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मधुमेह के दुर्लभ प्रकार के लिये ज़िम्मेदार जीन की खोज

  • 28 Feb 2018
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

  • चेन्नई में शोधकर्त्ताओं ने एक नए जीन की पहचान करने में सफलता पाई है जो मधुमेह के एक दुर्लभ प्रकार का कारण बनता है।
  • इस जीन का नाम NKX 6.1 है और मधुमेह का यह दुर्लभ प्रकार ‘वयस्कता की शुरुआत में होने वाले मधुमेह’ (Maturity-Onset Diabetes of the Young-MODY) के रूप में जाना जाता है।

क्या है मधुमेह रोग?

  • जब मानव शरीर में अग्नाशय (पैंक्रियाज) द्वारा इंसुलिन नामक हॉर्मोन का स्त्रावण कम हो जाता है अथवा इंसुलिन की कार्यक्षमता में कमी आ जाती है तो मधुमेह  (Diabetes) रोग हो जाता है।
  • इंसुलिन रक्त में शर्करा की मात्रा का नियंत्रण करता है। इसमें मानव रक्त में ग्लूकोज़ (रक्त शर्करा) का स्तर बढ़ने लगता है। ग्लूकोज़ का बढ़ा हुआ स्तर शरीर के विभिन्न अंगों को नुकसान पहुँचाता है।

मधुमेह रोग के प्रकार 

  • टाइप-2 और टाइप-1 मधुमेह के सामान्य रूप हैं। मधुमेह के कुल मामलों में 90 से 95% टाइप-2 मधुमेह से संबंधित होते हैं।
  • टाइप-2 मधुमेह आमतौर पर वयस्कों को प्रभावित करता है। इस स्थिति में ज़्यादा गंभीर स्थिति के अलावा हाइपर ग्लाइसीमिया (रक्त में ग्लूकोज़ के उच्च स्तर की स्थिति) के नियंत्रण के लिये इंसुलिन की आवश्यकता नहीं होती है।
  • टाइप-1 मधुमेह आमतौर पर बच्चों को प्रभावित करता है तथा इस प्रकार के मधुमेह में इंसुलिन की पूर्ण कमी होती है। इसलिये उन्हें जीवनभर बाहर से इंसुलिन लेने की आवश्यकता होती है। हालाँकि मधुमेह के कई अन्य प्रकार भी हैं जिनकी आजकल तेज़ी से पहचान की जा रही है। 
  • मधुमेह का एक आनुवंशिक रूप भी है जो एक जीन में दोष के कारण होता है। इसलिये इसे 'मोनोजीनिक मधुमेह' कहा जाता है।
  • मोनोजीनिक मधुमेह का सबसे आम रूप है- ‘वयस्कता की शुरूआत में होने वाला मधुमेह’ (MODY)। यह टाइप-1 मधुमेह की तरह ही युवा लोगों और बच्चों को प्रभावित करता है।

यह खोज क्यों महत्त्वपूर्ण है?

  • MODY से पीड़ित रोगी आमतौर पर दुबले होते हैं और वयस्कता की वज़ह से इनकी अक्सर टाइप-1 मधुमेह के रोगी के रूप में पहचान कर ली जाती है तथा उन्हें आजीवन इंसुलिन इंजेक्शन लेने की सलाह दी जाती है।
  • इससे रक्त शर्करा पर कमज़ोर अथवा कोई नियंत्रण नहीं हो पाता है। टाइप-1 मधुमेह जीन पर निर्भर बीमारी नहीं है इसलिये इसकी वंशानुगति नहीं होती है।
  • इस खोज के साथ ही ऐसे 14 जीन वेरिएंट्स की खोज हो चुकी है जिनसे MODY होता है। इससे मधुमेह की पर्सनलाइज़्ड चिकित्सा के क्षेत्र में प्रगति संभव हो सकेगी।
  • MODY में यदि 14 में से कोई भी जीन दोषपूर्ण हो तो शरीर में इंसुलिन के उपयोग में बाधा आ सकती है और यह टाइप-2 मधुमेह का कारण बन सकता है।
  • 14-21 वर्ष के आयुवर्ग की युवा आबादी के लिये यह खोज गेम चेंजर सिद्ध हो सकती है।  
  • हालाँकि MODY के कुछ रूपों का आसानी से एक सस्ती दवा सल्फोनील्युरिया (Sulphonylurea) द्वारा इलाज किया जा सकता है और यह मरीज़ों पर बहुत अच्छी तरह से काम करती है। 
  • किंतु सभी लोगों का परीक्षण करना लागत प्रभावी नहीं होगा। लेकिन कुछ लक्षणों जैसे कि मधुमेह की पारिवारिक पृष्ठभूमि वाला कोई बच्चा मोटापे से ग्रस्त नहीं हैं और उस पर इंसुलिन द्वारा भी कोई असर नहीं पड़ रहा है, के आधार पर MODY की पहचान की जा सकती है।  
  • MODY का केवल 'आनुवंशिक परीक्षण' से ही निदान किया जा सकता है। इसके अलावा, अब यह ज्ञात हो चुका है कि MODY के भी 14 अलग-अलग प्रकार हैं, जिनमें से प्रत्येक की अपनी विशिष्ट नैदानिक ​​विशेषताएँ हैं।
  • हालाँकि, भारत में MODY के सभी प्रकारों पर कुछ छिटपुट अध्ययन हुए हैं लेकिन भारत में यह MODY पर किया गया अब तक का सबसे विस्तृत और व्यापक अध्ययन था।
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