सामाजिक न्याय
महिलाएँ, व्यवसाय और कानून 2024
- 07 Mar 2024
- 14 min read
प्रिलिम्स के लिये:आर्थिक सहयोग और विकास संगठन, लिंगभेद, महिला, व्यवसाय और कानून 2024, विश्व बैंक मेन्स के लिये:महिला, व्यवसाय और कानून 2024, भारत और विश्व में महिलाओं से संबंधित मुद्दे एवं मानव संसाधन के विकास पर इसका प्रभाव। |
स्रोत: डाउन टू अर्थ
चर्चा में क्यों?
हाल ही में विश्व बैंक समूह ने “महिला, व्यवसाय और कानून 2024” शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें वैश्विक कार्यबल में महिलाओं के प्रवेश में बाधा डालने वाली चुनौतियों जो उनकी, परिवार की और उनके समुदाय की समृद्धि में योगदान करने की उनकी क्षमता में बाधा बन रही हैं, का गहन विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है।
महिला व्यवसाय और कानून- 2024 रिपोर्ट क्या है?
- इसके सूचकांक कानून और सार्वजनिक नीति के क्षेत्रों व उन आर्थिक निर्णयों से संबंधित हैं जो महिलाएँ अपने जीवन तथा करियर के दौरान लेती हैं। यह अभिनिर्धारित करती हैं कि कहाँ और किन क्षेत्रों में महिलाओं को बाधाओं का सामना करना पड़ता है।
- संकेतक: इसमें 10 संकेतक हैं- सुरक्षा, गतिशीलता, कार्यस्थल, वेतन, बाल देखभाल, विवाह, पितृत्व, उद्यमिता, संपत्ति और पेंशन।
- हिंसा से सुरक्षा और बाल देखभाल सेवाओं तक पहुँच अत्यंत महत्त्वपूर्ण संकेतक हैं।
रिपोर्ट के मुख्य तथ्य क्या हैं?
- कानूनी फ्रेमवर्क सूचकांक:
- आर्थिक सहयोग और विकास संगठन की उच्च आय वाली अर्थव्यवस्थाओं में से 11 ने 90 या उससे अधिक अंक प्राप्त किये जिसमें इटली 95 अंकों के साथ अग्रणी है, इसके बाद न्यूज़ीलैंड तथा पुर्तगाल ने 92.5 अंक प्राप्त किये।
- इसके विपरीत, 37 से अधिक अर्थव्यवस्थाएँ महिलाओं को पुरुषों द्वारा प्राप्त आधे से भी कम कानूनी अधिकार प्रदान करती हैं, जिससे लगभग आधा अरब महिलाएँ प्रभावित होती हैं। विशेष रूप से, उच्च आय वाली अर्थव्यवस्थाओं का औसत स्कोर 75.4 है।
- उच्च-मध्यम-आय अर्थव्यवस्थाएँ लगभग 66.8 के औसत स्कोर के निकट हैं। उच्चतम और निम्नतम स्कोरिंग अर्थव्यवस्थाओं के बीच स्कोर का अंतर उच्च आय वाली अर्थव्यवस्थाओं में सबसे अधिक स्पष्ट है, जिसमें 75 अंकों का पर्याप्त अंतर है।
- महिलाओं को पुरुषों की तुलना में कम कानूनी अधिकार प्राप्त हैं:
- जब हिंसा और बच्चों की देखभाल से जुड़े कानूनी मतभेदों को ध्यान में रखा जाता है, तो विश्व भर में महिलाओं को पुरुषों की तुलना में केवल 64% कानूनी सुरक्षा मिलती है। यह 77% के पिछले अनुमान से भी कम है।
- महिलाओं के लिये कानूनी सुधारों और वर्तमान परिणामों के बीच अंतर:
- भले ही कई देशों ने लैंगिक समानता को बढ़ावा देने वाले कानून बनाए हैं, लेकिन इन कानूनों और महिलाओं के वर्तमान अनुभवों के बीच एक महत्त्वपूर्ण अंतर है।
- 98 अर्थव्यवस्थाओं ने समान मूल्य के काम के लिये महिलाओं हेतु समान वेतन अनिवार्य करने वाला कानून बनाया है।
- फिर भी केवल 35 अर्थव्यवस्थाएँ, प्रत्येक पाँच में से एक से भी कम, ने वेतन अंतर को दूर करने के लिये वेतन-पारदर्शिता उपायों को अपनाया है।
- देशों द्वारा खराब प्रदर्शन:
- टोगो (Togo) उप-सहारा अर्थव्यवस्थाओं में अग्रणी रहा है, जिसने ऐसे कानून बनाए हैं जो महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले लगभग 77% अधिकार प्रदान करते हैं, जो महाद्वीप के किसी भी अन्य देश की तुलना में अधिक है।
- फिर भी टोगो ने अब तक पूर्ण कार्यान्वयन के लिये आवश्यक केवल 27% प्रणालियाँ स्थापित की हैं।
- यह दर उप-सहारा अर्थव्यवस्थाओं के लिये औसत है।
- वर्ष 2023 में सरकारें कानूनी समान अवसर सुधारों, वेतन, माता-पिता के अधिकार और कार्यस्थल सुरक्षा की तीन श्रेणियों को आगे बढ़ाने में मुखर थीं।
- फिर भी, लगभग सभी देशों ने पहली बार ट्रैक की जा रही दो श्रेणियों- बच्चों की देखभाल तक पहुँच और महिला सुरक्षा, में खराब प्रदर्शन किया।
- टोगो (Togo) उप-सहारा अर्थव्यवस्थाओं में अग्रणी रहा है, जिसने ऐसे कानून बनाए हैं जो महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले लगभग 77% अधिकार प्रदान करते हैं, जो महाद्वीप के किसी भी अन्य देश की तुलना में अधिक है।
- महिला सुरक्षा:
- सबसे बड़ी कमज़ोरी महिला सुरक्षा है, जिसका वैश्विक औसत स्कोर सिर्फ 36 है। महिलाओं को घरेलू हिंसा, यौन उत्पीड़न, बाल विवाह और स्त्री हत्या के खिलाफ आवश्यक कानूनी सुरक्षा का बमुश्किल एक तिहाई हिस्सा प्राप्त है।
- हालाँकि 151 अर्थव्यवस्थाओं में कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न को प्रतिबंधित करने वाले कानून हैं, केवल 39 अर्थव्यवस्थाओं में सार्वजनिक स्थानों पर इसे प्रतिबंधित करने वाले कानून हैं। यह अक्सर महिलाओं को काम पर जाने के लिये सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करने से रोकता है।
- बाल देखभाल:
- महिलाएँ पुरुषों की तुलना में प्रतिदिन औसतन 2.4 घंटे अधिक अवैतनिक देखभाल कार्य में बिताती हैं, जिसमें से अधिकांश बच्चों की देखभाल पर खर्च होता है।
- केवल 78 अर्थव्यवस्थाएँ, यानी आधे से भी कम, छोटे बच्चों वाले माता-पिता को कुछ वित्तीय या कर सहायता प्रदान करती हैं।
- केवल 62 अर्थव्यवस्थाओं, एक तिहाई से भी कम, में बाल देखभाल सेवाओं को नियंत्रित करने वाले गुणवत्ता मानक हैं, जिनके बिना महिलाएँ काम पर जाने के बारे में दो बार सोच सकती हैं, जबकि उनकी देखभाल में बच्चे हैं।
- महिलाओं के लिये कई बाधाएँ:
- महिलाओं को अन्य क्षेत्रों में कई बाधाओं का सामना करना पड़ता है। उदाहरणतः उद्यमिता के क्षेत्र में, प्रत्येक पाँच अर्थव्यवस्थाओं में से केवल एक ही सार्वजनिक खरीद प्रक्रियाओं के लिये लिंग-संवेदनशील मानदंडों को अनिवार्य करती है, जिसका अर्थ है कि महिलाएँ बड़े पैमाने पर 10 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर प्रतिवर्ष के आर्थिक अवसर से वंचित हैं।
- वेतन के संबंध में महिलाओं को पुरुषों को दिये जाने वाले प्रत्येक 1 अमेरिकी डॉलर पर केवल 77 सेंट का पारिश्रमिक प्राप्त होता है। पुरुष तथा महिलाओं को प्रदत्त अधिकारों में व्यापक अंतराल है। विश्व के 62 देशों में पुरुषों और महिलाओं के सेवानिवृत्त होने की आयु एक समान नहीं है।
- महिलाओं का जीवनकाल पुरुषों की तुलना में अधिक होता है किंतु रोज़गार में उन्हें अल्प वेतन मिलता है, बच्चों के जन्म के उपरांत वे अवकाश लेती हैं और समय से पूर्व सेवानिवृत्त हो जाती हैं, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें पेंशन का अल्प लाभ तथा वृद्धावस्था में अधिक वित्तीय असुरक्षा का सामना करना पड़ता है।
संबद्ध रिपोर्ट में भारत का प्रदर्शन कैसा रहा?
- 74.4% स्कोर के साथ भारत की रैंक साधारण सुधार के साथ 113 हो गई। भारत का स्कोर वर्ष 2021 से स्थिर बना हुआ है किंतु इसकी रैंकिंग वर्ष 2021 में 122 थी जो वर्ष 2022 में घटकर 125 और वर्ष 2023 सूचकांक में 126 हो गई।
- भारतीय महिलाओं के पास पुरुषों की तुलना में केवल 60% कानूनी अधिकार हैं जो वैश्विक परिदृश्य में औसत 64.2% से थोड़ा कम है।
- हालाँकि भारत ने दक्षिण एशियाई देशों से बेहतर प्रदर्शन किया, जहाँ महिलाओं को पुरुषों द्वारा प्राप्त कानूनी सुरक्षा का केवल 45.9% प्राप्त है।
- महिलाओं के संबंध में अवगमन की स्वतंत्रता और विवाह से संबंधित बाधाओं के विषय में भारत को पूर्ण अंक प्रदान किये गए।
- महिलाओं के वेतन को प्रभावित करने वाले कानूनों का मूल्यांकन करने वाले संकेतक में भारत का स्कोर कम रहा।
- संबद्ध विषय में सुधार करने हेतु भारत समान कार्य के लिये समान वेतन अनिवार्य करने, महिलाओं को पुरुषों के समान रात्रि में कार्य करने की अनुमति प्रदान करने तथा महिलाओं को पुरुषों के साथ समान स्तर पर औद्योगिक नौकरियों में शामिल होने में सक्षम बनाने के संबंध में नीतियाँ क्रियान्वित कर सकता है।
- सहायक ढाँचे के विषय में भारत ने वैश्विक और दक्षिण एशियाई देशों से अधिक अंक प्राप्त किये।
रिपोर्ट की अनुशंसाएँ क्या हैं?
- महिलाओं को कार्य करने अथवा व्यवसाय शुरू करने से बाधित करने वाले भेदभावपूर्ण कानूनों और प्रथाओं का उन्मूलन करने से वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में 20% से अधिक की वृद्धि हो सकती है।
- इसके परिणामस्वरुप आगामी दशक में वैश्विक विकास दर में दोगुना वृद्धि हो सकती है।
- समान अवसर कानूनों का प्रभावी कार्यान्वयन एक पर्याप्त सहायक ढाँचे पर निर्भर करता है, जिसमें सुदृढ़ प्रवर्तन तंत्र, लिंग-संबंधी वेतन असमानताओं का अनुवीक्षण करने के लिये एक प्रणाली और हिंसा से संरक्षित महिलाओं के लिये स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता शामिल है।
- कानूनों में सुधार के प्रयासों में तेज़ी लाना और सार्वजनिक नीतियों को लागू करना पहले से कहीं अधिक आवश्यक है जो महिलाओं को कार्य करने तथा व्यवसाय प्रारंभ करने के साथ-साथ सशक्त बनाते हैं।
- महिलाओं की आर्थिक भागीदारी बढ़ाना तथा उनकी आवाज़ को बुलंद करने के साथ ही उन्हें सीधे प्रभावित करने वाले निर्णयों को आकार देने की कुंजी है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. 'व्यापार करने की सुविधा के सूचकांक' में भारत की रैंकिंग समाचारों में कभी-कभी दिखती है। निम्नलिखित में से किसने इस रैंकिंग की घोषणा की है? (2016) (a) आर्थिक सहयोग और विकास संगठन उत्तर: (c) प्रश्न. 'विश्व आर्थिक संभावना (ग्लोबल इकनॉमिक प्रॉस्पेक्ट्रस)' रिपोर्ट आवधिक रूप से निम्नलिखित में से कौन जारी करता है? (2015) (a) एशिया विकास बैंक उत्तर: (d) प्रश्न .3 निम्नलिखित में से कौन-सा संगठन 'विश्व आर्थिक आउटलुक' नामक रिपोर्ट प्रकाशित करता है? (2014) (a) अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष उत्तर: (a) प्रश्न. ‘सतत् वन परिदृश्यों के लिये बायोकार्बन फंड पहल का प्रबंधन किसके द्वारा किया जाता है। (2015) (a) एशियाई विकास बैंक उत्तर: (d) मेन्स:प्रश्न. हम देश में महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा के मामलों में वृद्धि देख रहे हैं। इसके खिलाफ मौजूदा कानूनी प्रावधानों के बावजूद ऐसी घटनाओं की संख्या बढ़ रही है। इस खतरे से निपटने के लिये कुछ अभिनव उपाय सुझाइये। (2014) प्रश्न.भारत में समय और स्थान के विरुद्ध महिलाओं के लिये निरंतर चुनौतियाँ क्या हैं? (2019)? |