प्रोजेक्ट डॉल्फिन और गंगा डॉल्फिन संरक्षण | 05 Sep 2020
प्रिलिम्स के लियेप्रोजेक्ट डॉल्फिन, गंगा डॉल्फिन, नमामि गंगे, प्रोजेक्ट टाइगर, वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 मेन्स के लियेभारत में गंगा डॉल्फिन की स्थिति और उसके संरक्षण हेतु किये गए प्रयास |
चर्चा में क्यों?
स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लालकिले से देश को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने प्रोजेक्ट डॉल्फिन लॉन्च करने की सरकार की योजना की घोषणा की थी। इस प्रस्तावित परियोजना का उद्देश्य नदी और समुद्री डॉल्फिन की सुरक्षा करना है।
प्रमुख बिंदु
- प्रोजेक्ट डॉल्फिन
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने वक्तव्य में कहा कि प्रोजेक्ट डॉल्फिन (Project Dolphin) को प्रोजेक्ट टाइगर की तर्ज पर चलाया जाएगा। प्रोजेक्ट टाइगर एक बाघ संरक्षण कार्यक्रम है, जिसने देश में बाघों की संख्या बढ़ाने में उल्लेखनीय कार्य किया है।
- प्रोजेक्ट डॉल्फिन को बीते वर्ष दिसंबर माह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में राष्ट्रीय गंगा परिषद (NGC) की पहली बैठक में मंज़ूरी मिली थी।
- अब तक नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा (NMCG), जो कि सरकार की प्रमुख योजना नमामि गंगे को लागू करता है, ने डॉल्फिन को बचाने के लिये कुछ पहल की हैं।
- अनुमानतः डॉल्फिन के संरक्षण के लिये यह प्रोजेक्ट डॉल्फिन पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा लागू किया जाएगा।
गंगा डॉल्फिन
- गंगा नदी जल प्रणाली जलीय जीवन की एक विशाल विविधता का घर है, जिसमें गंगा डॉल्फिन (Gangetic Dolphin) भी शामिल है। इसका वैज्ञानिक नाम प्लैटनिस्टा गैंगेटिका (Platanista Gangetica) है।
- गंगा डॉल्फिन विश्व भर की नदियों में पाई जाने वाली डॉल्फिन की पाँच प्रजातियों में से एक है। इस प्रकार की डॉल्फिन मुख्य तौर पर भारतीय उपमहाद्वीप खासतौर पर गंगा-ब्रह्मपुत्र-सिंधु-मेघना और कर्णाफुली-सांगू (Karnaphuli-Sangu) नदी तंत्र में पाई जाती हैं।
- ‘गंगा डॉल्फिन संरक्षण कार्य योजना 2010-2020’ में नर डॉल्फिन को 2 से 2.2 मीटर लंबा और मादा डॉल्फिन को 2.4 से 2.6 मीटर लंबा बताया गया है।
- एक वयस्क गंगा डॉल्फिन का वजन 70 किलोग्राम से 90 किलोग्राम के बीच हो सकता है।
- भारत में ये असम, उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान, झारखंड और पश्चिम बंगाल राज्यों में पाई जाती है। भारत सरकार ने गंगा डॉल्फिन को राष्ट्रीय जलीय जीव (National Aquatic Animal) के रूप में मान्यता दी है।
डॉल्फिन को सुरक्षित करने का महत्त्व
- एक समय था जब गंगा डॉल्फिन (Gangetic Dolphin) को गंगा में बंगाल की खाड़ी के डेल्टा से लेकर हिमालय की तलहटी में ऊपर के कई स्थानों पर देखा जा सकता था। यह गंगा की सहायक नदियों में भी पाई जाती थी।
- कई विशेषज्ञ मानते हैं कि 19वीं शताब्दी के दौरान दिल्ली की यमुना नदी में भी डॉल्फिन पाई जाती थी।
- हालाँकि नदियों पर बाँधों के निर्माण और बढ़ते वायु प्रदूषण के कारण जलीय जीवों खासतौर पर डॉल्फिन की आबादी में गिरावट आई है।
- जलीय जीवों का जीवन नदी के पारिस्थितिक तंत्र के स्वास्थ्य का एक संकेतक है। चूँकि गंगा डॉल्फिन खाद्य श्रृंखला के शीर्ष पर है, इसलिये नदी के जलीय जीवन का संरक्षण सुनिश्चित करने के लिये गंगा डॉल्फिन की रक्षा करना काफी आवश्यक है।
डॉल्फिन के लिये खतरे
- जल प्रदूषण के रूप में एकल उपयोग वाले प्लास्टिक औद्योगिक प्रदूषण, मछली पकड़ने वाले जाल, नदियों में गाद का जमा होना, तेल प्राप्त करने के लिये इनका शिकार करना, आदि इनकी उपस्थिति को प्रभावित करने वाले कारक हैं।
- नदियों पर बने बांध भी इनकी इनकी वृद्धि को प्रभावित कर रहे हैं, क्योंकि ये संरचनाएँ पानी के प्रवाह को बाधित करती हैं।
वर्तमान में गंगा डॉल्फिन की स्थिति
- हालाँकि इस संबंध में कोई सटीक आँकड़ा उपलब्ध नहीं है, किंतु विभिन्न अनुमानों से पता चलता है कि भारत में गंगा डॉल्फिन की आबादी लगभग 2,500-3,000 हो सकती है।
- हालाँकि बीते वर्ष केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्यमंत्री बाबुल सुप्रियो ने लोकसभा को सूचित किया था कि अकेले उत्तर प्रदेश में लगभग 1,272 डॉल्फिन और असम में लगभग 962 डॉल्फिन हैं।
- ध्यातव्य है कि गंगा के बढ़ते प्रदूषण के कारण उसमें जलीय जीवन पर खासा प्रभाव पड़ा है, खासतौर पर डॉल्फिन की संख्या में कमी देखने को मिली है।
गंगा डॉल्फिन को बचाने के प्रयास
- वन्यजीव संरक्षण अधिनियम: वर्ष 1985 में गंगा एक्शन प्लान (Ganga Action Plan) की शुरुआत के बाद 24 नवंबर, 1986 को सरकार ने एक अधिसूचना के माध्यम से गंगा डॉल्फिन को भारतीय वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की प्रथम अनुसूची में शामिल कर दिया गया था। सरकार के इस कदम का उद्देश्य गंगा डॉल्फिन के संरक्षण को बढ़ावा देना और उनके लिये वन्यजीव अभयारण्यों जैसी संरक्षण सुविधाएँ प्रदान करना था। उदाहरण के लिये बिहार में विक्रमशिला गंगा डॉल्फिन अभयारण्य इसी अधिनियम के तहत स्थापित किया गया था।
- संरक्षण योजना: सरकार ने ‘गंगा डॉल्फिन संरक्षण कार्य योजना 2010-2020’ भी तैयार की है, जिसमें गंगा डॉल्फिन के समक्ष मौजूद खतरों और उनकी आबादी पर नदी के यातायात और सिंचाई नहरों आदि के प्रभावों की पहचान की गई है।
- राष्ट्रीय जलीय जीव: 5 अक्तूबर, 2009 को तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण (NGRBA) की पहली बैठक की अध्यक्षता करते हुए गंगा डॉल्फिन को राष्ट्रीय जलीय जीव घोषित किया था। अब राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन द्वारा प्रत्येक वर्ष 5 अक्तूबर को गंगा डॉल्फिन दिवस मनाया जाता है।
निष्कर्ष
इस प्रकार, भारत में डॉल्फिन के संरक्षण के प्रयास 1980 के दशक के मध्य से ही शुरू हो गए थे, किंतु विश्लेषण से पता चलता है कि इन प्रयासों से डॉल्फिन की संख्या पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ा है। तमाम प्रयासों के बावजूद भी गंगा डॉल्फिन अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) की लुप्तप्राय (Endangered) सूची में शामिल है। सरकार द्वारा शुरू किया जा रहा प्रोजेक्ट डॉल्फिन (Project Dolphin) इस दिशा में महत्त्वपूर्ण कदम हो सकता है, हालाँकि आवश्यक है कि प्रोजेक्ट के लॉन्च के बाद इसके कार्यान्वयन पर भी ध्यान दिया जाए।