अंतर्राष्ट्रीय संबंध
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद
- 20 Aug 2019
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संदर्भ
भारतीय संविधान में उल्लिखित कश्मीर से जुड़े अनुच्छेद 370 को भारत सरकार द्वारा हटाए जाने के पश्चात् पाकिस्तान इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में उठाने की लगातार कोशिश कर रहा था। चीन के कहने पर इस मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (United Nations Security Council- UNSC) बंद कमरे में बैठक के लिये तैयार हुई और हाल ही में यह अनौपचारिक बैठक संपन्न हुई।
दरअसल,अनौपचारिक बैठक ऐसी बैठक को कहते हैं जो बंद कमरे में होती है। बंद कमरे में होने वाली बैठक सुरक्षा परिषद की पूर्ण बैठक नहीं होती। यह बैठक इतनी सामान्य है कि कभी-कभी तो हफ्ते में इस तरह की दो तीन बैठकें हो जाती हैं। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का काम दुनिया भर में शांति और सुरक्षा कायम करना है। भारत भी शांति का हमेशा से पक्षधर रहा है तथा भारत लंबे समय से संयुक्त राष्ट्र में स्थायी सदस्यता का दावा करता आया है।
यह बैठक जम्मू-कश्मीर के मौजूदा हालात पर चर्चा के पाकिस्तान के अनुरोध पर चीन द्वारा बुलाई गई थी जिसमें चीन ने कश्मीर में हालात चिंताजनक बताए हैं। इस बैठक में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पाँच स्थायी सदस्यों और 10 अस्थायी सदस्यों ने भाग लिया। इसमें रूस ने भारत का साथ देते हुए इसे भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय मुद्दा बताया।
परिचय
- सुरक्षा परिषद,,संयुक्त राष्ट्र के छह प्रमुख अंगों में से एक है, जिसका गठन द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान 1945 में हुआ था।
- इन देशों की सदस्यता दूसरे विश्वयुद्ध के बाद के शक्ति संतुलन को प्रदर्शित करती है।
गठन एवं संरचना
- मूल रूप से सुरक्षा परिषद में 11 सदस्य थे जिसे 1965 में बढ़ाकर 15 कर दिया गया।
- सुरक्षा परिषद के पाँच स्थायी सदस्य हैं- अमेरिका, ब्रिटेन, फ्राँस, रूस और चीन। सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्यों के पास वीटो का अधिकार होता है।
- गौरतलब है कि इन स्थायी सदस्य देशों के अलावा 10 अन्य देशों को दो साल के लिये अस्थायी सदस्य के रूप में सुरक्षा परिषद में शामिल किया जाता है।
- स्थायी और अस्थायी सदस्य बारी-बारी से एक-एक महीने के लिये परिषद के अध्यक्ष बनाए जाते हैं।
- अस्थायी सदस्य देशों को चुनने का उदेश्य सुरक्षा परिषद में क्षेत्रीय संतुलन कायम करना है।
- अस्थायी सदस्यता के लिये सदस्य देशों द्वारा चुनाव किया जाता है। इसमें पाँच सदस्य एशियाई या अफ्रीकी देशों से, दो दक्षिण अमेरिकी देशों से, एक पूर्वी यूरोप से और दो पश्चिमी यूरोप या अन्य क्षेत्रों से चुने जाते हैं।
भूमिका तथा शक्तियाँ
- सुरक्षा परिषद संयुक्त राष्ट्र का सबसे शक्तिशाली निकाय है जिसकी प्राथमिक ज़िम्मेदारी अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा कायम रखना है।
- इसकी शक्तियों में शांति अभियानों का योगदान, अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंधों को लागू करना तथा सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के माध्यम से सैन्य कार्रवाई करना शामिल है।
- यह सदस्य देशों पर बाध्यकारी प्रस्ताव जारी करने का अधिकार वाला संयुक्त राष्ट्र का एकमात्र निकाय है।
- संयुक्त राष्ट्र चार्टर के तहत सभी सदस्य देश सुरक्षा परिषद के निर्णयों का पालन करने के लिये बाध्य हैं।
- मौजूदा समय में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पाँच स्थायी सदस्यों के पास वीटो पॉवर है। वीटो पॉवर का अर्थ होता है ‘मैं अनुमति नहीं देता हूँ।’
- स्थायी सदस्यों के फैसले से अगर कोई सदस्य सहमत नहीं है तो वह वीटो पाॅवर का इस्तेमाल करके उस फैसले को रोक सकता है।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार की आवश्यकता
- संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद वर्तमान समय में भी द्वितीय विश्वयुद्ध के समय की भू-राजनीतिक संरचना को दर्शाती है।
- परिषद के पाँच स्थायी सदस्यों- अमेरिका, ब्रिटेन, फ्राँस, रूस और चीन को 7 दशक पहले केवल एक युद्ध जीतने के आधार पर किसी भी परिषद के प्रस्ताव या निर्णय पर वीटो का विशेषाधिकार प्राप्त है।
- तब 113 देश संयुक्त राष्ट्र के सदस्य थे लेकिन आज इनकी संख्या 193 तक बढ़ गई है, फिर भी आज तक इसका विस्तार नहीं किया गया है।
- परिषद की वर्तमान संरचना कम-से-कम 50 वर्ष पहले की शक्ति संतुलन की व्यवस्था पर बल देती है। उदाहरण के लिये यूरोप जहाँ दुनिया की कुल आबादी की मात्र 5 प्रतिशत जनसंख्या ही निवास करती है, का परिषद में स्थायी सदस्य के तौर पर सर्वाधिक प्रतिनिधित्व है।
- गौरतलब है कि अफ्रीका का कोई भी देश सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य नहीं है, जबकि संयुक्त राष्ट्र का 50 प्रतिशत से अधिक कार्य अकेले अफ्रीकी देशों से संबंधित है।
- पीसकीपिंग अभियानों (Peacekeeping Operations) में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने के बावज़ूद मौजूदा सदस्यों द्वारा उन देशों के पक्ष को नज़रंदाज़ कर दिया जाता है। भारत इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है।
UNSC के सुधार में बाधाएँ
- 5 स्थायी सदस्य देश अपने वीटो पाॅवर को छोड़ने के लिये सहमत नहीं हैं और न ही वे इस अधिकार को किसी अन्य देश को देने पर सहमत हैं।
- संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन सुरक्षा परिषद में किसी भी बड़े बदलाव के विरोध में हैं।
- जी-4 (भारत, ब्राज़ील, जर्मनी, जापान) सदस्यों के बीच सुधार के एजेंडे के संदर्भ में मतभिन्नता है, उनके क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्वी भी जी-4 के स्थायी सदस्य बनने के विरोध में हैं।
- UNSC की संरचना में किसी भी बदलाव के लिये संयुक्त राष्ट्र के चार्टर में संशोधन की आवश्यकता होगी जिसे संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) की सदस्यता के दो-तिहाई बहुमत से हस्ताक्षरित और समर्थन प्रदान करना होगा तथा इसके लिये वर्तमान पाँचों स्थायी सदस्यों की सहमति की आवश्यकता होगी। संयुक्त राष्ट्र के भीतर दबाव समूह हैं जैसे सर्वसम्मति के लिये एकजुट होना (Uniting for Consensus-UfC) जो वीटो पॉवर के साथ स्थायी सदस्यता में किसी भी विस्तार के खिलाफ हैं।
अभ्यास प्रश्न: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की संरचना, इससे जुड़े विवादों एवं संभावित सुधारों पर चर्चा कीजिये।