विश्व मधुमेह दिवस | 16 Nov 2021
प्रिलिम्स के लिये:गैर-संचारी रोग, विश्व स्वास्थ्य संगठन, टाइप 1 या टाइप 2 मधुमेह, ग्लोबल डायबिटीज कॉम्पैक्ट मेन्स के लिये:वैश्विक स्तर पर मधुमेह को नियंत्रित करने से संबंधित पहल |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने चेतावनी दी है कि वर्ष 2045 तक अफ्रीका में मधुमेह के मामलों की संख्या बढ़कर 55 मिलियन होने का अनुमान है जो वर्ष 2021 की तुलना में 134% अधिक है।
- अफ्रीका महाद्वीप में नोवल कोरोनावायरस रोग (Covid-19) के कारण होने वाली मौतों की दर मधुमेह के रोगियों में काफी अधिक है।
- विश्व मधुमेह दिवस प्रति वर्ष 14 नवंबर को मनाया जाता है।
प्रमुख बिंदु
- मधुमेह:
- मधुमेह एक गैर-संचारी रोग (Non-Communicable Disease) है जो या तो तब होता है जब अग्न्याशय पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन नहीं करता है या जब शरीर अपने द्वारा उत्पादित इंसुलिन का प्रभावी ढंग से उपयोग नहीं कर पाता है।
- इंसुलिन अग्न्याशय द्वारा स्रावित एक पेप्टाइड (peptide) हार्मोन है जो सेलुलर ग्लूकोज तेज़ करने, कार्बोहाइड्रेट, लिपिड, प्रोटीन मेटाबॉलिज्म को विनियमित करने तथा कोशिका विभाजन एवं विकास को बढ़ावा देकर सामान्य रक्त शर्करा के स्तर को बनाए रखने में मदद करता है।
- मधुमेह एक गैर-संचारी रोग (Non-Communicable Disease) है जो या तो तब होता है जब अग्न्याशय पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन नहीं करता है या जब शरीर अपने द्वारा उत्पादित इंसुलिन का प्रभावी ढंग से उपयोग नहीं कर पाता है।
- इसे दो प्रकारों में वर्गीकृत किया गया है:
- टाइप-1 मधुमेह: यह तब होता है जब अग्न्याशय पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन करने में विफल रहता है।
- टाइप-2 मधुमेह: यह मधुमेह का सबसे सामान्य प्रकार है। इस स्थिति में शरीर इंसुलिन का ठीक से उपयोग नहीं कर पाता है। इसे इंसुलिन प्रतिरोध (Insulin resistance) कहा जाता है। टाइप-2 मधुमेह होने का मुख्य कारण मोटापा और व्यायाम की कमी है।
- मधुमेह का भार :
- भारत में:
- भारत में मधुमेह एक बढ़ती हुई चुनौती है, जिसकी अनुमानित 8.7% आबादी 20 और 70 वर्ष के आयु वर्ग की है।
- इंटरनेशनल डायबिटीज़ फेडरेशन ‘डायबिटीज़ एटलस’ ने वर्ष 2019 में, भारत को शीर्ष 10 मधुमेह से पीड़ित देशों में रखा।
- मधुमेह और अन्य गैर-संचारी रोगों की बढ़ती व्यापकता शहरीकरण, गतिहीन जीवन शैली, अस्वास्थ्यकर आहार, तंबाकू का उपयोग जैसे कारकों के संयोजन से प्रेरित है।
- वैश्विक स्तर पर:
- आज विश्व में लगभग 6% आबादी अर्थात् 420 मिलियन से अधिक लोग टाइप-1 या टाइप-2 मधुमेह हैं।
- यह एकमात्र प्रमुख गैर-संचारी रोग है जिसका लोगों में कम होने के बजाय ज्यादा होने का ज़ोखिम बढ़ रहा है।
- यह गंभीर कोविड-19 संक्रमणों के साथ जुड़ी अन्य प्रमुख बीमारियों के साथ उभरा है।
- वर्ष 2021 में अफ्रीका में अनुमानित 24 मिलियन लोग मधुमेह के साथ जी रहे हैं।
- भारत में:
- संबंधित पहल:
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization- WHO) ने ग्लोबल डायबिटीज़ कॉम्पैक्ट लॉन्च किया, जो मधुमेह के जोखिम को कम करने से संबंधित है तथा यह सुनिश्चित करता है कि मधुमेह के निदान हेतु सभी लोगों को समान, व्यापक, किफायती और गुणवत्तापूर्ण उपचार और देखभाल मिल सके।
- भारत का राष्ट्रीय लक्ष्य गैर-संचारी रोग (National Non-Communicable Disease- NCD) मोटापे और मधुमेह के प्रसार में वृद्धि को रोकना है।
- वर्ष 2010 में शुरू किया गया कैंसर, मधुमेह, हृदय रोगों एवं स्ट्रोक की रोकथाम और नियंत्रण के लिये राष्ट्रीय कार्यक्रम (NPCDCS) का उद्देश्य स्वास्थ्य देखभाल के विभिन्न स्तरों पर मधुमेह के निदान और लागत प्रभावी उपचार हेतु सहायता प्रदान करना है।
स्रोत: डाउन टू अर्थ
विश्व मधुमेह दिवस | 14 Nov 2019
प्रीलिम्स के लिये:
विश्व मधुमेह दिवस, विश्व स्वास्थ्य संगठन
मेन्स के लिये:
विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा मधुमेह रोगियों तक इंसुलिन की पहुंच बढ़ाने के प्रयास
चर्चा में क्यों?
13 नवंबर 2019 को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने विश्व मधुमेह दिवस से एक दिन पहले मधुमेह रोगियों तक इंसुलिन की पहुँच सुनिश्चित करने के लिये एक कार्यक्रम प्रारंभ किया है।
मुख्य बिंदु:
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization-WHO) ने 13 नवंबर, 2019 को विश्व मधुमेह दिवस से एक दिन पहले निम्न और मध्यम आय वाले देशों में मधुमेह पीड़ितों की इंसुलिन तक आसान पहुँच स्थापित करने के लिये एक नए कार्यक्रम की घोषणा की है।
- इस कार्यक्रम से विश्व में लगभग 420 मिलियन व्यक्ति लाभान्वित होंगे।
- मधुमेह से संबंधित वैश्विक रिपोर्ट के अनुसार, गरीब देशों में प्रत्येक 3 में से 1 मधुमेह रोगी की ही आसान उपचार और इंसुलिन तक पहुँच है।
- इस रिपोर्ट में सिफारिश की गई है कि मधुमेह रोगी तक इंसुलिन की पहुँच को जीवन या मृत्यु से संबंधित मामला माना जाना चाहिये और सामान्य रूप से मधुमेह पीड़ितों तक इंसुलिन की पहुँच में सुधार करने को प्राथमिकता देनी चाहिये।
- इंटरनेशनल डायबिटीज़ फेडरेशन डायबिटीज़ एटलस (International Diabetes Federation Diabetes Atlas) के सातवें संस्करण के अनुसार, वर्ष 2017 में चीन में मधुमेह से प्रभावित रोगियों की संख्या सर्वाधिक 11.43 करोड़ थी जबकि दूसरे स्थान पर भारत (7.29 करोड़) में सर्वाधिक मधुमेह प्रभावित रोगी थे।
- राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (National Family Health Survey), 2015-16 के अनुसार, भारत में 15-49 वर्ष आयु वर्ग की 5.8% महिला तथा 8% पुरुष मधुमेह रोगियों में रक्तशर्करा का स्तर 140 mg/dl से भी अधिक है।
- मधुमेह में वृद्धि के लिये अस्वास्थ्यवर्द्धक आहार, शारीरिक गतिविधियों की कमी, अल्कोहल का उपयोग, मोटापा तथा तंबाकू का उपयोग प्रमुख रूप से ज़िम्मेदार है।
- स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा उच्च रक्त शर्करा स्तर वाले रोगियों की जीवन शैली एवं व्यवहार में परिवर्तन लाने, तीव्र जाँच और निदान तथा अन्य गैर संक्रामक रोगों के उपचार के उपयुक्त प्रबंधन के लिये जागरूकता फैलाई जा रही है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा प्रारंभ किया गया कार्यक्रम:
- WHO द्वारा विश्व मधुमेह दिवस के अवसर पर पहली बार इंसुलिन प्रीक्वालिफिकेशन (Prequalification) कार्यक्रम को पायलट कार्यक्रम के रूप में प्रारंभ किया गया है।
- WHO के अनुसार, विश्व में टाइप-2 मधुमेह से पीड़ित लगभग 65 मिलियन व्यक्तियों में से आधे व्यक्तियों की ही इंसुलिन तक पहुँच है। मधुमेह टाइप-1 से पीड़ित रोगियों को जीवित रहने के लिये जीवन भर इंसुलिन की आवश्यकता होती है।
- WHO के अनुमान के अनुसार, इंसुलिन प्रीक्वालिफिकेशन (Prequalification) कार्यक्रम के अंतर्गत अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में गुणवत्तापूर्ण उत्पादों का प्रसार करके तथा विभिन्न देशों को इंसुलिन उत्पादों के अधिक से अधिक विकल्प उपलब्ध कराकर मधुमेह रोगियों को कम कीमत पर इंसुलिन उपलब्ध कराना है। वर्तमान में इंसुलिन की पर्याप्त आपूर्ति के बावजूद निम्न और मध्यम आय वाले देशों में इंसुलिन की कीमतें मधुमेह के उपचार में सबसे बड़ी बाधक हैं।
इन्सुलिन तक पहुँच: एक चुनौती
- WHO द्वारा वर्ष 2016-2019 के दौरान 4 महाद्वीपों के 24 देशों से एकत्रित किये गए आँकड़े यह दर्शाते हैं कि मानव इंसुलिन केवल 61% स्वास्थ्य सुविधाओं तथा एनालॉग (प्रयोगशाला आधारित) इंसुलिन 13% स्वास्थ्य सुविधाओं के लिये उपलब्ध है।
- इन आँकड़ों के अनुसार, घाना की राजधानी एक्रा (Accra) में एक मधुमेह रोगी के लिये इंसुलिन की मासिक आपूर्ति की कीमत एक श्रमिक के 5.5 दिनों के वेतन (कुल आय के 22.5%) के बराबर है।
- विश्व में 420 मिलियन से अधिक व्यक्ति मधुमेह से ग्रसित हैं। यह विश्व में होने वाली मौतों का सातवाँ प्रमुख कारण तथा दिल का दौरा, किडनी फेलर (Kidney Failure) जैसी दुर्बल समस्याओं का भी प्रमुख कारण है।
- टाइप-1 मधुमेह रोगियों को जीवित रहने के लिये इंसुलिन की आवश्यकता पड़ती है तथा अंधापन और किडनी फेल्यर जैसे रोगों से बचने के लिये अपने रक्त शर्करा स्तर को कम स्तर पर बनाए रखना पड़ता है। वहीं टाइप-2 मधुमेह रोगियों को ओरल (Oral) दवाओं का प्रभाव नहीं होने पर अपने रक्त शर्करा स्तर को नियंत्रित करने के लिये इंसुलिन की आवश्यकता होती है।
- WHO इस कार्यक्रम के माध्यम से मधुमेह के उपचार से संबंधित दिशा-निर्देशों को अद्यतन करेगा तथा एनालॉग इंसुलिन के मूल्य में कमी की रणनीति बनाकर इंसुलिन वितरण प्रणाली को सशक्त करेगा।
- यह कार्यक्रम निर्माताओं द्वारा विकसित चिकित्सा उत्पादों का मूल्यांकन कर उनकी गुणवत्ता, प्रभावकारिता और सुरक्षा को सुनिश्चित करके गुणवत्तापूर्ण दवाओं को उपलब्ध कराता है।
- यह कार्यक्रम ग्लोबल फंड, गावी (The Global Alliance for Vaccines and Immunizations-GAVI), वैक्सीन अलायंस (Vaccine Alliance) और यूनिसेफ जैसी संस्थाओं को स्वास्थ्य उत्पादों के मूल्यांकन तथा प्रीक्वालिफिकेशन (Prequalification) के लिये मार्गदर्शन देता है।
इंसुलिन प्रीक्वालिफिकेशन कार्यक्रम, WHO द्वारा मधुमेह की समस्या से निपटने के लिये आने वाले वर्ष में उठाए जाने वाले कदमों में से एक है।