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‘वाणिज्यिक पत्र’ से जुड़े महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • 30 Oct 2017
  • 7 min read

संदर्भ

वर्तमान समय में बैंकों से मिलने वाले ऋणों की तुलना जब वाणिज्यिक पत्रों (Commercial papers- CP) से की जाती है तो यही पता चलता है कि वाणिज्यिक पत्र ही कंपनियों के लिये धन जुटाने का एक लोकप्रिय माध्यम बन गए है|

वाणिज्यिक पत्र क्या है?

  • वाणिज्यिक पत्र प्रतिज्ञा पत्र (promissory note) के रूप में जारी किये गए साधनों के माध्यम से मुद्रा बाज़ार में फर्मों द्वारा जुटाया जाने वाला एक असुरक्षित ऋण है| यह जारी करने की तिथि से न्यूनतम 7 दिन और अधिकतम 1 वर्ष तक की समयावधि के लिये जारी किये जाते हैं|

बैंकिंग व्यवस्था का वर्तमान परिदृश्य क्या है?

  • विमुद्रीकरण के पश्चात् बैंक जमाओं (bank deposits) में हुई वृद्धि के परिणामस्वरूप बैंकिंग व्यवस्था में अत्यधिक तरलता आ गई थी, जिस कारण सितम्बर 2017 के दौरान बैंकों द्वारा रिवर्स रेपो रेट (वर्तमान में यह 5.57 % है) के तहत 1 ट्रिलियन रुपए से अधिक की धनराशि आरबीआई के पास सुरक्षित रखी गई थी|
  • यद्यपि विमुद्रीकरण के पश्चात् बैंक जमाओं में तो वृद्धि (सितम्बर 2017 में सालाना आधार पर यह वृद्धि 8.5% थी) हुई, परन्तु फिर भी बैंकों के लिये ऋण वृद्धि (सितम्बर 2017 में सालाना आधार पर 7%) कम ही रही है| इसके अलावा बैंक व्यवस्था में अत्यधिक तरलता (surplus liquidity) भी देखी गई है| 

वाणिज्यिक पत्र लोकप्रिय क्यों हैं?

  • अत्यधिक तरलता के कारण विमुद्रीकरण के पश्चात् मुद्रा बाज़ारों में अल्पकालिक उधारियों की दरों में काफी गिरावट आई है और यह बैंकों द्वारा निर्धारित बैंकों की न्यूनतम उधारी दरों (lending rates) से भी कम हो गई हैं| उदाहरण के लिये, एसबीआई की न्यूनतम उधारी दर 7.75% है| इसके अतिरिक्त यदि वाणिज्यिक पत्रों की बात की जाए तो अक्टूबर के दौरान 6% की न्यूनतम दर पर वाणिज्यिक पत्रों को जारी किया गया था|
  • चूँकि बैंक निर्धारित न्यूनतम उधारी दरों  से कम पर उधार  नहीं दे सकते हैं| अतः अच्छी फर्में वाणिज्यिक पत्रों के माध्यम से ही अपनी अल्पकालिक आवश्यकताओं की पूर्ति करती हैं| दरअसल, वाणिज्यिक पत्रों को जिन दरों पर जारी किया जाता है वे बैंक की दरों से अपेक्षाकृत कम होती हैं| 

क्या वाणिज्यिक पत्रों में निरंतर वृद्धि होगी?

  • वाणिज्यिक पत्रों को तब तक जारी किया जाएगा जब तक बैंकों में अत्यधिक तरलता न आ जाए और उनकी अल्पकालिक दरें निर्धारित न्यूनतम उधार दरों से कम न हो जाएँ|
  • अत्यधिक परन्तु अस्थायी तरलता युक्त एक बैंक और म्यूच्युअल फण्ड वाणिज्यिक पत्रों की सदस्यता को ही वरीयता देंगे और रिवर्स रेपो दर के तहत रिज़र्व बैंक के पास धन रखने की बजाय इससे अल्पावधि में ही उच्च रिटर्न प्राप्त करेंगे|
  • उच्च श्रेणियों की कंपनियों के साथ अपने व्यावसायिक संबंधों को बनाए रखने के लिये बैंक इन कंपनियों के वाणिज्यिक पत्रों की सदस्यता लेते हैं, क्योंकि इससे बैंकों को अपने निर्धारित न्यूनतम उधारी दरों से कम पर उधार देने की अनुमति मिल जाती है| यही कारण है कि वर्तमान समय में वाणिज्यिक पत्रों को अधिक संख्या में जारी किया जा रहा है| मुश्किल से ही 33% बकाया वाणिज्यिक पत्रों (outstanding commercial papers) की सदस्यता बैंकों द्वारा ली गई है| 

वाणिज्यिक पत्र जारी करने के लाभ क्या हैं?

  • धन का सस्ता स्रोत होने के साथ ही यह उच्च श्रेणी की कंपनियों को अपेक्षाकृत कम समय में उनकी आवश्यकतानुसार धन जुटाने में मदद करता है| इसके लिये बैंक सुविधाएँ प्राप्त करने और संपत्ति के सृजन के लिये प्रक्रियात्मक निधि आवश्यकताओं की ज़रुरत नहीं होती है|

वाणिज्यिक पत्रों से जुडी प्रमुख चुनौतियाँ क्या हैं?

  • चूँकि वाणिज्यिक पत्र असुरक्षित ऋण हैं, अतः वाणिज्यिक पत्रों में निवेशक मुख्यतः उच्च श्रेणी की कंपनियों अथवा सार्वजनिक क्षेत्र की संस्थाओं को वरीयता देते हैं| 
  • वाणिज्यिक पत्रों का बाज़ार मौसमी भी हो सकता है| यह तरलता की परिस्थितियों के प्रति संवेदनशील है| यदि तरलता में अचानक कमी आ जाए तो किसी फर्म की धन को सुरक्षित रखने की क्षमता को चुनौती दी जा सकती है| एक वर्ष के कुछ महीनों (जैसे कि तिमाही के अंत में) के दौरान तरलता की स्थिति कमज़ोर भी हो सकती है क्योंकि इस दौरान करों का पूर्व भुगतान किया जाता है| ऐसे समय में वाणिज्यिक पत्रों को जारी करने के लिये धन लागतों (funding costs) में भी वृद्धि की जा सकती है|
  • अतः वाणिज्यिक पत्रों का उपयोग पूंजी के स्थायी स्रोत के रूप में नहीं किया जाना चाहिये और इसका प्रयोग  मुख्यतः तरलता की विपरीत परिस्थितियों से बाहर निकलने तथा अल्पावधिक उच्च उधारी दरों के दौरान लाभ प्राप्त करने के लिये किया जाना चाहिये|
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