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महिलाओं से संबंधित आँकड़े: एनएफएचएस 5

  • 27 Nov 2021
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

NFHS-5, बाल विवाह, एनीमिया, इंटरनेट का उपयोग

मेन्स के लिये:

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के अनुसार महिलाओं की स्वास्थ्य स्थिति

चर्चा में क्यों?

हाल ही में राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS 2019-21) के नवीनतम आँकड़े जारी किये गए हैं।

  • इससे पहले वर्ष 2020 में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा NFHS-5 2019-20 के पहले चरण का डेटा जारी किया गया था, जिसमें भारत में महिलाओं से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर डेटा उपलब्ध कराया गया था।

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प्रमुख बिंदु

  • बाल विवाह की स्थिति:
    • 20-24 वर्ष की आयु की महिलाओं की हिस्सेदारी जिन्होंने 18 वर्ष की आयु से पहले शादी की थी, पिछले पाँच वर्षों में 27% से घटकर 23% हो गई है।
      • बाल विवाह उच्च प्रजनन क्षमता, न्यूनतम मातृत्त्व एवं शिशु स्वास्थ्य और महिलाओं की निम्न सामाजिक स्थिति का एक प्रमुख निर्धारक है।
    • पश्चिम बंगाल और बिहार में बालिका विवाह (प्रत्येक राज्य में लगभग 41% ऐसी महिलाएँ) का प्रचलन सबसे अधिक था। 
    • राजस्थान, मध्य प्रदेश और हरियाणा में कम उम्र के विवाहों के अनुपात में सबसे अधिक कमी देखी गई।
  • बड़े पैमाने पर एनीमिया:
    • 2015-16 के 53% की तुलना में 2019-21 में 15-49 आयु वर्ग की 57% महिलाओं में  एनीमिया पाया गया था, जबकि पुरुषों का आँकड़ा 22.7% से बढ़कर 25% हो गया।
    • 6-59 महीने (कुल 67.1%) आयु वर्ग के बच्चों के लिये सबसे अधिक वृद्धि (8.5%) देखी गई।
    • बड़े राज्यों में एनीमिया से ग्रस्त महिलाओं की संख्या सबसे अधिक पश्चिम बंगाल में और सबसे कम केरल में दर्ज की गई।
    • सम, मिज़ोरम, छत्तीसगढ़ और ओडिशा में बच्चों में एनीमिया की दर सर्वाधिक चिंतनीय स्तर पर पहुँच गई है।
  • सुविधाओं में सुधार:
    • मणिपुर, मेघालय, असम और झारखंड को छोड़कर सभी राज्यों में 90% से अधिक आबादी के पास पेयजल के बेहतर स्रोत हैं।
    • 2015-16 के बाद से बिहार, झारखंड आदि राज्यों में पेयजल तक पहुँच लगभग दोगुनी हो गई थी, लेकिन अधिकांश में यह 75% अंक से नीचे आ गया है।
  • जिन महिलाओं के पास घर है:
    • दिल्ली में एकल या संयुक्त रूप से घर या ज़मीन की स्वामित्त्व वाली महिलाओं की संख्या में पिछले पाँच वर्षों में काफी गिरावट आई है।
    • जबकि 2015-16 में 35% महिलाओं के नाम पर घर या जमीन पंजीकृत थी, 2020-21 में घटकर यह 22.7% हो गया।
  • जिन महिलाओं का बैंक खाता है:
    • जिन महिलाओं के पास बैंक खाता है, उनमें 8% की वृद्धि हुई है  और जिन महिलाओं के पास मोबाइल फोन है, उनमें 7 प्रतिशत अंक की वृद्धि हुई है।
  • इंटरनेट तक पहुँच:
    • 85% पुरुषों की तुलना में इंटरनेट का उपयोग करने वाली महिलाओं का प्रतिशत लगभग 64% था। यह डेटा पिछले सर्वेक्षण में उपलब्ध नहीं था।
  • घरेलू निर्णयों में भागीदारी:
    • यह 2015-16 के लगभग 74 प्रतिशत से बढ़कर अब 92 प्रतिशत हो गया है। इसमें घरेलू निर्णयों में विवाहित महिलाओं की भागीदारी जैसे- स्वयं की स्वास्थ्य देखभाल, प्रमुख घरेलू खरीदारी और परिवार या रिश्तेदारों के यहाँ जाना आदि शामिल हैं।
  • आउट-ऑफ-पॉकेट एक्सपेंडिचर: 
    • यह पांँच साल में 2,548 रुपए से बढकर 8,518 रुपए हो गया है। सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधा में औसत आउट-ऑफ-पॉकेट एक्सपेंडिचर/अपनी जेब से किये गए खर्च में प्रति डिलीवरी महत्त्वपूर्ण सुधार देखा गया है।
  • मोटापे में वृद्धि:
    • पुरुषों और महिलाओं दोनों में मोटापा बढ़ा है। जहाँ 41.3% महिलाएंँ अधिक वज़न या मोटापे से ग्रस्त हैं, पुरुषों के संदर्भ में यह आंँकड़ा 38% है। हालांँकि अधिक वज़न या मोटापे से ग्रस्त पुरुषों के प्रतिशत में महिलाओं की तुलना में तेजी से वृद्धि हुई है।
  • उच्च कुपोषण:
    • पांँच साल से कम उम्र के अविकसित (उम्र के हिसाब से बहुत कम), वेस्टिंग (ऊंँचाई के हिसाब से कम वज़न) या कम वज़न वाले बच्चों की संख्या में गिरावट आई है। 
    • हालांँकि हर तीसरा बच्चा अभी भी जीर्ण अल्पपोषण (Chronic Undernourishment) से पीड़ित है, और हर पांँचवांँ बच्चा गंभीर रूप से कुपोषित है।
      • स्टंटिंग: मेघालय में व्यापकता रही, उसके बाद बिहार का स्थान है, जबकि राजस्थान, मध्य प्रदेश, झारखंड में वर्ष 2015-16 के बाद से 5-7% की गिरावट दर्ज की गई।
      • वेस्टिंग: बिहार में कम वज़न के बच्चों की संख्या सबसे अधिक तथा इसके बाद गुजरात का स्थान आता है।

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS)

  • राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (National Family Health Survey- NFHS) बड़े पैमाने पर किया जाने वाला एक बहु-स्तरीय सर्वेक्षण है जो पूरे भारत में परिवारों के प्रतिनिधि नमूने के आधार पर किया जाता है।
  • भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (Ministry of Health and Family Welfare- MoHFW) ने इस सर्वेक्षण के लिये समन्वय और तकनीकी मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु मुंबई स्थित अंतर्राष्ट्रीय जनसंख्या विज्ञान संस्थान (International Institute for Population Sciences- IIPS) को नोडल एजेंसी के रूप में गठित किया है।
    • IIPS सर्वेक्षण के कार्यान्वयन के लिये कई फील्ड संगठनों (Field Organizations- FO) के साथ सहयोग करता है।
  • सर्वेक्षण में भारत के राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर निम्नलिखित के बारे में जानकारी प्रदान की गई है:
    • प्रजनन क्षमता
    • शिशु और बाल मृत्यु दर
    • परिवार नियोजन की प्रथा
    • मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य
    • प्रजनन स्वास्थ्य
    • पोषण
    • एनीमिया
  • स्वास्थ्य एवं परिवार नियोजन सेवाओं का उपयोग और गुणवत्ता
  • NFHS के प्रत्येक क्रमिक चरण के दो विशिष्ट लक्ष्य हैं:
    • स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय तथा अन्य एजेंसियों द्वारा नीति निर्माण व कार्यक्रम के अन्य उद्देश्यों की पूर्ति हेतु स्वास्थ्य और परिवार कल्याण पर अपेक्षित आवश्यक डेटा प्रदान करना।
    • स्वास्थ्य और परिवार कल्याण के महत्त्वपूर्ण मुद्दों पर जानकारी प्रदान करना।
  • NFHS के विभिन्न चरणों का वित्तपोषण USAID, बिल और मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन, यूनिसेफ, UNFPA तथा MoHFW (भारत सरकार) द्वारा किया गया है।

आगे की राह 

  • एनएफएचएस के निष्कर्ष बालिकाओं की शिक्षा में अंतराल को समाप्त करने और महिलाओं तथा बच्चों की दयनीय पोषण स्थिति को संबोधित करने की तत्काल आवश्यकता की तरफ ध्यान आकर्षित करते हैं।
  • वर्तमान समय में इन सेवाओं को सुलभ, वहनीय और सभी के लिये स्वीकार्य बनाने हेतु स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े सभी स्वास्थ्य संस्थानों, शिक्षाविदों और अन्य भागीदारों द्वारा एकीकृत व समन्वित प्रयास किये जाने की आवश्यकता है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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