिये WHO के वैश्विक प्रयासों के समन्वय समन्वय हेतु उत्तरदायी है।
- जुलाई 2017 में मलेरिया उन्मूलन के लिये एक राष्ट्रीय रणनीतिक योजना (वर्ष 2017 से वर्ष 2022) की शुरुआत की, जिसमें आगामी पाँच वर्ष के लिये रणनीति तैयार की गई।
- इसके तहत मलेरिया के प्रसार के आधार पर देश के विभिन्न हिस्सों में वर्षवार उन्मूलन लक्ष्य प्रदान किया जाता है।
- जुलाई 2019 में भारत के चार राज्यों (पश्चिम बंगाल, झारखंड, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश) में ‘हाई बर्डन टू हाई इम्पैक्ट’ (HBHI) पहल का कार्यान्वयन शुरू किया गया था।
- वर्ष 2018 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और आरबीएम पार्टनरशिप (RBM Partnership) ने मलेरिया को समाप्त करने के लिये भारत समेत 11 देशों में ‘हाई बर्डन टू हाई इम्पैक्ट’ (HBHI) पहल की शुरुआत की थी।
- बीते दो वर्ष में इस पहल के काफी अच्छे परिणाम देखने को मिले हैं और मलेरिया के मामलों में कुल 18 प्रतिशत तथा मलेरिया के कारण होने वाली मौतों के मामले में 20 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है।
- भारत सरकार द्वारा सूक्ष्मदर्शी यंत्र उपलब्ध कराने के लिये किये गए प्रयासों तथा काफी लंबे समय तक टिकी रहने वाली कीटनाशक युक्त मच्छरदानियों (Long Lasting Insecticidal Nets- LLINs) के वितरण के कारण पूर्वोत्तर के 7 राज्यों, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश और ओडिशा जैसे मलेरिया से बहुत अधिक प्रभावित राज्यों में इस बीमारी के प्रसार में पर्याप्त कमी लाई जा सकी है।
- LLIN ऐसी मच्छरदानियाँ है जिन्हें नायलोन के धागों में कीटनाशक दवा सिंथेटिक पायरेथ्राइड को मिश्रित कर बनाया जाता है। कीटनाशकयुक्त मच्छरदानी में उपयोग किये गए कीटनाशक 3 वर्षों तक और 20 बार धुलाई करने तक प्रभावी रहते हैं।
- लोगों द्वारा बड़े पैमाने पर LLINs का इस्तेमाल शुरू किये जाने के बाद मलेरिया के मामलों में देश भर में भारी गिरावट आई है।
- भारत में मलेरिया उन्मूलन प्रयास वर्ष 2015 में शुरू हुए थे और वर्ष 2016 में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के नेशनल फ्रेमवर्क फॉर मलेरिया एलिमिनेशन (NFME) की शुरुआत के बाद इनमें और अधिक तेज़ी आई।