सामाजिक न्याय
पॉलीडेक्टली क्या है?
- 02 Dec 2019
- 4 min read
प्रीलिम्स के लिये:
पॉलीडेक्टली
मेन्स के लिये:
पॉलीडेक्टली विसंगति तथा उसका सामाजिक संबंध
चर्चा में क्यों?
हाल ही में ओडिशा के एक गाँव में 63 वर्षीय एक महिला को पॉलीडेक्टली (Polydactyly) विसंगति के कारण समुदाय द्वारा ‘डायन’ बताते हुए बहिष्कृत कर दिया गया।
मुख्य बिंदु:
- महिला के हाथों में जन्म से 12 अँगुलियाँ तथा पैरों में 20 अँगुलियाँ होने के कारण समुदाय द्वारा उसे ‘डायन’ बताते हुए बहिष्कृत कर दिया गया।
- महिला की इस शारीरिक स्थिति को पॉलीडेक्टली (Polydactyly) / पॉलीडेक्टाइलिज़्म (Polydactylism) या हाइपरडेक्टली (Hyperdactyly) नामक जन्म-दोष के रूप में जाना जाता है।
पॉलीडेक्टली
(Polydactyly):
- यह मनुष्यों और जानवरों में एक जन्मजात विसंगति है जिसके परिणामस्वरूप व्यक्ति के हाथों और पैरों में अतिरिक्त अँगुलियाँ विकसित हो जाती हैं।
- पॉलीडेक्टली से पीड़ित व्यक्ति के हाथ या पैर में पाँच से अधिक अँगुलियाँ होती हैं, वहीं पॉलीडेक्टीली के विपरीत ऑलिगोडैक्टली (Oligodactyly) से पीड़ित व्यक्ति के हाथ या पैर में पाँच से कम अँगुलियाँ होती है।
- प्रति 1000 बच्चों में से एक या दो बच्चों में पॉलीडेक्टाइलिज्म विसंगति हो सकती है।
- यह दुनिया भर में नवजात शिशुओं के विकास की सबसे सामान्य विषमता हो सकती है।
- यह दोष गर्भावस्था के छठे या सातवें सप्ताह के दौरान विकसित होता है जब हाथ या पैर के अँगुलियों के विभाजन में अनियमितता आ जाती है जिससे अतिरिक्त अँगुलियाँ विकसित हो जाती हैं।
- माना जाता है कि कुछ मामलों में यह विसंगति आनुवंशिक भी हो सकती है।
- यह दोष बिल्ली, कुत्ता, मवेशी, भेड़, सुअर, मुर्गी, गीज़ (Geese) और कभी-कभी घोड़ों में भी देखा जाता है।
- अतिरिक्त अँगुलियाँ शायद बहुत कम मामलों में पूरी तरह क्रियाशील हो पाती हैं।
- सामान्यतः यह नरम ऊतक का एक छोटा सा टुकड़ा होता है, जिसमें कभी-कभी हड्डी भी होती है।
- ज़्यादातर मामलों में अतिरिक्त अँगुलियों को शल्यचिकित्सा (सर्जरी) द्वारा हटाया जा सकता है। यदि त्वचा और ऊतक के साथ हड्डी भी जुड़ी हो तो यह प्रक्रिया अधिक चुनौतीपूर्ण हो जाती है।
सामाजिक नज़रिया:
आधुनिकता के तमाम दावों के बीच देश में अंधविश्वास आज भी अपनी गहरी जड़ें जमाए हुए है। ग्रामीण क्षेत्रों और आदिवासी अंचलों में तो अंधविश्वास ने अपनी हदें ही पार कर दी हैं। दिसंबर 2018 में मध्य प्रदेश के खंडवा ज़िले में एक आदिवासी महिला ने कथित तौर पर अपने नवजात लड़की के पैर की अतिरिक्त अँगुली हटाने के लिये खुद ही उसे काट दिया जिससे बच्चे की मृत्यु हो गई। महिला को यह डर था कि उस नवजात के बड़े होने पर इस शारीरिक संरचना के कारण उसकी शादी में समस्या उत्पन्न होगी।