जैव विविधता और पर्यावरण
खतरे में विश्व धरोहर हिमनद : यूनेस्को
- 07 Nov 2022
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चर्चा में क्यों?
हाल ही में संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) द्वारा किये गए एक अध्ययन में पाया गया है कि तापमान वृद्धि को सीमित करने के प्रयासों के बावजूद यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल एकतिहाई ग्लेशियर/हिमनद खतरे में हैं।
- हिमनद जलवायु परिवर्तन के संवेदनशील संकेतक होते हैं। क्रिस्टलीय बर्फ, चट्टान, तलछट एवं जल से निर्मित क्षेत्र, जहाँ पर वर्ष के अधिकांश समय बर्फ जमी होती है, को हिमनद कहते हैं। अत्यधिक भार व गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव से हिमनद ढलान की ओर प्रवाहित होते हैं।
प्रमुख बिंदु
- ग्लेशियरों/हिमनदों हेतु खतरा:
- यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थल में 50 ग्लेशियरों को शामिल किया गया हैं, जो पृथ्वी के कुल ग्लेशियर क्षेत्र के लगभग 10% का प्रतिनिधित्व करते हैं।
- इनमें सबसे ऊँचा (माउंट एवरेस्ट का क्षेत्र), सबसे लंबा अलास्का में तथा अफ्रीका के शेष ग्लेशियर शामिल हैं।
- ये ग्लेशियर वर्ष 2000 से कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन की वजह से बढ़ते तापमान के कारण तेज़ी से पिघल रहे हैं।
- उनसे वर्तमान में प्रत्येक वर्ष 58 बिलियन टन बर्फ पिघल रही है (फ्राँस और स्पेन के संयुक्त वार्षिक जल उपयोग के बराबर) और वैश्विक समुद्र-स्तर में लगभग 5% की वृद्धि के लिये ज़िम्मेदार है।
- अफ्रीका, एशिया, यूरोप, लैटिन अमेरिका, उत्तरी अमेरिका और ओशिनिया के ग्लेशियर खतरे में हैं।
- अफ्रीका: अफ्रीका में सभी विश्व धरोहर स्थल वर्ष 2050 तक संकट के दायरे में आ जाएंगे, जिसमें किलिमंजारो नेशनल पार्क और माउंट केन्या शामिल हैं।
- एशिया: युन्नान संरक्षित क्षेत्रों (चीन) की तीन समानांतर नदियों में ग्लेशियर, सबसे तेज़ी से पिघलने वाले ग्लेशियरों में शामिल हैं।
- यूरोप: पाइरेनीस मोंट पेर्डु ( फ्राँस, स्पेन) में वर्ष 2050 तक ग्लेशियर के गायब होने की काफी अधिक संभावना है।
- यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थल में 50 ग्लेशियरों को शामिल किया गया हैं, जो पृथ्वी के कुल ग्लेशियर क्षेत्र के लगभग 10% का प्रतिनिधित्व करते हैं।
- ग्लेशियरों का महत्व:
- आधी जनसंख्या प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर घरेलू उपयोग, कृषि और बिजली के लिये जल स्रोत के रूप में ग्लेशियरों पर निर्भर है।
- ग्लेशियर जैवविविधता का आधार होने के साथ कई पारिस्थितिक तंत्रों की खाद्य शृंखला का आधार हैं।
- जब ग्लेशियर तेज़ी से पिघलते हैं, तो लाखों लोगों को जल की कमी का सामना करना पड़ता है और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं का खतरा बढ़ जाता है तथा समुद्र के स्तर में वृद्धि से लाखों लोग विस्थापित हो सकते हैं।
- सुझाव:
- यदि पूर्व-औद्योगिक युग की तुलना में वैश्विक तापमान में वृद्धि 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक न हो तब अन्य दो-तिहाई ग्लेशियरों को बचाना अब भी संभव है।
- कार्बन उत्सर्जन में कमी किये जाँव के साथ ग्लेशियरों की निगरानी और संरक्षण के लिये एक नया अंतर्राष्ट्रीय कोष बनाने की ज़रूरत है।
- इस तरह के कोष की स्थापना से अनुसंधान, सभी हितधारकों के बीच विनिमय नेटवर्क को बढ़ावा मिलने, प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली और आपदा जोखिम को कम करने हेतु उपायों को लागू करने में सहायता मिलेगी।
- ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कटौती के साथ प्रकृति-आधारित समाधानों में निवेश करने की तत्काल आवश्यकता है जिससे न केवल जलवायु परिवर्तन को कम करने में मदद मिलेगी बल्कि लोगों में इसके प्रभावों के प्रति अनुकूलन की क्षमता बढ़ सकती है।
यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थल:
- परिचय:
- विश्व धरोहर/विरासत स्थल का आशय एक ऐसे स्थान से है, जिसे यूनेस्को द्वारा उसके विशिष्ट सांस्कृतिक अथवा भौतिक महत्त्व के कारण सूचीबद्ध किया गया है।
- विश्व धरोहर स्थलों की सूची को ‘विश्व धरोहर कार्यक्रम’ द्वारा तैयार किया जाता है, यूनेस्को की ‘विश्व धरोहर समिति’ द्वारा इस कार्यक्रम को प्रशासित किया जाता है।
- यह सूची यूनेस्को द्वारा वर्ष 1972 में अपनाई गई ‘विश्व सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहरों के संरक्षण से संबंधित कन्वेंशन’ नामक एक अंतर्राष्ट्रीय संधि में सन्निहित है।
- स्थल:
- इसके 167 सदस्य देशों में लगभग 1,100 यूनेस्को सूचीबद्ध स्थल हैं।
- वर्ष 2021 में, यूनाइटेड किंगडम के 'लिवरपूल - मैरीटाइम मर्केंटाइल सिटी' को "संपत्ति के उत्कृष्ट सार्वभौमिक मूल्य को व्यक्त करने वाली विशेषताओं के भारी नुकसान" के कारण विश्व विरासत सूची से हटा दिया गया था।
- वर्ष 2007 में यूनेस्को पैनल ने ओमान के अरबियन ऑरिक्स अभयारण्य को अवैध शिकार और निवास स्थान में कमी संबंधी चिंताओं के कारण एवं वर्ष 2009 में जर्मनी के ड्रेसडेन में एल्बे घाटी में एल्बे नदी पर वाल्डश्लोएशन रोड ब्रिज के निर्माण के बाद सूची से हटा दिया।
भारत में सांस्कृतिक स्थल:
- भारत में कुल 3691 स्मारक और स्थल हैं। इनमें से 40 यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थल के रूप में नामित हैं।
- इसमें ताजमहल, अजंता और एलोरा की गुफाएँ शामिल हैं। विश्व धरोहर स्थलों में असम में काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान जैसे प्राकृतिक स्थल भी शामिल हैं।
- गुजरात में हड़प्पा शहर धोलावीरा, भारत के 40वें विश्व धरोहर स्थल के रूप में है।
- रामप्पा मंदिर (तेलंगाना) भारत का 39वाँ विश्व धरोहर स्थल था।
- कंचनजंघा राष्ट्रीय उद्यान, सिक्किम को भारत का पहला और एकमात्र "मिश्रित विश्व विरासत स्थल" के रूप में चिह्नित किया गया है।
- वर्ष 2022 में केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने वर्ष 2022-2023 के लिये विश्व विरासत स्थल के रूप में विचार करने के लिये होयसल मंदिरों के पवित्र समागम को नामित किया।
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