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जैव विविधता और पर्यावरण

वर्ष 2050 तक विश्व में 2 डिग्री सेल्सियस तापमान बढ़ने की संभावना

  • 02 Feb 2023
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये:

ANN, जलवायु परिवर्तन, ग्लोबल वार्मिंग, पेरिस समझौता। 

मेन्स के लिये:

ग्लोबल वार्मिंग के निहितार्थ। 

चर्चा में क्यों? 

"जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल (IPCC) के विरोधाभासी अनुमान" शीर्षक वाले एक हालिया अध्ययन के अनुसार, कम उत्सर्जन परिदृश्य के कारण भी वर्ष 2050 तक विश्व के दो डिग्री सेल्सियस तक गर्म होने की संभावना है।

  • शोधकर्त्ताओं ने तापमान के 1.5 डिग्री सेल्सियस और 2 डिग्री सेल्सियस थ्रेसहोल्ड तक पहुँचने के समय की भविष्यवाणी करने के लिये आर्टिफिशियल न्यूरल नेटवर्क (ANN) नामक कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग किया। 
  • विश्व ने वर्ष 1850-1900 के औसत तापमान की तुलना में 1.1 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि दर्ज की है।  

प्रमुख निष्कर्ष:

  • प्रक्षेपण: 
    • IPCC AR6 (छठी आकलन रिपोर्ट) संश्लेषण मूल्यांकन की तुलना में कम उत्सर्जन परिदृश्य के तहत तापमान 2 डिग्री सेल्सियस तक पहुँचने की अधिक संभावना है और पेरिस समझौते को बनाए रखने में विफल हो सकता है। 
      • पेरिस समझौते का उद्देश्य तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के प्रयासों को आगे बढ़ाते हुए इस वृद्धि को 2 डिग्री सेल्सियस से कम पर सीमित करना है।
      • IPCC के अनुसार, सभी उत्सर्जन परिदृश्यों के तहत वर्ष 2030 के दशक की शुरुआत में 1.5 डिग्री सेल्सियस की सीमा प्राप्त की जा सकती है। 
    • ग्लोबल वार्मिंग पहले से ही 1.5 डिग्री सेल्सियस तापमान की सीमा को पार करने के कगार पर है, भले ही निकट अवधि में जलवायु को प्रभावित करने वाले कारक काफी हद तक कम हो गए हों। 
      • यह 1.5 डिग्री सेल्सियस की सीमा वर्ष 2033 और 2035 के बीच कहीं अधिक उच्च, मध्यम और निम्न परिदृश्यों तक पहुँच जाएगी। 
    • उच्च-उत्सर्जन परिदृश्य के तहत विश्व वर्ष 2050 तक 2 डिग्री सेल्सियस तापमान, वर्ष 2049 में मध्यवर्ती और वर्ष 2054 तक निम्न-उत्सर्जन स्तर परिदृश्यों तक पहुँच सकता है।
      • इसके विपरीत IPCC के अनुसार, उच्च उत्सर्जन परिदृश्य के तहत 21वीं सदी के मध्य में ग्लोबल वार्मिंग के 2°C तक पहुँचने की संभावना अधिक है।
  • वार्मिंग सीमित करने का महत्त्व: 
    • ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तापमान तक सीमित करने से अत्यधिक हीट वेव से प्रभावित लोगों की संख्या लगभग 420 मिलियन कम हो जाएगी।
    • यह सूखे की संभावना और जल की उपलब्धता से जुड़े जोखिमों को भी कम कर सकता है।
  • आशय: 
    • जलवायु जोखिमों की एक विस्तृत शृंखला है, जिसमें मानव स्वास्थ्य, आर्थिक विकास, फसल पैदावार, तटीय और छोटे द्वीपीय समुदाय, स्थलीय एवं समुद्री पारिस्थितिक तंत्र के साथ-साथ चरम जलवायु घटनाओं की आवृत्ति तथा तीव्रता जैसे प्रभाव शामिल हैं, जो 1.5 डिग्री सेल्सियस की सीमा से अधिक गर्म होने के परिणामस्वरूप देखे जा सकते हैं। 

कृत्रिम तंत्रिका संजाल: 

  • ANN (Artificial Neural Networks) मशीन लर्निंग का एक महत्त्वपूर्ण उपसमुच्चय है जो कंप्यूटर वैज्ञानिकों को जटिल कार्यों, जैसे कि रणनीति बनाने, भविष्यवाणी करने और रुझानों को पहचानने में उनकी मदद करता है।. 
  • यह एक कम्प्यूटेशनल मॉडल है जो मानव मस्तिष्क में तंत्रिका कोशिकाओं के काम करने के तरीके की नकल करता है। यह मानव मस्तिष्क के विश्लेषण और सूचना को संसाधित करने के तरीके का अनुकरण करने के लिये डिज़ाइन किया गया है। 
  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. वर्ष 2015 में पेरिस में UNFCCC बैठक में हुए समझौते के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (2016)

  1. समझौते पर संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों द्वारा हस्ताक्षर किये गए थे और यह वर्ष 2017 में लागू हुआ था। 
  2. समझौते का उद्देश्य ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को सीमित करना है ताकि इस सदी के अंत तक औसत वैश्विक तापमान में वृद्धि पूर्व-औद्योगिक स्तरों से 2ºC या 1.5ºC से अधिक न हो। 
  3. विकसित देशों ने ग्लोबल वार्मिंग में अपनी ऐतिहासिक ज़िम्मेदारी को स्वीकार किया और विकासशील देशों को जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद करने हेतु वर्ष 2020 से सालाना 1000 अरब डॉलर की मदद के लिये प्रतिबद्ध हैं।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1 और 3
(b) केवल 2
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (b)


प्रश्न. ‘प्रवाल जीवन तंत्र’ पर ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव का उदाहरण सहित आकलन कीजिये।  (मुख्य परीक्षा- 2017) 

प्रश्न. ‘जलवायु परिवर्तन’ एक वैश्विक समस्या है। जलवायु परिवर्तन से भारत किस प्रकार प्रभावित होगा? भारत के हिमालयी और तटीय राज्य जलवायु परिवर्तन से कैसे प्रभावित होंगे? (मुख्य परीक्षा- 2017) 

प्रश्न. ग्लोबल वार्मिंग (वैश्विक तापन) की चर्चा कीजिये और वैश्विक जलवायु पर इसके प्रभावों का उल्लेख कीजिये। क्योटो प्रोटोकॉल, 1997 के आलोक में ग्लोबल वार्मिंग का कारण बनने वाली ग्रीनहाउस गैसों के स्तर को कम करने के लिये नियंत्रण उपायों को समझाइये। (मुख्य परीक्षा- 2022) 

स्रोत: डाउन टू अर्थ

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