पश्चिमी विक्षोभ | 13 Dec 2022
प्रिलिम्स के लिये:पश्चिमी विक्षोभ, कैस्पियन सागर, भूमध्य सागर, भारत मौसम विज्ञान विभाग, आकस्मिक बाढ़, भूस्खलन, शीत लहर मेन्स के लिये:भौतिक भूगोल, पश्चिमी विक्षोभ और इसका असामान्य प्रवृत्ति |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में दिल्ली में दिन का तापमान दिसंबर 2022 में पश्चिमी विक्षोभ के कम होने के कारण सामान्य से अधिक था।
- सर्दियों में, पहाड़ी क्षेत्रों में बारिश और बर्फ आदि का कारण पश्चिमी विक्षोभ होता है और यह मैदानी इलाकों में अधिक नमी का कारण बनता है। मेघाच्छादन के परिणामस्वरूप रात में न्यूनतम तापमान और दिन के समय अधिक तापमान हो जाता है।
पश्चिमी विक्षोभ:
- परिचय:
- भारत मौसम विज्ञान विभाग (India Meteorological Department-IMD) के अनुसार, पश्चिमी विक्षोभ ऐसे तूफान हैं जो कैस्पियन या भूमध्य सागर में उत्पन्न होते हैं तथा उत्तर-पश्चिम भारत में गैर-मानसूनी वर्षा के लिये ज़िम्मेदार होते हैं।
- इन्हें भूमध्य सागर में उत्पन्न होने वाले एक ‘बहिरूष्ण उष्णकटिबंधीय तूफान’ के रूप में चिह्नित किया जाता है, जो एक निम्न दबाव का क्षेत्र है तथा उत्तर-पश्चिम भारत में अचानक वर्षा, बर्फबारी एवं कोहरे के लिये ज़िम्मेदार हैं।
- यह विक्षोभ ‘पश्चिम’ से ‘पूर्व’ दिशा की ओर आता है।
- यह विक्षोभ अत्यधिक ऊँचाई पर पूर्व की ओर चलने वाली ‘वेस्टरली जेट धाराओं’ (Westerly Jet Streams) के साथ यात्रा करते हैं।
- वे ईरान, अफगानिस्तान और पाकिस्तान से होते हुए भारतीय उपमहाद्वीप में प्रवेश करती है।
- विक्षोभ का तात्पर्य ‘विक्षुब्ध’ क्षेत्र या कम हवा वाले दबाव क्षेत्र से है।
- किसी क्षेत्र की वायु अपने दाब को सामान्य करने का प्रयास करती है, जिसके कारण प्रकृति में संतुलन विद्यमान रहता है।
- यह विक्षोभ ‘पश्चिम’ से ‘पूर्व’ दिशा की ओर आता है।
- भारत में प्रभाव:
- पश्चिमी विक्षोभ (Western Disturbances- WD) उत्तरी भारत में वर्षा, हिमपात और कोहरे से संबंधित है। यह पाकिस्तान और उत्तरी भारत में वर्षा एवं हिमपात के साथ आता है।
- WD भूमध्य सागर और/या अटलांटिक महासागर से नमी प्राप्त करता है।
- WD के कारण शीत ऋतु में और मानसून पूर्व वर्षा होती है और उत्तरी उपमहाद्वीप में रबी फसल के विकास के लिये महत्त्वपूर्ण है।
- WD हमेशा अच्छे मौसम के अग्रदूत नहीं होते हैं। कभी-कभी WDs बाढ़, फ्लैश फ्लड, भूस्खलन, धूल भरी आँधी, ओलावृष्टि और शीत लहर जैसी चरम मौसमी घटनाओं का कारण बन सकते हैं जो लोगों की जान ले लेते हैं, बुनियादी ढाँचे को नष्ट कर देते हैं और आजीविका को प्रभावित करते हैं।
- अप्रैल और मई के गर्मियों के महीनों के दौरान, WD पूरे उत्तर भारत में प्रवाहित होते हैं एवं समय-समय पर उत्तर-पश्चिम भारत के कुछ हिस्सों में मानसून की सक्रियता में मदद करते हैं।
- मानसून के मौसम के दौरान, पश्चिमी विक्षोभ कभी-कभी घने बादल और भारी वर्षा का कारण बन सकता है।
- कमज़ोर पश्चिमी विक्षोभ पूरे उत्तर भारत में फसल उपज की विफलता और जल की समस्याओं से संबंधित है।
- मज़बूत पश्चिमी विक्षोभ निवासियों, किसानों और सरकारों को जल की कमी से जुड़ी कई समस्याओं से बचने में मदद कर सकता है।
पश्चिमी विक्षोभ के हाल के उदाहरण/प्रभाव:
- जनवरी और फरवरी 2022 में अत्यधिक बारिश दर्ज की गई थी। इसके विपरीत, नवंबर 2021 और मार्च 2022 में कोई बारिश नहीं हुई थी जबकि मार्च 2022 के अंत में ग्रीष्म लहरों के आगमन के साथ ही असामान्य रूप से गर्मी की शुरुआत हो गई थी।
- पश्चिमी विक्षोभ की विविध घटनाओं के कारण बादल छाए रहने से फरवरी 2022 में तापमान कम रहा है, जो कि 19 वर्षों में दर्ज सबसे कम तापमान था।
- मार्च 2022 में सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ उत्तर पश्चिम भारत से विस्थापित हो गया तथा मेघाच्छादन और वर्षा न होने के कारण तापमान अधिक बना रहा।
- पश्चिमी विक्षोभ की आवृत्ति में तो वृद्धि हुई है लेकिन उनके कारण होने वाली वर्षा में नहीं, संभवतः इसके लिये आंशिक रूप से ग्लोबल वार्मिंग को उत्तरदायी माना जा सकता है।
- वर्ष 2021 में पश्चिमी विक्षोभ के कारण दिसंबर के पहले सप्ताह में दिल्ली में बारिश हुई थी।
- हालाँकि 15 दिसंबर, 2022 तक अधिकतम तापमान में 24 डिग्री सेल्सियस तक की गिरावट के साथ दिल्ली में अधिक ठंड पड़ने की संभावना है।