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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी

  • 25 Nov 2020
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये:

अररिया फॉर्मूला, डूरंड रेखा, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद

मेन्स के लिये:

अफगानिस्तान से विदेशी सैनिकों की वापसी का भारत पर प्रभाव

चर्चा में क्यों?

अफगानिस्तान से अधिक सैनिकों की वापसी की गति बढ़ाने के लिये अमेरिका की नवीनतम योजना अफगानिस्तान में चल रही शांति प्रक्रिया को खतरे में डाल सकती है।

प्रमुख बिंदु

भारत का रुख:

  • भारत इस बात से चिंतित है कि नाटो/अमेरिकी गठबंधन सेना की अफगान शांति प्रक्रिया और समयपूर्व वापसी आतंकवादी नेटवर्क को लाभ पहुँचा सकती है जो अफगानिस्तान और भारत दोनों को निशाना बना सकते हैं।
  • संयुक्त राष्ट्र ने एक रिपोर्ट जारी करते हुए सबूत दिया कि संयुक्त राज्य अमेरिका से तालिबान के आश्वासन के बावजूद, अलकायदा अभी भी अफगानिस्तान में मौजूद है और सक्रिय है, जिसे तालिबान द्वारा शरण दी जा रही है।
  • भारत में, अल कायदा एक प्रचार (Propaganda) अभियान चलाता है जो हिंदू बहुसंख्यक और मुस्लिम अल्पसंख्यक के बीच मतभेदों को भुनाने का प्रयास करता है।
  • हाल ही में, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (United Nations Security Council) की बैठक, Arria फॉर्मूला (Arria Formula- UNSC सदस्य के अनुरोध पर अनौपचारिक रूप से) के तहत बुलाई गई, जिसमें भारत ने अफगानिस्तान में "तत्काल व्यापक युद्धविराम" का आह्वान किया और देश में शांति लाने के सभी अवसरों का स्वागत किया।
  • भारत ने पिछले लगभग दो दशकों में अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण और विकास सहायता का भी वर्णन किया।
  • भारत के अनुसार, अफगानिस्तान में टिकाऊ शांति के लिये, डूरंड रेखा (पाकिस्तान के संदर्भ में) में सक्रिय आतंकवादी ठिकानों को समाप्त करने की आवश्यकता है।
    • डूरंड रेखा दक्षिण-मध्य एशिया में अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच 2,670 किलोमीटर भूमि की अंतर्राष्ट्रीय सीमा है।
  • भारत ने अफगानिस्तान में शांति और स्थिरता के लिये चार आवश्यकताओं को रेखांकित किया:
  • इस प्रक्रिया को अफगान के नेतृत्व तथा स्वामित्व में होना चाहिये।
  • आतंकवाद के प्रति शून्य सहिष्णुता होनी चहिये।
  • पिछले दो दशकों के लाभ को खो नहीं सकते।
    • विशेष रूप से, भारत आश्वस्त है कि महिलाओं के अधिकारों की दृढ़ता से रक्षा करने की आवश्यकता है। इसके अलावा, अल्पसंख्यकों और कमज़ोर लोगों के अधिकारों को सुरक्षित रखने की आवश्यकता है।
    • भारत ने यहाँ विभिन्न इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं में भारी निवेश किया है, उदाहरण के लिये - जरंज डेलाराम राजमार्ग, अफगान संसद आदि।
  • अफगानिस्तान के पारगमन अधिकारों का उपयोग देशों द्वारा "अफगानिस्तान से राजनीतिक कीमत निकालने के लिये" नहीं किया जाना चहिये।
  • अफगानिस्तान से बाहर के व्यक्तियों और सामग्रियों के प्रवाह में बाधा डालने के लिये पाकिस्तान का संदर्भ, उदाहरण के लिये भारत-अफगानिस्तान व्यापार।
  • भारत ने अफगानिस्तान को भारत की UNSC अवधि के दौरान शांति की तलाश में अपने समर्थन का आश्वासन दिया।
  • गैर-स्थायी सीट पर भारत का दो वर्ष का कार्यकाल 1 जनवरी 2021 से शुरू होगा।

चीन का रुख:

  • चीन ने विदेशी सैनिकों से एक व्यवस्थित और ज़िम्मेदार तरीके से अफ़ग़ानिस्तान छोड़ने का आह्वान किया ताकि आतंकवादी ताकतों को बढ़ने तथा अफगानिस्तान की शांति और सुलह प्रक्रिया में बाधा पहुँचाने  का अवसर न मिलने पाए।
  • चीन चिंतित है कि युद्धग्रस्त देश अफगानिस्तान जो चीन के अस्थिर झिंजियांग प्रांत के साथ सीमा साझा करता है, उइगर मुस्लिम आतंकवादियों के लिये एक अनुकूल क्षेत्र बन सकता है।
    • उइगर मुख्यतः तुर्क-भाषी जातीय समूह है। वे मुख्य रूप से चीन के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में सीमित हैं और उस क्षेत्र के सबसे बड़े मुस्लिम समूह में से एक हैं।
    • चीन ज़ोर देकर कहता है कि उइगर आतंकवादी बमबारी, तोड़फोड़ और नागरिक अशांति की साजिश रचकर एक स्वतंत्र राज्य के लिये हिंसक अभियान चला रहे हैं।
    • झिंजियांग में धार्मिक अतिवाद पर लगाम लगाने के लिये चीन ने आरोपों पर अंतर्राष्ट्रीय आलोचना का सामना किया है कि उसने एक लाख से अधिक जातीय उइगरों को झिंजियांग में नज़रबंद कर रखा है।
  • पूर्वी तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट ( East Turkestan Islamic Movement )- उइगर आतंकवादी समूह पर प्रतिबंध हटाने के लिये USA की वापसी भी अपने कदम के साथ मेल खाती है।
    • झिंजियांग में हमलों को अंजाम देने के लिये चीन, ETIM का विरोधी है। यह एक अलकायदा समर्थित आतंकवादी समूह है जो अफगानिस्तान में फिर से संगठित है।
    • ETIM को 2002 में अलकायदा, ओसामा बिन लादेन और तालिबान के साथ कथित संबंध के लिये संयुक्त राष्ट्र की 1267 आतंकवाद-रोधी समिति द्वारा आतंकवादी संगठन के रूप में नामित किया गया था।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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