महिला अधिकारियों को सेना में स्थाई कमीशन | 24 Jul 2020
प्रीलिम्स के लिये:स्थाई कमीशन, ‘शॉर्ट सर्विस कमीशन’ (Short Service Commission-SSC) मेन्स के लिये:सेना में महिलाओं की भूमिका, लैंगिक समानता से संबंधित प्रश्न |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्र सरकार ने भारतीय सेना में महिला अधिकारियों को ‘स्थाई कमीशन’ (Permanent Commission) प्रदान करने के लिये औपचारिक सरकारी मंज़ूरी पत्र जारी किया है।
प्रमुख बिंदु:
- केंद्र सरकार के इस आदेश के बाद ‘शाॅर्ट सर्विस कमीशन’ (Short Service Commission-SSC) से चयनित महिला अधिकारी सेना की सभी 10 शाखाओं/विभागों में ‘स्थायी कमीशन’ (Permanent Commission) प्राप्त करने के लिये पात्र होंगी।
- सेना की जिन 10 शाखाओं में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन उपलब्ध कराया जा रहा है, उनमें वर्तमान में स्थाई कमीशन के लिये उपलब्ध न्यायाधीश, महाधिवक्ता और सेना शिक्षा कोर के अतिरिक्त सेना की हवाई सुरक्षा, सिग्नल, इंजीनियर, सेना विमानन, इलेक्ट्रॉनिक्स और मैकेनिकल इंजीनियर, सेना सेवा कोर तथा ख़ुफ़िया कोर (Intelligence Corps) शामिल हैं।
- भारतीय सेना के अनुसार, यदि पात्र महिला अधिकारियों द्वारा स्थाई कमीशन के लिये अपने विकल्प का प्रयोग किया जाता है, तो इसके लिये अपेक्षित सभी दस्तावेज़ों को उपलब्ध कराए जाने के बाद सेना द्वारा चयन बोर्ड का निर्धारण कर दिया जाएगा।
पृष्ठभूमि:
- वर्तमान में सेना में महिला अधिकारियों की नियुक्ति शाॅर्ट सर्विस कमीशन के माध्यम से होती है।
- सेना में SSC अधिकारियों को 14 वर्षों (10+4) के लिये चुना जाता है। इसके तहत 10 वर्ष की सेवा पूरी करने के बाद निर्धारित नियमों के अनुसार इसे अगले 4 वर्षों तक बढ़ाया जा सकता है।
- गौरतलब है कि SSC के तहत चयनित पुरुष अधिकारियों के लिये 10 वर्ष की सेवा के पश्चात स्थाई कमीशन चुनने का विकल्प उपलब्ध था, जबकि महिला अधिकारियों के लिये नहीं।
- इस बाधा के कारण महिला अधिकारियों को कमान नियुक्तियों (Command Appointment) से बाहर रखा जाता था और वे सरकारी पेंशन के लिये भी पात्र नहीं होती थीं। क्योंकि अधिकारियों को 20 वर्ष के सेवा के बाद ही सरकारी पेंशन के लिये पात्र माना जाता है।
स्थाई कमीशन प्रदान करने के पूर्व प्रयास:
- वर्ष 2019 में केंद्रीय रक्षा मंत्रालय द्वारा एक महत्त्वपूर्ण निर्णय के माध्यम से सेना की कुछ शाखाओं में महिलाओं को स्थाई कमीशन देने का निर्णय लिया गया था।
- इसमें सिग्नल, इंजीनियरिंग, सेना विमानन, सेना हवाई रक्षा और इलेक्ट्रॉनिक्स और मैकेनिकल को शामिल किया गया था।
- इसके तहत SSC महिला अधिकारियों को स्थाई कमीशन देने के लिये रिक्तियों की उपलब्धता, प्रदर्शन, चिकित्सा फिटनेस और उम्मीदवारों की प्रतिस्पर्द्धी योग्यता आदि पहलुओं को आधार के रूप में शामिल किया गया था।
उच्चतम न्यायालय का निर्देश:
- उच्चतम न्यायालय ने 17 फरवरी को सेना में SSC महिला अधिकारियों को स्थाई कमीशन के लिये पात्रता दिये जाने का निर्देश दिया था।
- साथ ही उच्चतम न्यायालय ने महिला अधिकारियों को गैर-युद्ध कमान पदों के लिये भी पात्र माने जाने का निर्देश दिया था।
- उच्चतम न्यायालय के अनुसार, सेना में महिला अधिकारियों को स्थाई कमीशन दिये जाने को पूरी तरह प्रतिबंधित करना संविधान के अनुच्छेद-14 के तहत प्राप्त समानता के अधिकारों का उल्लंघन होगा।
- उच्चतम न्यायालय के अनुसार, सिर्फ लिंग के आधार पर महिला अधिकारियों की क्षमताओं में बाधा उत्पन्न करना न सिर्फ एक महिला के रूप में बल्कि भारतीय सेना के एक सदस्य के रूप में भी उनकी गरिमा का अपमान है।
सेना में महिला अधिकारियों की भर्ती:
- भारतीय सेना में महिला अधिकारियों को सबसे पहले वर्ष 1992 से पाँच वर्ष के कार्यकाल के लिये शामिल किया गया था।
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वर्ष 2006 में SSC के तहत महिला अधिकारियों को 10 वर्ष की अवधि के लिये नियुक्त किया जाना प्रारंभ किया गया, इसके तहत महिला अधिकारियों के कार्यकाल को 14 वर्षों तक बढ़ाया जा सकता था।
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सेना में स्थाई कमीशन प्राप्त करने के लिये कुछ महिला अधिकारियों द्वारा वर्ष 2003 में दिल्ली उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की गई थी।
- इस मामले में वर्ष 2010 में दिल्ली उच्च न्यायालय ने महिला अधिकारियों के पक्ष में फैसला सुनाया था।
- परंतु सरकार द्वारा उच्च न्यायालय के निर्देश को नहीं माना गया था और इसे उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी थी।
- मार्च 2020 में उच्चतम न्यायालय ने भारतीय नौसेना में महिला अधिकारियों को स्थाई कमीशन देने का निर्देश दिया था।
- 7 जुलाई, 2020 को उच्चतम न्यायालय ने इस मामले में केंद्र सरकार को न्यायालय के फैसले को पूर्ण रूप से अनुपालन सुनिश्चित करने के लिये एक माह का अतिरिक्त समय दिया था।
सेना में महिला अधिकारियों को स्थाई कमीशन :
- सेना की तीनों सेवाओं (थल, वायु और नौसेना) में महिला अधिकारियों को चिकित्सा, शिक्षा, विधिक, सिग्नल, रसद और इंजीनियरिंग सहित चुने हुए क्षेत्रों में स्थाई कमीशन की अनुमति दी गई है।
- भारतीय वायु सेना में SSC महिला अधिकारियों को ‘फ्लाईंग ब्रांच’ (Flying Branch) को छोड़कर अन्य सभी विभागों में स्थाई कमीशन प्राप्त करने का विकल्प दिया गया है।
- नौसेना में महिलाओं के लिये रसद, नौसेना डिजाइनिंग, वायु यातायात नियंत्रण, इंजीनियरिंग और कानूनी जैसे विभागों में स्थाई कमीशन की अनुमति है।
प्रभाव:
- सरकार का यह निर्णय सेना में बड़ी भूमिका निभाने के लिये महिला अधिकारियों को सशक्त बनाने का मार्ग प्रशस्त करेगा।
- सेना में महिला अधिकारियों को स्थाई कमीशन प्रदान करने से वे सेवानिवृत्ति की आयु तक सेना में अपनी सेवा जारी रख सकेंगी।
- साथ ही इस फैसले के बाद पात्र महिला अधिकारी 20 वर्ष से अधिक समय तक सेवा जारी रख सकेंगी और उन्हें सरकारी पेंशन का लाभ मिल सकेगा।
निष्कर्ष :
संयुक्त राज्य अमेरिका, इज़रायल, उत्तर कोरिया, फ्राँस, जर्मनी, नीदरलैंड, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा जैसे विश्व के कई देशों में महिलाओं को सेना में युद्ध की स्थिति में भी पहली पंक्ति में सक्रिय भूमिका निभाने का मौका दिया जाता है। भारतीय सेना में महिला अधिकारियों को स्थाई कमीशन दिया जाना सेना में महिला समानता को बढ़ावा दिये जाने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण निर्णय है। सरकार का यह निर्णय भविष्य में सेना में महिला अधिकारियों के अधिकारों से जुड़े अन्य सकारात्मक सुधारों के लिये एक मज़बूत आधार का काम करेगा।