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शासन व्यवस्था

सेना में महिलाएँ

  • 11 Jun 2021
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

सेना विमानन कोर, मानचित्र में सियाचिन ग्लेशियर की अवस्थिति

मेन्स के लिये:

सेना में महिलाओं की भूमिका, लैंगिक समानता से संबंधित प्रश्न

चर्चा में क्यों?

हाल ही में सेना विमानन कोर में पहली बार हेलीकॉप्टर पायलट ट्रेनिंग के लिये दो महिला अधिकारियों का चयन किया गया है। वे जुलाई 2022 में अपना प्रशिक्षण पूरा करने के बाद फ्रंट-लाइन फ्लाइंग ड्यूटी में शामिल होंगी।

  • वर्तमान तक सेना विमानन कोर  में महिला अधिकारियों को सिर्फ ग्राउंड ड्यूटी दी जाती थी।

प्रमुख बिंदु

सशस्त्र बलों में तैनाती:

  • सेना, वायु सेना और नौसेना ने वर्ष 1992 में महिलाओं को शॉर्ट-सर्विस कमीशन (Short-Service Commission- SSC) अधिकारियों के रूप में शामिल करना शुरू किया।
    • यह पहली बार था जब महिलाओं को मेडिकल स्ट्रीम के बाहर सेना में शामिल होने की अनुमति दी गई थी।
  • सेना में महिलाओं के लिये एक महत्त्वपूर्ण मोड़ वर्ष 2015 में आया जब भारतीय वायु सेना (Indian Air Force- IAF) ने उन्हें लड़ाकू स्ट्रीम में शामिल करने का फैसला किया।
  • वर्ष 2020 में सर्वोच्च न्यायालय (SC) ने केंद्र सरकार को सेना की गैर-लड़ाकू सहायता इकाइयों में महिला अधिकारियों को उनके पुरुष समकक्षों के समान स्थायी कमीशन (Permanent Commission- PC) देने का आदेश दिया था।
    • सर्वोच्च न्यायालय ने "लैंगिक रूढ़िवादिता" और "महिलाओं के खिलाफ लैंगिंक भेदभाव" के आधार पर महिला अधिकारियों की शारीरिक सीमाओं (Physiological Limitations) के प्रति सरकार के रुख को खारिज कर दिया था।
    • महिला अधिकारियों को भारतीय सेना में उन सभी दस शाखाओं में PC दिया गया है जिन शाखाओं में महिलाओं को SSC के लिये शामिल किया गया है।
    • महिलाएँ अब पुरुष अधिकारियों के समान सभी कमांड नियुक्तियों में पद ग्रहण करने के लिये पात्र हैं, जो उनके लिये उच्च पदों पर आगे पदोन्नति के रास्ता खोलेगा।
  • वर्ष 2021 की शुरुआत में भारतीय नौसेना ने लगभग 25 वर्षों के अंतराल के बाद चार महिला अधिकारियों को युद्धपोतों पर तैनात किया।
    • भारत के  विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य (INS Vikramaditya) और बेड़े के टैंकर आईएनएस शक्ति (INS Shakti) एकमात्र ऐसे युद्धपोत हैं जिन्हें 1990 के दशक के बाद से अपनी पहली महिला चालक दल सौंपी गई है।
  • मई 2021 में सेना ने कोर ऑफ़ मिलिट्री पुलिस में महिलाओं के पहले बैच को शामिल किया, यह पहली बार था जब महिलाएँ गैर-अधिकारी कैडर में सेना में शामिल हुईं।
    • हालाँकि महिलाओं को अभी भी इन्फैंट्री और आर्म्ड कॉर्प्स जैसे लड़ाकू हथियारों के प्रयोग वाले बेड़ों पर नियुक्ति करने की अनुमति नहीं है।

सेना विमानन कोर (Army Aviation Corps- ACC):

संख्या में वृद्धि:

  • पिछले छह वर्षों में यह संख्या लगभग तीन गुना बढ़ गई है और महिलाओं के लिये स्थिर गति से अधिक रास्ते खोले जा रहे हैं।
  • वर्तमान में 9,118 महिलाएँ थल सेना, नौसेना और वायु सेना में सेवारत हैं।
  • वर्ष 2019 के आँकड़ों के अनुसार, विश्व की दूसरी सबसे बड़ी थल सेना में महिलाओं की संख्या केवल 3.8% है जबकि वायु सेना में इनकी संख्या 13% और नौसेना में 6% है।

लाभ:

  • लैंगिकता बाधक नहीं: यदि आवेदक किसी पद के लिये योग्य है तो लैंगिकता उसकी योग्यता में बाधा नहीं बन सकती। आधुनिक उच्च प्रौद्योगिकी युद्धक्षेत्र में तकनीकी विशेषज्ञता और निर्णय लेने के कौशल साधारण पाशविक शक्ति की तुलना में अधिक मूल्यवान होते जा रहे हैं।
  • सैन्य तैयारी: मिश्रित लैंगिक बल की अनुमति देने से सेना मज़बूत रहती है। वर्तमान में रिटेंशन और भर्ती दरों में गिरावट से सशस्त्र बल गंभीर रूप से परेशान हैं। महिलाओं को लड़ाकू भूमिका में अनुमति देकर इस परेशानी को कम किया जा सकता है।
  • प्रभावशीलता: महिलाओं पर पूर्ण प्रतिबंध, सेना में कमांडरों की नौकरी के लिये सबसे सक्षम व्यक्ति को चुनने की क्षमता को सीमित करता है।
  • परंपरा: युद्ध इकाइयों में महिलाओं के एकीकरण की सुविधा के लिये प्रशिक्षण की आवश्यकता होगी। समय के साथ संस्कृतियाँ बदलती हैं और इससे मातृ उपसंस्कृति भी विकसित हो सकती है।
  • वैश्विक परिदृश्य: जब वर्ष 2013 में महिलाओं को आधिकारिक तौर पर अमेरिकी सेना में लड़ाकू पदों के लिये योग्य माना गया तो इसे व्यापक रूप से लिंग समानता की दिशा में एक और कदम के रूप में देखा गया। वर्ष 2018 में यूके की सेना ने महिलाओं के लिये करीबी युद्धक भूमिकाओं में सेवा करने पर प्रतिबंध हटा दिया, जिससे उनके लिये विशिष्ट बलों में सेवा करने की राह आसान हुई।

आगे की राह:

  • महिलाओं को इस कारण से कमांड पोस्ट से बाहर रखा जा रहा था कि बड़े पैमाने पर रैंक और कमांडिंग ऑफिसर के रूप में महिलाओं के साथ समस्या होगी। इस प्रकार न केवल सेना की रैंक और फाइल बल्कि बड़े पैमाने पर समाज की संस्कृति, मानदंडों और मूल्यों में परिवर्तन होगा। इन परिवर्तनों को लाने की ज़िम्मेदारी वरिष्ठ सैन्य और राजनीतिक नेतृत्व की है।
  • संयुक्त राज्य अमेरिका, इज़राइल, उत्तर कोरिया, फ्रांस, जर्मनी, नीदरलैंड, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा की सेना उन वैश्विक सेनाओं में से हैं जो युद्ध की स्थिति में महिलाओं को अग्रिम पंक्ति में  नियुक्त करती हैं।
  • हर महिला का अपनी पसंद के व्यवसाय को चुनने और शीर्ष पर पहुँचने का अधिकार है क्योंकि समानता का अधिकार एक संवैधानिक गारंटी है। 

स्रोत: द हिंदू

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