विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस 2025 | 21 Mar 2025
पिलिम्स के लिये:विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस, राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019, केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) मेन्स के लिये:उपभोक्ताओं के अधिकारों की सुरक्षा और संबंधित मुद्दे, सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप, पारदर्शिता और जवाबदेही |
स्रोत: पी.आई.बी.
चर्चा में क्यों?
उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने “संधारणीय जीवन शैली के लिये एक उचित बदलाव” थीम के साथ विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस मनाया।
- भारत प्रत्येक वर्ष 24 दिसंबर को राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस मनाता है और उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 में उपभोक्ता अधिकारों को सुदृढ़ बनाने हेतु व्यापक प्रावधान किये गए हैं।
विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस
- 15 मार्च 1983 को स्थापित यह दिन (15 मार्च ) राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी के वर्ष 1962 में अमेरिकी कॉन्ग्रेस को दिये गये संबोधन के स्मरण में मनाया जाता है, जिसमें वे उपभोक्ता अधिकारों को औपचारिक रूप से मान्यता प्रदान करने वाले विश्व के पहले नेता बने थे।
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 क्या है?
- परिचय: यह एक व्यापक विधान है जिसने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 का स्थान लिया है।
- इसका उद्देश्य वैश्वीकरण, प्रौद्योगिकी और ई-कॉमर्स से उत्पन्न चुनौतियों का समाधान करते हुए भारत में उपभोक्ता अधिकारों को सुदृढ़ बनाना है।
- प्रमुख विशेषताएँ:
- केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA): CCPA की स्थापना व्यापार की अनुचित प्रथाओं, भ्रामक विज्ञापनों और उपभोक्ता अधिकारों के उल्लंघन से संबंधित मामलों को विनियमित करने हेतु की गई है।
- उपभोक्ता अधिकार: यह अधिनियम 6 उपभोक्ता अधिकारों को सुदृढ़ करता है, जिनमें सूचित किये जाने का अधिकार, चयन का अधिकार और निवारण पाने का अधिकार शामिल है।
- ई-कॉमर्स विनियमन: ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्मों को इसके दायरे में लाया गया है, जिससे उन्हें उपभोक्ता शिकायतों के लिये जवाबदेह बनाया गया है।
- उत्पाद दायित्व: निर्माता, सेवा प्रदाता और विक्रेता दोषपूर्ण उत्पादों या सेवाओं के लिये उत्तरदायी होते हैं।
- सरलीकृत विवाद समाधान: इसमें मध्यस्थता का प्रावधान किया गया है, जिससे उपभोक्ता न्यायालयों का बोझ कम होता है।
- वर्द्धित शास्तियाँ: इसके अंतर्गत मिथ्यापूर्ण या भ्रामक विज्ञापनों और व्यापार की अनुचित प्रथाओं के लिये कठोर शास्तियों का प्रावधान किया गया है।
- त्वरित समाधान: अधिनियम की धारा 38(7) के अनुसार, उपभोक्ता शिकायतों का समाधान मामले की जटिलता के आधार पर 3 से 5 माह के भीतर किया जाना आवश्यक है।
उपभोक्ता शिकायत निवारण तंत्र के सुदृढ़ीकरण हेतु प्रमुख पहलें कौन-सी हैं?
- ई-दाखिल पोर्टल और ई-जागृति: ई-दाखिल पोर्टल (वर्ष 2020 में लॉन्च) उपभोक्ताओं को ऑनलाइन शिकायत दर्ज करने में सक्षम बनाता है।
- ई-जागृति (वर्ष 2024 में शुरू की गई) अधिक सुव्यवस्थित उपभोक्ता शिकायत निवारण प्रक्रिया के लिये डिजिटल हस्तक्षेप का उपयोग करते हुए केस ट्रैकिंग और प्रबंधन को सुदृढ़ बनाती है।
- राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन (NCH) 2.0: NCH 2.0 में शिकायत निवारण में तेज़ी लाने के लिये AI-संचालित वाक् पहचान, बहुभाषी चैटबॉट और 1,000 से अधिक कंपनियों के साथ साझेदारी को एकीकृत किया गया है। यह 17 भाषाओं का समर्थन करता है और व्यापक उपभोक्ता पहुँच के लिये व्हाट्सएप, SMS, उमंग ऐप और अन्य प्लेटफार्मों के माध्यम से सुलभ है।
- उपभोक्ता कल्याण कोष (CWF): CWF उपभोक्ता अधिकारों, वकालत और कानूनी सहायता को मज़बूत करने के लिये वित्तीय सहायता प्रदान करता है।
- ई-कॉमर्स और डिजिटल लेनदेन में उपभोक्ता संरक्षण:
- ई-कॉमर्स नियम, 2020: यह निष्पक्ष व्यावसायिक प्रथाओं, लेनदेन में पारदर्शिता और शिकायत निवारण तंत्र को अनिवार्य करता है।
- डार्क पैटर्न विनियमन, 2023: केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) द्वारा अतिशयोक्तिपूर्ण तात्कालिकता, ज़बरन कृत्यों और प्रच्छन्न लागत जैसी भ्रामक डिजिटल मार्केटिंग प्रथाओं को प्रतिबंधित करने के लिये प्रस्तुत किया गया।
- जागो ग्राहक जागो: यह उपभोक्ता जागरूकता अभियान का एक हिस्सा है जो उपयोगकर्त्ताओं को धोखाधड़ी वाले URL के बारे में सचेत करता है, और उन्हें सूचित ई-कॉमर्स निर्णय लेने के लिये सशक्त बनाता है।
भारत में उपभोक्ता संरक्षण में चुनौतियाँ और आगे की राह क्या हैं?
चुनौतियाँ |
आगे की राह |
जागरूकता: अधिकारों और निवारण तंत्र के बारे में उपभोक्ताओं की जागरूकता कम है। |
व्यापक उपभोक्ता शिक्षा अभियान लागू करना, उपभोक्ता अधिकार शिक्षा को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करना। |
प्रवर्तन: उपभोक्ता न्यायालयों को मामले के समाधान में विलंब का सामना करना पड़ता है, तथा उत्पाद दायित्व प्रावधानों का असंगत ढंग से प्रवर्तन किया जाता है, जिससे उपभोक्ता संरक्षण कमज़ोर होता है। |
न्यायालयीन प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करना, उपभोक्ता न्यायालयों का विस्तार करना, वैकल्पिक विवाद समाधान तंत्र को बढ़ाना, तथा स्पष्ट प्रवर्तन दिशानिर्देशों के साथ न्यायिक प्रशिक्षण में सुधार करना। |
डिजिटल मार्केटप्लेस मुद्दे: ई-कॉमर्स, डेटा गोपनीयता और ऑनलाइन धोखाधड़ी से संबंधित चुनौतियाँ। |
ई-कॉमर्स विनियमों को मज़बूत करना, डेटा संरक्षण कानूनों को लागू करना और ऑनलाइन लेनदेन की निगरानी बढ़ाना। |
संसाधन की कमी: उपभोक्ता संरक्षण एजेंसियों को आवंटित संसाधन सीमित हैं। |
उपभोक्ता संरक्षण एजेंसियों के लिये वित्त पोषण बढ़ाना, अधिक कर्मचारी नियुक्त करना तथा बुनियादी ढाँचे में सुधार करना। |
विनियामक ओवरलैप: विभिन्न विनियामक निकायों और कानूनों के बीच ओवरलैप और टकराव। |
विभिन्न नियामक निकायों की भूमिकाओं और ज़िम्मेदारियों को स्पष्ट करना, नियामक ढाँचे को सुव्यवस्थित करना। |
निष्कर्ष
विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस एक पारदर्शी और निष्पक्ष उपभोक्ता पारिस्थितिकी तंत्र की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है। जबकि भारत नीतिगत सुधारों और डिजिटल पहलों के माध्यम से आगे बढ़ रहा है, विलंब से न्याय, डिजिटल धोखाधड़ी और नियामक अंतराल जैसी चुनौतियाँ बनी हुई हैं। संस्थाओं को मज़बूत करना, जागरूकता बढ़ाना और प्रौद्योगिकी का लाभ उठाना उपभोक्ता सशक्तीकरण और आर्थिक निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिये महत्त्वपूर्ण हैं।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न. भारत में उपभोक्ता अधिकारों के प्रभावी संरक्षण को सुनिश्चित करने में प्रमुख चुनौतियाँ क्या हैं, और नीतिगत हस्तक्षेपों और संस्थागत सुधारों के माध्यम से इनका समाधान कैसे किया जा सकता है? |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. भारतीय विधान के प्रावधानों के अंतर्गत उपभोक्ताओं के अधिकारों/ विशेषाधिकारों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (2012)
निम्नलिखित कूटों के आधार पर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: (c) |