विश्व धरोहर दिवस | 19 Apr 2023
प्रिलिम्स के लिये:स्मारकों और स्थलों पर अंतर्राष्ट्रीय परिषद (ICOMOS), विश्व धरोहर दिवस, यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल, खंगचेंदज़ोंगा राष्ट्रीय उद्यान, कला और सांस्कृतिक विरासत हेतु भारतीय राष्ट्रीय न्यास (INTACH), भौगोलिक सूचना प्रणाली, सुदूर संवेदन। मेन्स के लिये:भारत में विरासत स्थलों की स्थिति, भारत की सांस्कृतिक पहचान पर विरासत का प्रभाव, भारत में विरासत प्रबंधन से संबंधित मुद्दे। |
चर्चा में क्यों?
स्मारकों और स्थलों पर अंतर्राष्ट्रीय परिषद (International Council on Monuments and Sites- ICOMOS) ने वर्ष 1982 में 18 अप्रैल का दिन स्मारकों एवं स्थलों हेतु अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में घोषित किया, जिसे विश्व धरोहर दिवस के रूप में भी जाना जाता है।
- इस वर्ष की थीम "धरोहर परिवर्तन (Heritage Changes)" है, जो जलवायु कार्रवाई में सांस्कृतिक विरासत की भूमिका एवं कमज़ोर समुदायों की रक्षा में इसके महत्त्व पर केंद्रित है।
भारत में धरोहर स्थलों की स्थिति:
- परिचय:
- भारत में वर्तमान में 40 यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल मौजूद हैं, जो इसे विश्व में छठा स्थान प्रदान करता है।
- इनमें 32 सांस्कृतिक स्थल, 7 प्राकृतिक स्थल और एक खंगचेंदज़ोंगा राष्ट्रीय उद्यान मिश्रित प्रकार का स्थल है।
- भारत में सांस्कृतिक धरोहर स्थलों में प्राचीन मंदिर, किले, महल, मस्जिद और पुरातात्त्विक स्थल शामिल हैं जो देश के समृद्ध इतिहास एवं विविधता को दर्शाते हैं।
- भारत के प्राकृतिक धरोहर स्थलों में राष्ट्रीय उद्यान, वन्यजीव रिज़र्व और प्राकृतिक परिदृश्य शामिल हैं जो देश की अद्वितीय जैवविविधता एवं पारिस्थितिक महत्त्व को प्रदर्शित करते हैं।
- भारत में मिश्रित प्रकार का स्थल खंगचेंदज़ोंगा राष्ट्रीय उद्यान अपने सांस्कृतिक महत्त्व के साथ-साथ जैवविविधता हेतु जाना जाता है, क्योंकि यह कई दुर्लभ तथा लुप्तप्राय प्रजातियों का आवास स्थल है।
- भारतीय धरोहर से संबंधित संवैधानिक और विधायी प्रावधान:
- राज्य के नीति निदेशक सिद्धांत: अनुच्छेद 49 के अनुसार, राज्य का दायित्त्व है कि वह संसद द्वारा बनाए गए कानून के तहत राष्ट्रीय महत्त्व के प्रत्येक स्मारक/कलाकृति/ ऐतिहासिक महत्त्व की वस्तु अथवा स्थान को सुरक्षित करे।
- मौलिक कर्तव्य: संविधान के अनुच्छेद 51A में कहा गया है कि यह भारत के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य होगा कि वह देश की संस्कृति की समृद्ध विरासत को महत्त्व दे और उसका संरक्षण करे।
- प्राचीन स्मारक और पुरातत्त्व स्थल और अवशेष अधिनियम (AMASR अधिनियम) 1958: यह भारत की संसद द्वारा पारित अधिनियम है जो प्राचीन और ऐतिहासिक स्मारकों और पुरातात्त्विक स्थलों तथा राष्ट्रीय महत्त्व के अवशेषों के संरक्षण, पुरातात्त्विक खुदाई संबंधी नियमन और मूर्तियों, नक्काशियों एवं इसी तरह की अन्य वस्तुओं के संरक्षण का प्रावधान करता है।
- भारत की सांस्कृतिक पहचान पर विरासत का प्रभाव:
- भारत का वैभव: विरासत दृश्यमान कलाकृतियों और अदृश्य सामाजिक विशेषताओं के रूप में पूर्वजों द्वारा सुरक्षित की गई संपदा है जिसे वर्तमान में बरकरार रखते हुए आने वाली पीढ़ियों के लाभ के लिये संरक्षित किया जाता है।
- विविधता में एकता का प्रतिबिंब: भारत समुदायों, रीति-रिवाजों, परंपराओं, धर्मों, संस्कृतियों, मान्यताओं, भाषाओं, जातियों और सामाजिक व्यवस्था का देश है।
- इतनी विविधता के बाद भी अनेकता में एकता भारतीय संस्कृति की सबसे बड़ी विशेषता है।
- सहिष्णु प्रकृति: भारतीय समाज में प्रत्येक संस्कृति को समृद्ध होने का अवसर प्राप्त हुआ है जो हमें इसकी विविध धरोहरों में देखने को मिलता है। यह एकरूपता के लिये विविधता को दबाने का प्रयास नहीं करता।
- भारत में धरोहर प्रबंधन से संबंधित मुद्दे:
- धरोहर स्थलों के लिये केंद्रीकृत डेटाबेस का अभाव: भारत में राष्ट्रीय स्तर पर व्यापक डेटाबेस का अभाव है जो राज्यवार धरोहर संरचनाओं को वर्गीकृत करता है।
- कला और सांस्कृतिक विरासत हेतु भारतीय राष्ट्रीय न्यास (INTACH) ने लगभग 150 शहरों में लगभग 60,000 इमारतों का आविष्कार किया है जो काफी कम है क्योंकि देश में 4000 से अधिक विरासत कस्बों और शहरों के होने का अनुमान है।
- उत्खनन और अन्वेषण का पुराना तंत्र: पुराने तंत्रों की व्यापकता के कारण अन्वेषण में शायद ही कभी भौगोलिक सूचना प्रणाली और सुदूर संवेदन का उपयोग किया जाता है।
- साथ ही शहरी विरासत परियोजनाओं में शामिल स्थानीय निकाय अकसर विरासत संरक्षण को संभालने के लिये पर्याप्त रूप से सुसज्जित नहीं होते हैं।
- पर्यावरणीय गिरावट और प्राकृतिक आपदाएँ: भारत में विरासत स्थल पर्यावरणीय क्षरण और प्रदूषण, कटाव, बाढ़ एवं भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं के प्रति संवेदनशील हैं, जो उनकी भौतिक संरचनाओं तथा सांस्कृतिक महत्त्व को अपरिवर्तनीय क्षति पहुँचा सकते हैं।
- उदाहरण के लिये उत्तर प्रदेश में ताजमहल को वायु प्रदूषण के कारण चुनौतियों का सामना करना पड़ा है जिससे इसका संगमरमर पीले रंग का हो गया है और खराब होने लगा है जो यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल एवं भारत की सांस्कृतिक विरासत का एक प्रतिष्ठित प्रतीक है।
- अस्थिर पर्यटन: भारत में अकसर लोकप्रिय विरासत स्थलों को उच्च पर्यटन दबाव का सामना करना पड़ता है जिसका कारण भीड़भाड़, अनियमित आगंतुक गतिविधियाँ और अपर्याप्त आगंतुक प्रबंधन जैसे मुद्दे हो सकते हैं।
- अनियंत्रित पर्यटन धरोहर संरचनाओं को नुकसान पहुँचा सकता है, स्थानीय पर्यावरण को प्रभावित कर सकता है और स्थानीय समुदाय की जीवनशैली को बाधित कर सकता है।
- धरोहर स्थलों के लिये केंद्रीकृत डेटाबेस का अभाव: भारत में राष्ट्रीय स्तर पर व्यापक डेटाबेस का अभाव है जो राज्यवार धरोहर संरचनाओं को वर्गीकृत करता है।
- धरोहर संरक्षण से संबंधित हाल की सरकारी पहल:
आगे की राह
- सतत् वित्तपोषण मॉडल: सार्वजनिक-निजी भागीदारी, कॉर्पोरेट प्रायोजन, क्राउड फंडिंग और समुदाय-आधारित फंडिंग जैसे विरासत संरक्षण के लिये नवीन निधीकरण मॉडल की खोज और कार्यान्वयन का कार्य करना।
- यह धरोहर स्थलों के लिये अतिरिक्त वित्तीय संसाधन सुनिश्चित करने और उनका सतत् संरक्षण एवं रख-रखाव सुनिश्चित करने में मदद कर सकता है।
- उदाहरण: विशिष्ट संरक्षण परियोजनाओं के लिये कॉर्पोरेट प्रायोजन को प्रोत्साहित करना, जहाँ कंपनियाँ ब्रांड पहचान और प्रचार के अवसरों के बदले धन एवं संसाधनों का योगदान कर सकती हैं।
- प्रौद्योगिकी-सक्षम संरक्षण: धरोहर स्थलों के प्रलेखन, निगरानी और संरक्षण के लिये उन्नत तकनीकों जैसे- रिमोट सेंसिंग, 3डी स्कैनिंग, वर्चुअल रियलिटी और डेटा विश्लेषण का लाभ उठाना।
- यह अधिक कुशल और प्रभावी धरोहर प्रबंधन प्रथाओं को सक्षम कर सकता है, जिसमें स्थिति मूल्यांकन, निवारक संरक्षण और आभासी पर्यटन अनुभव शामिल हैं।
- उदाहरण: विरासत संरचनाओं की डिजिटल प्रतिकृतियाँ बनाने के लिये 3डी स्कैनिंग और वर्चुअल रियलिटी का उपयोग करना, ताकि आभासी पर्यटन, शैक्षिक उद्देश्यों और बहाली एवं संरक्षण का कार्य सुनिश्चित किया जा सके।
- व्यवसाय बढ़ाने हेतु नवीन उपाय: जो स्मारक बड़ी संख्या में आगंतुकों को आकर्षित नहीं करते हैं और जो सांस्कृतिक/धार्मिक रूप से संवेदनशील नहीं है, उनके सांस्कृतिक महत्त्व को निम्नलिखित उपायों द्वारा प्रोत्साहित किया जाना चाहिये:
- संबंधित अमूर्त धरोहर को बढ़ावा देना।
- ऐसी साइटों पर आगंतुकों की संख्या बढ़ाना।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. भारतीय कला विरासत की रक्षा करना समय की आवश्यकता है। चर्चा कीजिये। (2018) प्रश्न. भारतीय दर्शन और परंपरा ने भारत में स्मारकों एवं उनकी कला की कल्पना तथा आकार देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। चर्चा कीजिये। (2020) |